कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने अमेरिकी सांसदों द्वारा भारत-अमेरिका संबंधों को सुधारने की पहल की सराहना की है. उन्होंने कहा, "अमेरिकी कांग्रेस के सदस्यों द्वारा उठाया गया कदम देखकर खुशी हुई. जब मैंने प्रवासी भारतीय समुदाय की चुप्पी पर सवाल उठाया था, तो मेरा उद्देश्य यह जताना था कि वे अपने राजनीतिक प्रतिनिधियों पर इस तरह का रुख अपनाने के लिए दबाव नहीं बना रहे हैं."
शशि थरूर ने आगे कहा, "अगर प्रभावशाली अमेरिकी राजनेता डायस्पोरा के दबाव के साथ या बिना ही खुलकर बोल सकते हैं, तो यह निश्चित रूप से अमेरिकी नीति पर असर डालेगा." उन्होंने इसका भी जिक्र किया कि "दिलचस्प बात यह है कि इस चिट्ठी पर हस्ताक्षर करने वाले दस में से पांच नेताओं से हमारी बहुदलीय प्रतिनिधिमंडल की इस साल वॉशिंगटन में मुलाकात हुई थी."
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शशि थरूर की यह प्रतिक्रिया अमेरिकी कांग्रेस के 21 सांसदों द्वारा राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को भेजी गई एक चिट्ठी के बाद आई है. इस समूह का नेतृत्व कांग्रेसवुमन डेबोरा रॉस और कांग्रेसमैन रो खन्ना ने किया था.
भारत के साथ संबंध सुधारने की सलाह
अमेरिकी कांग्रेस द्वारा 8 अक्टूबर को लिखी गई चिट्ठी में सांसदों ने राष्ट्रपति ट्रंप से अपील की थी कि वे भारत के साथ तनावपूर्ण रिश्तों को सुधारने और हाल ही में लगाए गए टैरिफ बढ़ोतरी को वापस लेने के लिए कदम उठाएं. सांसदों ने कहा कि 50 प्रतिशत तक बढ़ाए गए शुल्कों ने "दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र के साथ संबंधों में तनाव पैदा किया है" और दोनों देशों के लिए नकारात्मक परिणाम लाए हैं.
सांसदों ने बताया कि अगस्त 2025 में ट्रंप प्रशासन ने भारतीय वस्तुओं पर 25 प्रतिशत "रिसिप्रोकल" टैरिफ और भारत की रूस से ऊर्जा खरीद पर अतिरिक्त 25 प्रतिशत ड्यूटी मिलाकर कुल 50 प्रतिशत शुल्क लगा दिया था. उनके अनुसार, ये "प्यूनिटिव मेजर्स" भारतीय उद्योगों और अमेरिकी उपभोक्ताओं दोनों को नुकसान पहुंचा रहे हैं और उन सप्लाई चेन को प्रभावित कर रहे हैं जिन पर अमेरिकी कंपनियां निर्भर हैं.
टैरिफ में बढ़ोतरी से साझेदारी पर पड़ेगा असर
चिट्ठी में कहा गया कि भारत अमेरिकी मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर के लिए एक अहम ट्रेडिंग पार्टनर है. सेमीकंडक्टर से लेकर हेल्थकेयर और एनर्जी तक में यह सहयोग है. सांसदों ने चेतावनी दी कि टैरिफ की बढ़ोतरी से यह साझेदारी "खतरे में पड़ सकती है" और इससे अमेरिकी परिवारों पर खर्च का बोझ बढ़ेगा.
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सांसदों ने यह भी आगाह किया कि ऐसी नीतियां भारत को चीन और रूस के करीब धकेल सकती हैं. उन्होंने लिखा कि भारत "क्वाड" के जरिए इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में स्थिरता बनाए रखने वाली एक महत्वपूर्ण ताकत है. चिट्ठी में कहा गया कि अमेरिका-भारत संबंध "फ्रीडम, ओपननेस और म्यूचुअल रिस्पेक्ट" पर आधारित हैं और राष्ट्रपति ट्रंप से इस साझेदारी के प्रति अपनी प्रतिबद्धता दोहराने की अपील की गई है.