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'चेहरे पे सारे शहर के गर्द-ए-मलाल है...', बैन-ऐलान-सख्ती... फिर कैसे गैस चैंबर बन गई दिल्ली?

दिल्ली-एनसीआर ग्रैप-4 की गिरफ्त में आ गया है, लेकिन वायु गुणवत्ता में सुधार को लेकर प्रयासों का जमीन पर असर देखने को नहीं मिल रहा है. हर साल पाबंदियां पर पाबंदियां लागू की जाती हैं. नियम बनाए जाते हैं और बड़े-बड़े ऐलान भी होते हैं, लेकिन यह सब प्रदूषण को कम करने में कारगर साबित नहीं होते हैं.

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दिल्ली की सड़कों पर प्रदूषण और कोहरे के कारण धुंध छाई है.
दिल्ली की सड़कों पर प्रदूषण और कोहरे के कारण धुंध छाई है.

चेहरे पे सारे शहर के गर्द-ए-मलाल है
जो दिल का हाल है वही दिल्ली का हाल है

उलझन घुटन हिरास तपिश कर्ब इंतिशार
वो भीड़ है के सांस भी लेना मुहाल है

आवारगी का हक़ है हवाओं को शहर में
घर से चराग़ ले के निकलना मुहाल है

मशहूर शायर मलिकज़ादा मंज़ूर अहमद की ये लाइनें दिल्ली-एनसीआर के हाल-ए-बदहाल मौसम को बयां कर रही हैं. राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र गैस चैंबर बन गया है. इस सीजन यानी 2024 में आज की सुबह सबसे खतरनाक है. AQI का औसत लेवल 481 तक पहुंच गया है. ये अब तक की सबसे खराब श्रेणी है. लगभग सभी स्टेशन गंभीर प्लस श्रेणी (450+) में हैं. रविवार से दिल्ली में AQI लगातार बढ़ रहा है. आज से GRAP-4 के नियम लागू हो गए हैं. सरकार अब ऑड ईवन रूल, ऑफलाइन क्लास को पूरी तरह बंद करने, दफ्तरों में 50% उपस्थिति और अन्य इमरजेंसी उपायों जैसे निर्णय ले सकती है. लेकिन, बड़ा सवाल यही है कि क्या आगे वायु प्रदूषण में कमी आने की उम्मीद है?

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दरअसल, दिल्ली-एनसीआर ग्रैप-4 की गिरफ्त में आ गया है, लेकिन वायु गुणवत्ता में सुधार को लेकर प्रयासों का जमीन पर असर देखने को नहीं मिल रहा है. हर साल पाबंदियां पर पाबंदियां लागू की जाती हैं. नियम बनाए जाते हैं और बड़े-बड़े ऐलान भी होते हैं, लेकिन यह सब प्रदूषण को कम करने में कारगर साबित नहीं होते हैं. पिछले साल भी ग्रैप 4 की पाबंदियां लागू की गई थीं, लेकिन 14 दिन बाद जब अचानक मौसम बदला और बारिश हुई तो प्रदूषण से राहत मिली थी. इस साल दिवाली के बाद से दिल्ली-एनसीआर में पाबंदियों का दौर चल रहा है. लेकिन, प्रदूषण के आंकड़ों में कोई कमी देखने को नहीं मिल रही है. यह कहा जा सकता है कि हमने अक्टूबर से अब तक तमाम उपाय और प्रयास किए जाने के दावे किए, लेकिन आज पॉल्यूशन कम होने की बजाय सीवियर प्लस में पहुंच गया है. आगे भी प्रदूषण और कोहरा दोनों का कहर देखने को मिल सकता है.

ग्रैप 4 कितना कारगर?

दिल्ली-एनसीआर में वायु गुणवत्ता संकट हर साल गंभीर रूप लेता है. वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) गंभीर प्लस श्रेणी में होने से आम जनजीवन बुरी तरह प्रभावित हो रहा है. सरकार ने आज से ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान (ग्रैप) के चौथे चरण को लागू कर दिया है, जो वायु प्रदूषण से निपटने के लिए सबसे कठोर उपाय के तौर पर माना जाता है.

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पिछले साल दिल्ली-एनसीआर में ग्रैप के पहले चरण को 6 अक्टूबर, दूसरे चरण को 21 अक्टूबर, तीसरे चरण को 2 नवंबर और चौथे चरण को 5 नवंबर को लागू किया गया था. 2023 में ग्रैप 4 कुल 14 दिन लागू रहा था. 19 नवंबर को जब AQI लेवल 319 पर आ गया था, तब ग्रैप 4 की पाबंदिया हटा दी गई थीं और हवा साफ रहने तक ग्रैप 3 लागू रहने के निर्देश दिए गए थे. इसी तरह साल 2022-23 की सर्दियों में भी ग्रैप 4 को सिर्फ 3 दिन लागू रखना पड़ा था.

