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'यमन पर हमला आतंकवाद', हूतियों ने US को कहा डेविल, चेताया- बदला लिया जाएगा

अमेरिका और ब्रिटेन यमन में स्थित हूती विद्रोहियों के ठिकानों को लगातार निशाना बना रहे हैं. वहीं ईरान समर्थित हूतियों ने तब तक वैश्विक नौवहन को निशाना बनाना जारी रखने का ऐलान किया है जब तक कि इजरायल हमास को खत्म करने के लिए गाजा पर बमबारी बंद नहीं कर देता है.

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हूती समर्थकों ने यमन में प्रदर्शन कर की अमेरिका और ब्रिटेन के हमलों की निंदा (फोटो- रॉयटर्स)
हूती समर्थकों ने यमन में प्रदर्शन कर की अमेरिका और ब्रिटेन के हमलों की निंदा (फोटो- रॉयटर्स)

संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) ने लाल सागर में मालवाहक जहाजों पर हूती विद्रोहियों के हालिया हमलों के प्रभाव के बारे में गंभीर चिंता व्यक्त की है. यूएई ने इन हमलों को क्षेत्रीय सुरक्षा के लिए "अस्वीकार्य खतरा" माना है. यूएई के विदेश मंत्रालय ने शुक्रवार को एक बयान जारी करते हुए कहा कि वह बाब अल-मंदेब और लाल सागर में समुद्री परिवहन पर हमलों के परिणामों को लेकर चिंतित है. बयान में कहा गया है कि कि इस तरह की कार्रवाइयों से "अंतर्राष्ट्रीय व्यापार, क्षेत्रीय सुरक्षा और वैश्विक हितों" को खतरा है.

हूती लाल सागर में जहाजों पर हमला क्यों कर रहे हैं?
 7 अक्टूबर को जब हमास के आतंकवादियों द्वारा इज़राइल पर हमला किया गया तो इसके बाद इजरायल ने गाजा पर लगातार हमले शुरू कर दिए. हूती विद्रोहियों ने इजरायल से इन हमलों को रोकने को कहा और बदले में ईरान-समर्थिन हूती विद्रोहियों ने अरब सागर और लालग में इजरायल की ओर जाने वाले शिपिंग जहाजों पर हमला करना शुरू कर दिया. हूतियों ने चेतावनी दी है कि जब तक इजरायल हमास के खिलाफ अपने हमले नहीं रोक देता तब तक उसकी कार्रवाई चालू रहेगी.

हूती विद्रोहियों के ठिकानों पर अमेरिका औरब्रिटेन का हमला
लाल सागर में हूतियों के हमलों के जवाब में गुरुवार अमेरिका और ब्रिटेन द्वारा हूती विद्रोहियों के यमन स्थित ठिकानों पर सैन्य हमले किए गए. इस हमले के बाद अब यूएई का रुख सामने आया है.गुरुवार के हमले के बाद अमेरिका ने शुक्रवार को हूती ठिकानों पर एक और हमला किया. व्हाइट हाउस के प्रवक्ता जॉन किर्बी ने कहा कि हमलों का उद्देश्य मिसाइलों या ड्रोनों को एकत्र करने और लॉन्च करने की हूती विद्रोहियों क्षमता को खत्म करना है. अमेरिकी अधिकारी ने कहा कि इन हथियारों का उपयोग हूती विद्रोही लाल सागर में शिपिंग के लिए कर रहे हैं.

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पेंटागन ने पुष्टि की कि अमेरिका और ब्रिटेन के संयुक्त हमले में 28 जगहों पर 60 ठिकानों को निशाना बनाकर किए गए हमले ने हूती विद्रोहियों की क्षमता को काफी कम कर दिया हैं.इस बीच, हूती विद्रोहियों ने कहा कि नवीनतम हमलों में उसके पांच नेता मारे गए हैं. हालाँकि, विद्रोही समूह ने समुद्री जहाजों पर अफने हमले जारी रखने का ऐलान किया है.

लाल सागर में हमले जारी रखेंगे हमले- हूती विद्रोही 

यमन में ब्रिटेन और अमेरिका के हमलों के जवाब में, शुक्रवार को यमन के कई शहरों में हजारों की तादाद में लोगों ने सड़कों पर निकलकर विरोध प्रदर्शन किए. हूती सुप्रीम पॉलिटिकल काउंसिल के सदस्य मोहम्मद अली अल-हूती ने अमेरिका का जिक्र करते हुए कहा, "यमन पर आपके हमले आतंकवाद हैं. अमेरिका शैतान है."

हूती नेताओं ने इस हमले का बदला लेने की कसम खाई है. लेकिन इसके बावजूद अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने शुक्रवार को एक चेतावनी जारी करते हुए कहा कि यदि हूती विद्रोही लाल सागर में व्यापारी और सैन्य जहाजों पर अपने हमले जारी रखते हैं तो वह और हमले करेगा. लाल सागर दुनिया के सबसे आर्थिक रूप से महत्वपूर्ण जलमार्गों में से एक है.

समाचार एजेंसी रॉयटर्स के हवाले से बाइडेन ने शुक्रवार को पेंसिल्वेनिया में मीडिया से बात करते हुए कहा, 'हम यह सुनिश्चित करेंगे कि अगर हूती विद्रोहियों ने अगर इस तरह के हमले जारी रखे तो हम उन्हें जवाब देंगे.'

