शत्रु्घ्न सिन्हा ने एजेंडा आजतक के मंच पर अपनी राजनीतिक इनिंग को लेकर भी खुलकर बात की. गुरुवार को एजेंडा आजतक के दूसरे दिन एक बिहारी सब पर भारी सेशन में शत्रुघ्न सिन्हा ने अपनी पॉलिटिकल इनिंग को लेकर कहा कि इस मामले में मैंने शायद कुछ लोगों को इंस्पायर किया हो. सबसे पहले राजनीति में आया, बीजेपी में आया सबसे पहला कलाकार, छह टर्म का एमपी हूं, सुनील दत्त से ज्यादा अब हो गया. उन्होंने कहा कि फिल्म इंडस्ट्री से पहला कैबिनेट मंत्री भी रहा.
शत्रुघ्न सिन्हा ने कहा कि धरम जी राजनीति में आए और छोड़ दिया. इतना अच्छा लड़का है सनी, वह भी आया और छोड़ दिया. उन्होंने कहा कि इसमें लोगों का भी कसूर है. जिन लोगों ने उनका इस्तेमाल किया, उनका भी हाथ हैं. शत्रुघ्न सिन्हा ने कहा कि ये लोग फिल्मों से जिन्हें राजनीति में लाते हैं, उनको ठीक से ब्रीफिंग नहीं देते. जब आप उनको लेकर आते हैं, जिताने के लिए इस्तेमाल करो ना. मेरे वक्त में मुझे टीचर मिले. अटल बिहारी वाजपेयी, लालकृष्ण आडवाणी जी ने मुझे ट्रेनिंग दी.
उन्होंने कहा कि मदनलाल खुराना के हवाले किया गया मुझे, कि ट्रेनिंग दो. बिहार में कैलाशपति मिश्रा से ट्रेनिंग देने के लिए कहा गया. आडवाणी जी का स्नेह और मार्गदर्शन हमेशा मिला. शत्रुघ्न सिन्हा ने कहा कि कई लोगों को लाए हैं, बताइए भी तो सही कि देश कब आजाद हुआ था. 2014 में आजाद नहीं हुआ था, बताइए तो सही. उन्होंने हेमा मालिनी की तारीफ करते हुए कहा कि वह भी काफी समय से राजनीति में हैं, कितनी अच्छी हैं लेकिन उनको जो स्थान मिलना चाहिए था, वह आज तक नहीं मिला.
शत्रुघ्न सिन्हा ने कहा कि धरम जी आए थे राजनीति में, उन्हें बीकानेर भेज दिया आपने. उनसे बोलना चाहिए था कि ऐसे बोलो, ऐसे बात करो, ऐसे करो जो नहीं किया गया. उन्होंने धर्मेंद्र की पसंदीदा फिल्म को लेकर सवाल पर कहा कि उनकी कई फिल्में अच्छी थीं. स्कूल में था, तब वंदिनी देखी थी. सत्यकाम देखी थी. चुपके-चुपके नहीं देखी है, लेकिन टीवी पर देखता हूं कभी-कभी शॉट्स. शत्रुघ्न सिन्हा ने कहा कि शोले मैंने नहीं देखी है. रमेश सिप्पी ने लिखा भी है कि इस फिल्म में शत्रुघ्न सिन्हा को लेना चाहता था.
उन्होंने शोले फिल्म में काम नहीं कर पाने का दुख जाहिर करते हुए इसके पीछे की वजह भी बताई. शत्रुघ्न सिन्हा ने कहा कि उस समय कई फिल्मों में काम कर रहा था. डेट्स की दिक्कत थी और इनको खुले डेट्स चाहिए थे. हम डेट्स नहीं निकाल पा रहे थे और ना कह दिया. उन्होंने कहा कि दीवार फिल्म में भी काम नहीं कर सका. इसकी कहानी भी मुझे ध्यान में रखकर लिखी गई थी. अब गुस्सा कहो या पश्चाताप, ये दो फिल्में नहीं देखी हैं. शक्ति फिल्म भी नहीं कर सका था.