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पिछले साल कैसे मिली थी प्रदूषण से राहत?

पिछले साल करीब डेढ़ महीने तक दिल्ली-एनसीआर में पाबंदियां रहीं. 5 नवंबर 2023 को जब AQI लेवल सबसे ज्यादा 454 तक पहुंच गया था, तब ग्रैप 4 लागू किया गया था. हालांकि, अगले दिन से पॉल्यूशन में थोड़ी सी कमी आई और 6 नवंबर को 421, 7 नवंबर को 395, 8 नवंबर को 426, 9 नवंबर को 437 के आसपास AQI था. लेकिन 10 नवंबर को बारिश हुई और AQI लुढ़ककर 279 पहुंच गया. उसके बाद मौसम में अचानक आए बदलाव से दिल्ली-एनसीआर को बड़ी राहत मिली और हवाएं भी साफ होने लगीं. 11 नवंबर को AQI 220, 12 नवंबर को 218, 13 नवंबर को 358, 14 नवंबर को 397, 15 नवंबर को 398, 16 नवंबर को 419, 17 नवंबर को 405, 18 नवंबर को 319 रिकॉर्ड किया गया. उसके बाद सरकार ने ग्रैप 4 की पाबंदियां हटा दीं और ग्रैप 3 लागू कर दिया. 

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दिल्ली में फिर प्रदूषण से स्थिति खराब...

दिल्ली-एनसीआर में फिर प्रदूषण की स्थिति खराब है. दमघोंटू हवाएं चल रही हैं. सोमवार सुबह से घना कोहरा और प्रदूषण की वजह से धुंध छाई है. ठंड ने भी जबरदस्त दस्तक दी है. कई जगहों पर विजिबिलिटी शून्य रिकॉर्ड की जा रही है. CPCB के आंकड़े कहते हैं कि दिल्ली, देश का दूसरा सबसे प्रदूषित शहर बन गया है. यहां 13 अलग-अलग स्टेशनों में आंकड़ा 450 को भी पार कर गया है. हरियाणा का बहादुरगढ़ 445 AQI के साथ लिस्ट में टॉप प्रदूषित शहर है.

दिल्ली में कुल 40 निगरानी स्टेशन हैं और इनमें 32 स्टेशन का डेटा कहता है कि यहां हवा की गुणवत्ता गंभीर (AQI 400 प्लस) श्रेणी में है. हालात यह हैं कि दोपहर में भी सड़कों पर वाहनों को लाइट जलाकर चलना पड़ रहा है. रविवार शाम 4 बजे तक AQI 441 तक पहुंच गया था और शाम 7 बजे तक बढ़कर 457 हो गया था. शनिवार को AQI 417 दर्ज किया गया था.

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गैस चैंबर क्यों बन रही है दिल्ली?

दिल्ली में बिगड़ती वायु गुणवत्ता को लेकर हर साल चिंता जताई जाती है. प्रबंधन को लेकर नियम भी बनाए जाते हैं और सुप्रीम कोर्ट भी निर्देश देता है. लेकिन स्थिति में सुधार नहीं होता है. इसका प्रमुख कारण दिल्ली-एनसीआर में खराब प्रबंधन को जिम्मेदार माना जाता है. दिल्ली में वैसे तो लोगों को पूरे साल जहरीली हवा में सांस लेने को मजबूर होना पड़ता है, लेकिन नवंबर आते ही सभी को एहसास होने लगता है कि हालात कितने बदतर हो गए हैं. दिल्ली स्थित पर्यावरण थिंक टैंक 'सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरनमेंट' (CSE) की एक नई स्टडी में कहा गया है कि दिल्ली के वायु प्रदूषण में पराली जलाने की भूमिका सिर्फ 8 प्रतिशत है. दिल्ली को गैस चैंबर बनाने में यहां वाहन ही सबसे बड़ी मुसीबत बन गए हैं. इन वाहनों से निकलने वाले उत्सर्जन से प्रदूषण फैल रहा है और लोग बीमार पड़ रहे हैं. डेटा कहता है कि वाहनों के कार्बन उत्सर्जन की अनुमानित हिस्सेदारी करीब 13 प्रतिशत से 15 प्रतिशत तक है. उसके बाद पराली जलाने से उत्सर्जन हो रहा है. आसपास के राज्यों में पराली जलाने से स्थिति और खराब हो गई है. यहां हवाओं में प्रदूषक तत्व पार्टिकुलेट मैटर (PM2.5 और PM10) का लेवल भी सबसे ज्यादा है. ग्रैप 4 की पाबंदियां भी वाहनों के नियंत्रण पर ही फोकस्ड हैं.

