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'साफ हवा में सांस लेना मौलिक अधिकार...', बॉम्बे HC ने कांजुरमार्ग डंपिंग ग्राउंड मामले में BMC को लगाई फटकार

मुंबई के कांजुरमार्ग डंपिंग ग्राउंड से निकलने वाली बदबू पर बॉम्बे हाईकोर्ट ने सख्त रुख अपनाया है. अदालत ने बीएमसी को 'मूक दर्शक' बने रहने के लिए फटकार लगाते हुए कहा कि स्वस्थ जनसंख्या और जीवन के अधिकार से समझौता नहीं किया जा सकता. अदालत ने तत्काल समाधान पेश करने के निर्देश दिए हैं.

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बॉम्बे HC ने कांजुरमार्ग डंपिंग ग्राउंड मामले में BMC को लगाई फटकार. (File Photo:ITG)
बॉम्बे HC ने कांजुरमार्ग डंपिंग ग्राउंड मामले में BMC को लगाई फटकार. (File Photo:ITG)

बॉम्बे हाईकोर्ट ने सोमवार को कांजुरमार्ग डंपिंग ग्राउंड से आ रही बदबू के मुद्दे पर बृहन्मुंबई नगर निगम (बीएमसी) को कड़ी फटकार लगाई और कहा कि साफ और स्वस्थ हवा में सांस लेना लोगों का मौलिक अधिकार है. साथ ही कोर्ट ने साइट के चारों ओर ग्रीम बफर जोन बनाने का निर्देश भी दिया है.

जस्टिस जीएस कुलकर्णी और जस्टिस आरती साठे की खंडपीठ पर्यावरण कार्यकर्ता दयानंद स्टालियन की एनजीओ वनशक्ति द्वारा दायर जनहित याचिका सहित कई याचिकाओं पर सुनवाई कर रही थी. याचिका में कहा गया है कि संबंधित अधिकारियों की योजना की कमी के कारण कांजुरमार्ग डंपिंग ग्राउंड से दुर्गंध फैल रही है, जिससे आसपास के क्षेत्रों के निवासियों को काफी परेशानी हो रही है.

हर दिन डाला जा रहा है 6,500 मीट्रिक टन कचरा

याचिका में बताया गया कि मुंबई महानगरपालिका क्षेत्र में रोजाना करीब 6,500 मीट्रिक टन ठोस कचरा एकत्र होता है, जिसमें से 90 प्रतिशत कांजुरमार्ग लैंडफिल में डंप किया जा रहा है. मुंबई महानगरपालिका सीमा के चार लैंडफिल में से बोरीवली का गोराई लैंडफिल 2017 से बंद है और मुलुंड लैंडफिल को बंद करने की प्रक्रिया चल रही है. इसलिए मुंबई का सारा ठोस कचरा पूर्वी उपनगरों के देवनार और कांजुरमार्ग लैंडफिल में लाया जा रहा है. देवनार लैंडफिल की जमीन भी धारावी प्रोजेक्ट के लिए दे दी गई है, लिहाजा अगर इसे भी जल्द बंद करना पड़ा तो BMC के पास कोई वैकल्पिक स्थल उपलब्ध नहीं है.

तुरंत खोजे अल्पकालिक उपाय

सोमवार को पीठ ने अधिकारियों को कांजुरमार्ग डंपिंग स्थल से निकलने वाले दुर्गंध प्रदूषण को कम करने के लिए तत्काल अल्पकालिक उपायों का सुझाव देने और उन्हें लागू करने का निर्देश दिया.

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IIT दिल्ली-बॉम्बे से ली जा रही सलाह

अदालत में सुनवाई के दौरान सरकारी वकील ज्योति चव्हाण ने कोर्ट को बताया कि राज्य द्वारा नियुक्त समिति ने अदालत के आदेश पर रविवार को साइट का दौरा किया और दुर्गंध को समस्या माना.

इस समस्या के समाधान के लिए आईआईटी बॉम्बे और आईआईटी दिल्ली के विशेषज्ञों से सलाह ली जा रही है. अदालत ने ठेकेदार को निर्देश दिया है कि वह नागरिकों के लिए शिकायत निवारण तंत्र की जानकारी दे और साइट के चारों ओर एक 'ग्रीन बफर जोन' बनाने का सुझाव भी दिया.

अब 24 दिसंबर को होगी सुनवाई

पीठ ने कुछ उपाय सुझाए और साइट संभालने वाले लोगों से जवाबदेही एवं संवेदनशीलता की जरूरत पर जोर दिया. पीठ ने कहा, 'हम बॉम्बे में स्वस्थ आबादी चाहते हैं. हम अनुच्छेद 21 (जीवन का अधिकार) पर समझौता नहीं कर सकते.'

अधिकारियों को तुरंत कार्रवाई का निर्देश देते हुए कोर्ट ने एक हलफनामा दाखिल करने का आदेश दिया, जिसमें दुर्गंध को नियंत्रित करने और लोगों को होने वाले नुकसान को रोकने के लिए तत्काल अल्पकालिक उपायों का विवरण दिया गया हो. अब इस याचिका पर 24 दिसंबर को फिर से सुनवाई होगी.

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