जब पंजाबी फिल्म की वजह से बचे...
शत्रुघ्न सिन्हा ने डायलॉग को लेकर सवाल पर कहा कि धरम जी का सेंस ऑफ ह्यूमर और जोक्स बोलने का जो अंदाज है, वह बहुत कम लोगों में है. अमिताभ में भी सेंस ऑफ ह्यूमर गजब का है. उन्होंने न्यूयॉर्क का एक किस्सा याद करते हुए बताया कि किस तरह से पंजाबी फिल्म पुत्त जट्टन दे में काम करने की वजह से उनकी जान बच सकी थी. शत्रुघ्न सिन्हा ने कहा कि बलदेव खोसा बना रहे थे पुत्त जट्टन दे. वह पिक्चर सुपरहिट हुई. एकबार न्यूयॉर्क में अपनी एक फ्रेंड के यहां खाना खाने गया था.
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उन्होंने कहा कि तब न्यूयॉर्क में अपराध चरम पर था और मैं एक होटल में ठहरा हुआ था. शॉपिंग का सारा सामान मेरे पास था. शत्रुघ्न सिन्हा ने कहा कि रात के एक बजे मेरी मित्र ने मुझे एक जगह छोड़ दिया और कहा कि होटल यहां से पास ही है, चले जाना. मैं उतरा, वहां बड़ी-बड़ी इमारतें दिख रही थीं, होटल तो दिख ही नहीं रहा था. उन्होंने कहा कि मैं बहुत परेशान हुआ. कुछ दूरी पर एक ब्लैक आदमी था, उससे होटल पूछा तो उसने मुझे डांट दिया. अचानक एक गाड़ी आई, सन्नाटा था.
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शत्रुघ्न सिन्हा ने कहा कि गाड़ी आगे गई और वहां ब्रेक लगा. गाड़ी फिर पीछे आई और उससे आवाज आई- पुत्त जट्टन दे, रुको रुको. कहां फंस गए तुम. उन्होंने कहा कि वह पंजाब का एक सिख आदमी था. उसने वहीं से रेडियो किया, तुरंत ही 25 से 30 गाड़ियां आ गईं. सबने घेर लिया. उस आदमी ने मुझसे कहा कि कहां फंस गए. शत्रुघ्न सिन्हा ने कहा कि उस व्यक्ति ने मुझे होटल तक छोड़ा और उसके बाद हमने उनकी शकल तक नहीं देखी. वह अच्छे लोग थे.
सम्मान के लिए चार दौर से गुजरना पड़ेगा...
अपने अब तक के सफर को कैसे देखते हैं, इस सवाल पर उन्होंने कहा कि आजकल सुना मेरा कुछ वायरल हुआ है. किसी विद्वान ने कहा था कि किसी भी संघर्ष, प्रारंभ या आंदोलन को समापन तक लाने से पहले चार दौर से गुजरना ही पड़ेगा. शत्रुघ्न सिन्हा ने कहा कि पहला दौर है डिसाइड करना. जब आप यह डिसाइड करेंगे कि कुछ करना है, तो उपहास से गुजरना पड़ेगा.
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बिहारी बाबू ने कहा कि उपहास को भी पार कर लिया तो दूसरा दौर होगा उपेक्षा, आपको लोग इग्नोर करेंगे. उन्होंने कहा कि इससे भी आप निकले, तो तीसरा दौर होगा तिरस्कार. आपको गालियां पड़ेंगी, अपमान होगा. चौथा होगा दमन. इन चारों को पार कर लिया, तो सम्मान जरूर आपके कदम चूमेगा. शत्रुघ्न सिन्हा ने अपने जीवन पर बन रही फिल्म को 2026 का एजेंडा बताया.