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- दिल्ली में 10 साल से पुराने डीजल और 15 साल से पुराने पेट्रोल वाहनों पर प्रतिबंध है, लेकिन इस पर प्रभावी रूप से नियंत्रण नहीं है. वाहनों की नियमित जांच और कड़ी निगरानी का अभाव है, जिससे पुराने और प्रदूषणकारी वाहन सड़कों पर चलते रहते हैं. दिल्ली सरकार अक्सर आसपास के राज्यों से ऐसे वाहनों की एंट्री होने का आरोप लगाती आ रही है. 
- दिल्ली में BS-III और BS-II वाहनों की आधी से ज्यादा संख्या है. यानी कुल 60.14 वाहन ऐसे हैं. दिल्ली में एक अक्टूबर से  15 नवंबर के बीच  सिर्फ 2234 पुराने वाहन जब्त किए गए. जबकि 2023 में 22,397 वाहन जब्त किए गए थे. यह आंकड़े बताते हैं कि इस साल कार्रवाई को पहले की तरह सख्ती से अंजाम नहीं दिया गया है.
- निजी वाहनों के बढ़ते उपयोग को कम करने के लिए सार्वजनिक परिवहन को मजबूत करने की जरूरत है. हालांकि, दिल्ली का मेट्रो और बस नेटवर्क विस्तृत है, लेकिन अन्य NCR क्षेत्रों में सार्वजनिक परिवहन की कमी है. इसका सीधा असर वाहनों की बढ़ती संख्या और प्रदूषण पर पड़ता है. 
- दिल्ली सरकार ने सड़कों पर वाहनों की संख्या को कम करने के लिए ऑड-ईवन योजना लागू की थी, जिसमें ऑड (विषम) और ईवन (सम) नंबर की गाड़ियां बारी-बारी से सड़क पर चलती हैं. यह योजना वायु प्रदूषण में थोड़ी राहत देने में सफल रही, लेकिन इसे दीर्घकालिक समाधान के रूप में नहीं अपनाया गया. 

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- भीड़भाड़ और यातायात की गति में कमी भी प्रदूषण को बढ़ाती है. ट्रैफिक जाम को कम करने के लिए सड़कों के इन्फ्रास्ट्रक्चर में सुधार करना होगा. इसके अलावा, कार-पूलिंग, पब्लिक ट्रांसपोर्ट, और साइकलिंग को बढ़ावा देना भी फायदेमंद हो सकता है.
- दिल्ली-NCR में बड़े पैमाने पर निर्माण कार्य होते रहते हैं, जिससे धूल और धुएं का स्तर बढ़ता है. निर्माण स्थलों पर पानी का छिड़काव, सामग्री को ढकना, और एंटी-स्मॉग गन का उपयोग जैसे नियम मौजूद हैं, परंतु इनका सही से पालन नहीं हो पाता है. 
- NCR के औद्योगिक क्षेत्रों से निकलने वाले प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए सख्त नीतियां हैं, लेकिन उनका अनुपालन सुनिश्चित नहीं हो पाता. छोटे उद्योग अभी भी पुराने और प्रदूषणकारी उपकरणों का उपयोग करते हैं और कई उद्योग पर्यावरणीय मानकों का पालन नहीं करते. 
- दिल्ली में कचरे से ऊर्जा बनाने वाले संयंत्रों का भी उल्टा असर हुआ है और ये दिल्ली में जहरीले धुएं को और बढ़ा रहे हैं.
- खुले में कचरा और सूखी पत्तियां जलाने से वायु प्रदूषण में इजाफा होता है. इसके लिए प्रतिबंध और जुर्माने का प्रावधान है, लेकिन जमीनी स्तर पर इसकी निगरानी का अभाव है. लोग खुले में कचरा जलाने की आदत छोड़ नहीं पाते हैं.
- हरित आवरण बढ़ाने और पेड़-पौधे लगाने की कई योजनाएं हैं, लेकिन शहरीकरण के कारण यह मुश्किल हो जाता है. नए पेड़ लगाने और पहले से लगे पेड़ों की देखभाल करने का काम धीमी गति से होता है.

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दिल्ली में कितने दिनों से पाबंदियां?

दिल्ली-एनसीआर में इस साल 14 अक्टूबर को ग्रैप-1 लागू किया गया था. उस समय दिल्ली का एयर क्वालिटी इंडेक्स 200 पार हो गया था. ग्रैप-1 लागू कर दिया गया था. उसके बाद 22 अक्टूबर 2024 की सुबह 8 बजे से GRAP II लागू किया गया. जब आंकड़ों में सुधार नहीं हुआ तो 25 दिन बाद यानी 15 नवंबर को ग्रैप-3 लागू करने का फैसला लिया गया. निर्माण और तोड़फोड़ गतिविधियों पर भी पूरी तरह से पाबंदी लगाई गई. अब तीन दिन बाद 18 नवंबर से ग्रैप-4 लागू किया गया है. दिल्ली-एनसीआर में दिवाली के पहले से प्रदूषण का कहर देखने को मिल रहा था. दिवाली के बाद हालात लगातार बिगड़ते चले गए. अब स्थिति यह है कि हवा में सांस लेना और मुश्किल हो गया है.

