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'कमजोरी-अंधविश्वास... इसलिए करते हैं उत्पीड़न', HC ने शोषण के आरोपी तांत्रिक पर की सख्त टिप्पणी

बॉम्बे हाई कोर्ट ने बौद्धिक रूप से कमजोर छह लड़कियों के यौन उत्पीड़न के मामले पर अहम टिप्पणी की है. कोर्ट ने कहा कि "यह वास्तविकता है कि लोग अपने समाधान के लिए तांत्रिक या बाबाओं के पास चले जाते हैं, जो ना सिर्फ उनकी कमजोरी-अंधविश्वास का फायदा उठाते हैं बल्कि उत्पीड़न भी करते हैं."

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बॉम्बे हाई कोर्ट
बॉम्बे हाई कोर्ट

'यह दुर्भाग्यपूर्ण वास्तविकता है कि लोग अपनी समस्याओं के समाधान के लिए तांत्रिक या बाबाओं के पास जाते हैं.' यह टिप्पणी बॉम्बे हाई कोर्ट ने की है. कोर्ट ने एक शख्स की उम्रकैद की सजा को बरकरार रखा है, जिसने बौद्धिक रूप से कमजोर छह लड़कियों का यौन उत्पीड़न किया था.

हाई कोर्ट ने इस मामले पर पिछले महीने फैसला सुनाया था लेकिन फैसले को शनिवार को सार्वजनिक किया गया है. कोर्ट ने अपने फैसले में, तांत्रिक होने का दावा करने वाले 45 वर्षीय शख्स को दी गई उम्रकैद की सजा को भी बरकरार रखा. कोर्ट में दो महिला जजों की बेंच ने कहा यह "अंधविश्वास का एक विचित्र मामला है."

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'कमजोरी और अंध विश्वास का फायदा उठाते हैं'

कोर्ट ने टिप्पणी की, "यह अंधविश्वास का एक विचित्र मामला है. यह हमारे समय की एक दुर्भाग्यपूर्ण वास्तविकता है, कि लोग कभी-कभी अपनी समस्याओं के समाधान के लिए तथाकथित तांत्रिकों या बाबाओं के दरवाजे खटखटाते हैं और ये तथाकथित तांत्रिकों या बाबाओं, इन लोगों की कमजोरी और अंध विश्वास का फायदा उठाते और उनका शोषण करते हैं.''

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कोर्ट ने कहा कि तथाकथित तांत्रिक या बाबा न केवल उनसे पैसे ऐंठकर उनकी कमजोरियों का फायदा उठाते हैं, बल्कि कई बार समाधान देने की आड़ में पीड़ितों का यौन उत्पीड़न भी करते हैं.

'लड़कियों को ठीक करने के बहाने शोषण'

जस्टिस रेवती मोहिते डेरे और जस्टिस मंजूषा देशपांडे की बेंच ने कहा कि आरोपी किसी भी तरह की नरमी का हकदार नहीं है. कोर्ट में दायर याचिकाओं के मुताबिक, तांत्रिक या बाबा होने का दावा करने वाले आरोपी ने छह बौद्धिक रूप से कमजोर लड़कियों को ठीक करने के बहाने उनका यौन शोषण किया था.

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'लड़िकयों के परिवार को भी लगाया चूना'

आरोपी ने कथित रूप से लड़कियों के परिवार का भी आर्थिक रूप से शोषण किया और कहा जा रहा है कि उन्हें ठीक करने के बहाने से 1.3 करोड़ रुपये वसूल लिए. इस मामले में पहली एफआईआर 2010 में दर्ज की गई थी. एक सेशन कोर्ट ने आरोपी को 2016 में दोषी ठहराया और बाकी जीवन के लिए जेल की सजा सुनाई. सेशन कोर्ट के इसी फैसले के खिलाफ आरोपी ने हाई कोर्ट में अपील की थी. हाई कोर्ट ने आरोपी की अपील खारिज कर दी और दोषसिद्धि और सजा को बरकरार रखा.

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