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Floor Test में पास हुए नीतीश कुमार की परीक्षा अभी बाक़ी है?

बिहार विधानसभा में आज क्या-क्या हुआ, पीएम मोदी के UAE दौरे की अहमियत क्या है, आंदोलन को लेकर किसानों की क्या तैयारियां हैं और टेक सेक्टर में कंपनियां क्यों lay-off कर रही हैं? सुनिए ‘दिन भर’ में नितिन ठाकुर से.

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कुछ दिन पहले बिहार में नीतीश कुमार ने आरजेडी-कांग्रेस और लेफ़्ट के साथ मिलकर बनाए महागठबंधन को गुड बॉय बोल दिया. जिसके बाद सरकार और विपक्ष के चेहरे बदल गए .लेकिन सीएम नीतीश कुमार ही बने रहे. आज उन्होंने बिहार विधानसभा में फ्लोर टेस्ट पास कर लिया. वोटिंग से पहले महागठबंधन ने सदन से वॉकआउट किया, हालांकि इससे सरकार की सेहत पर कोई असर नहीं पड़ा और 129 वोट के साथ एनडीए गठबंधन ने विश्वासमत हासिल कर लिया.

बिहार में ‘खेल’ क्यों नहीं कर पाए तेजस्वी?

इससे पहले आज सुबह राज्यपाल राजेंद्र विश्वनाथ आर्लेस्कर के अभिभाषण से बिहार विधानसभा का बजट सत्र शुरू हुआ. राज्यपाल के अभिभाषण के बाद जैसे ही विधानसभा की कार्यवाही शुरू हुई, जेडीयू विधायकों की ओर से स्पीकर अवध बिहारी चौधरी के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पेश किया गया. अविश्वास प्रस्ताव के पक्ष में 125 वोट पड़े जबकि विपक्ष में 112 वोट पड़े. इसके बाद बिहार विधानसभा के स्पीकर अवध बिहारी चौधरी ने छोड़ी कुर्सी और डिप्टी स्पीकर ने ज़िम्मेदारी संभाली.आज विधानसभा में तेजस्वी का नीतीश को लेकर क्या रुख़ रहा,आरजेडी के 3 विधायकों ने सत्ताधारी दल के साथ दिखे. इस पूरे खेल के पीछे की कहानी क्या है, नीतीश कुमार के आज के भाषण में क्या नया था? सुनिए 'दिन भर' की पहली ख़बर में.

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पीएम के UAE और क़तर दौरे का एजेंडा!

आज की तारीख कूटनीति के मोर्चे पर भारत की सफ़लता की एक नई कहानी लेकर आई. कतर की जेल में बंद पूर्व भारतीय नौसैनिकों को आखिरकार 18 महीने बाद जेल से रिहा कर दिया गया है. अक्टूबर 2023 में कतर की अदालत ने इन अधिकारियों को मौत की सज़ा सुनाई थी, जिसे पिछले महीने जेल टर्म की सज़ा में बदल दिया गया था. विदेश मंत्रालय ने आज एक बयान जारी करते हुए कहा कि 8 में से सात लोग पहले ही भारत लौट चुके हैं और भारत सरकार क़तर के इस फैसले का स्वागत करती है. ग़ौर करने लायक बात ये है कि इस बात की घोषणा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संयुक्त अरब अमीरात दौरे से एक दिन पहले हुई है. पीएम कल दो दिवसीय यात्रा पर यूएई जा रहे हैं. यहां अबू धाबी में वह बीएपीएस हिंदू मंदिर का उद्घाटन करेंगे. प्रधानमंत्री के इस दौरे पर बात करेंगे ही, पहले ये जानने की कोशिश करते हैं कि क़तर से पूर्व नेवी अफसरों की रिहाई कैसे मुमकिन हुई, डिप्लोमेटिक लेवल पर किस तरह के प्रयास किये गए, दुनिया में सबसे ज्यादा भारतीय कैदी यूएई में ही क्यों हैं और पीएम मोदी के UAE दौरे के अहम बिंदु क्या रहने वाले हैं? सुनिए 'दिन भर' की दूसरी ख़बर में.

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दिल्ली मार्च के लिए किसानों की तैयारी क्या है?

समाजशास्त्र और पॉलिटिकल साइंस की किताबों में जब आन्दोलन का चैप्टर पढ़ाया जाता है तो उसमें ये ये भी बताया जाता है कि किसी आंदोलन को सफल बनाने के फैक्टर्स क्या क्या होते हैं? 2020 में किसानों ने कितनी किताबें पढ़ी थीं, पता नहीं लेकिन लगभग 1 साल तक आंदोलन चलाकर उन्होंने सरकार को ज़रूर झुका दिया था और तीन कृषि क़ानून वापस ले लिए गए थे. पर क़रीब 2 साल बाद पंजाब-हरियाणा के कई किसान संगठन एक बार फिर से दिल्ली कूच करने की तैयारी कर रहे हैं. इस बार उन्होंने इसका नाम ‘दिल्ली चलो’ मार्च रखा है. प्रशासन की तरफ से देखें तो किसानों को बॉर्डर पर ही रोकने के लिए तगड़ी तैयारी की गई है ख़ास तौर पर बॉर्डर एरियाज़ में अतिरिक्त इंतजाम किए गए हैं. पूरी दिल्ली में महीने भर के लिए धारा 144 लगा दी गई है. इन सब के बीच आज शाम 5 बजे चंडीगढ़ में केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल, अर्जुन मुंडा और नित्यानंद राय ने किसान नेताओं के साथ उनकी मांगों को लेकर दूसरे दौर की बातचीत की. इससे पहले 8 फ़रवरी को भी ये मीटिंग हुई थी और बैठक किसी ठोस नतीजे पर नहीं पहुंची थी. किसानों का क्या रुख है और उनकी क्या तैयारियां हैं, और इस बार आंदोलन के चेहरे कौन होंगे और इन किसानों की क्या मांगें हैं? सुनिए 'दिन भर' की तीसरी ख़बर में.

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सबसे ज्यादा छंटनी कहां हो रही है?

जॉब में आपकी सैलरी के बाद कोई चीज़ जो सबसे ज्यादा मैटर करती है, वो है स्टैबिलिटी. मतलब आपका जॉब कितना सिक्योर है! दुनिया भर की आईटी और स्टार्ट अप कंपनियों ने विपरीत हालात और निवेश के अभाव में बड़े पैमाने पर छंटनी कर रही है और इसके चलते हज़ारों भारतीय प्रोफेशनलों का भविष्य अधर में लटका हुआ है. नए साल की शुरुआत भी टेक सेक्टर में कोई अच्छी ख़बर लेकर नहीं आया. इस साल में अबतक 5 कंपनियों को मिलाकर क़रीब 1800 कर्मचारियों को बाहर का रास्ता दिखा दिया है. ये कोई नया ट्रेंड नहीं है. पिछले साल के उपलब्ध डेटा के हिसाब से टेक सेक्टर की 104 कंपनियों ने क़रीब 20 हज़ार एम्प्लाइज की छंटनी कर दी है. 2022 को भी इसमें शामिल कर दें तो ये आंकड़ा 34 हज़ार के पार चला जाता है. टेक सेक्टर में ये किस तरह की कंपनियां छंटनी कर रही हैं, क्या इंडिया में ही हालात बुरे हैं, किन सेक्टर्स में सबसे ज्यादा छंटनी का ट्रेंड देखा गया है और आंकड़े क्या तस्दीक करते हैं? सुनिए 'दिन भर' की आखिरी ख़बर में.


 

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