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सुप्रीम कोर्ट में आज सुनवाई

दिल्ली-एनसीआर में वायु प्रदूषण से निपटने के उपायों को लागू करने संबंधी याचिका पर आज सुप्रीम कोर्ट में अहम सुनवाई होगी. याचिका में कहा गया है कि दिल्ली में अगर प्रदूषण की स्थिति बिगड़ती है तो यह दुनिया का सबसे प्रदूषित शहर बन सकता है. याचिका कर्ता ने मौजूदा प्रदूषण का हवाला देते हुए तत्काल सुनवाई की मांग की थी. याचिका कर्ता का कहना था कि वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग को स्थिति से निपटने के लिए उठाए जा रहे कदमों के बारे में सूचित करना चाहिए. इससे पहले 11 नवंबर को सुप्रीम कोर्ट ने दिवाली के दौरान पटाखा प्रतिबंध आदेश के उल्लंघन पर संज्ञान लिया था और टिप्पणी की थी कि कोई भी धर्म प्रदूषण फैलाने वाली गतिविधियों का समर्थन नहीं करता है. कोर्ट ने दिल्ली सरकार को दो हफ्ते के भीतर यह तय करने का निर्देश दिया था कि पटाखा बैन को पूरे साल के लिए बढ़ाया जाना चाहिए या नहीं.

क्या है GRAP?

GRAP-1: खराब (AQI 201-300)
GRAP-2: बहुत खराब (AQI 301-400‌)
GRAP-3: गंभीर ( AQI 401 से 450)
GRAP-4: बहुत गंभीर ( AQI 450 से ज्यादा)

दिल्ली में अब क्या-क्या पाबंदियां?

- केंद्र के वायु गुणवत्ता पैनल (CQM) ने ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान (GRAP) के स्टेज-4 के प्रतिबंध लागू कर दिए हैं. इसे सबसे सख्त प्रदूषण नियंत्रण उपाय माना जाता है. इनमें दिल्ली के बाहर से आने वाले सभी ट्रकों के प्रवेश पर पाबंदी रहेगी. हालांकि, जरूरी सामान लाने वाले और सीएनजी-इलेक्ट्रिक वाहनों (ट्रकों) को पाबंदी से छूट दी गई है. 
- दिल्ली में पंजीकृत मध्यम और भारी डीजल संचालित माल वाहनों पर रोक रहेगी. सिर्फ जरूरी सामान लाने वाले वाहनों को छूट रहेगी. दिल्ली-एनसीआर में डीजल चलित चार पहिया वाहनों पर रोक रहेगी. हालांकि, इमरजेंसी वाहनों को छूट दी गई है. इस श्रेणी में सिर्फ बीएस-6 वाहन चल सकते हैं. 
- एनसीआर में उद्योगों पर भी पाबंदी रहेगी. जहां पीएनजी ईंधन की सुविधा नहीं है और सरकार द्वारा अधिकृत सूची से बाहर के ईंधन का उपयोग किया जा रहा है तो रोक रहेगी. 
- दूध और डेयरी उत्पादों और मेडिकल उपकरणों से जुड़े उद्योगों को छूट दी जाएगी. निर्माण और विध्वंस गतिविधियों पर भी रोक रहेगी.
- राजमार्गों, सड़कों, फ्लाईओवरों, बिजली लाइनों, पाइपलाइनों और अन्य सार्वजनिक परियोजनाओं समेत सभी निर्माण गतिविधियां भी बंद रहेंगी.

यह भी पढ़ें: दिल्ली में बदली दफ्तर आने-जाने की टाइमिंग, प्रदूषण और ट्रैफिक जाम से निपटने के लिए उठाया कदम

- CQM ने कक्षा 6 से 9 और कक्षा 11 के छात्रों के लिए ऑनलाइन शिक्षण का सुझाव दिया. यह भी सिफारिश की कि राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) में कार्यालय 50 प्रतिशत क्षमता पर काम करें, बाकी घर से काम करें. 
- केंद्र सरकार के कर्मचारियों के लिए घर से काम करने का विकल्प रखा जा सकता है. राज्य सरकारें कॉलेजों को बंद करने, गैर-जरूरी व्यावसायिक गतिविधियों को सीमित करने और ऑड-ईवन वाहन नियम लागू करने का निर्णय भी ले सकती हैं.

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