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कौन हैं हूती ?

हूती विद्रोही संगठन यमन में स्थित एक मिलिशिया समूह हैं जिसका नाम इसके संस्थापक हुसैन बदरेद्दीन अल-हूती से लिया गया है. यह संगठन शिया इस्लाम की जैदी शाखा के साथ जुड़ा हुआ है. 1980 के दशक में इस समूह का उदय हुआ था जिसने यमन में सऊदी अरब के बढ़ते हुए धार्मिक प्रभाव का विरोध किया था. आधिकारिक नाम अंसार अल्लाह के तहत संचालित, समूह में लगभग 20,000 लड़ाके हैं और यमन के पश्चिमी क्षेत्र के अधिकांश हिस्से पर हूती विद्रोहियों का नियंत्रण है.वर्तमान में हूती विद्रोहियों के संगठन का नेतृत्व अब्दुल मलिक अल-हूती कर रहा है.

रॉयटर्स की एक रिपोर्ट के अनुसार, हूती संगठन के मुखिया अब्दुल मलिक अल-हूती की उम्र करीब 40 साल है और इसके निर्देशन में समूह में हजारों लड़ाके हैं. इसके अलावा इस विद्रोही संगठन के पास सशस्त्र ड्रोन और बैलिस्टिक मिसाइलों का एक हथियारों का बड़ा भंडार भी है. अपने इस हथियारों का प्रयोग उसने सऊदी बुनियादी ढांचे पर बार-बार हमला करने के लिए किया.

ईरान समर्थित हूतियों ने तब तक वैश्विक नौवहन को निशाना बनाना जारी रखने का ऐलान किया है जब तक कि इज़राइल हमास को खत्म करने के लिए गाजा पर बमबारी बंद नहीं कर देता है.

हूती हमलों का वैश्विक आर्थिक प्रभाव

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चूंकि गाजा में इज़राइल-हमास युद्ध के बीच जारी युद्ध से शिपिंग लागत और तेल की कीमतों में पहले से ही वृद्धि देखी जा रही है और हूती विद्रोहियों के हमले के बाद कीमतों में और वृद्धि होने की संभावना बढ़ गई है. लाल सागर, के जरिए दुनिया का करीब 12 व्यापार होता है तो समझा जा सकता है कि यह मार्ग पूरी दुनिया के लिए कितनी अहमियत रखता है. ईरान समर्थित हूती विद्रोहियों ने बीते कुछ हफ्तों के दौरान मालवाहक जहाजों पर 20 से अधिक बार हमले किए है जिसकी वजह से कई शिपिंग कंपनियों को इस रूट से अपनी सेवाएं सस्पेंड करनी पड़ी और अलग से लंबा रास्ता अपनाने के लिए मजबूर होना पड़ा है.

लाल सागर तेल की ढुलाई के लिए एक महत्वपूर्ण मार्ग है और दुनिया का लगभग 10 प्रतिशत तेल इसके जल मार्ग से होकर गुजरता है. रॉयटर्स ने बताया कि संकट के कारण नए साल के पहले सत्र में तेल की कीमतों में वृद्धि हुई है, ब्रेंट क्रूड 0.6 प्रतिशत बढ़कर 77.53 डॉलर प्रति बैरल हो गया है. शीर्ष तेल कंपनियों में से एक, ब्रिटिश पेट्रोलियम (बीपी) ने अपने जहाजों का मार्ग बदल दिया है, जिसके परिणामस्वरूप जहाजों के आगमन में देरी होगी और उपभोक्ताओं की जेब पर बोझ पड़ेगा.

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अधिकांश जहाजों को अब अफ्रीका के दक्षिणी सिरे पर केप ऑफ गुड होप के आसपास मोड़ा जा रहा है, जिसके परिणामस्वरूप यात्रा में हजारों मील (लगभग 6,000 किमी) की बढ़ोतरी हुई है, जिससे यात्रा 12-15 दिनों तक बढ़ गई है. सीएनबीसी की एक रिपोर्ट के अनुसार, पिछले कई हफ्तों में 200 बिलियन डॉलर से अधिक का व्यापार पहले ही डायवर्ट किया जा चुका है.

भारत पर प्रभाव
अब तक, इस क्षेत्र में भारत के झंडे वाले व्यापारिक जहाजों को निशाना नहीं बनाया गया है. भारत, जो अपना अधिकांश तेल रूस से आयात करता है, अब तक हमलों से काफी हद तक अछूता रहा है क्योंकि रूसी टैंकरों पर हूती विद्रोहियों द्वारा हमला नहीं किया जा रहा है. ऐसा इसलिए है क्योंकि रूस को ईरान का सहयोगी माना जाता है और उसने कई मौकों पर "गाजा में विनाशकारी मानवीय स्थिति" के बारे में बात की है जिससे इजरायल निराश हुआ.

हालाँकि, यह निर्यात है जो भारत को सबसे अधिक नुकसान पहुंचाएगा, केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने चावल व्यापार पर संभावित प्रभाव को रेखांकित किया. भारत बासमती चावल का एक प्रमुख निर्यातक है जो सालाना लगभग 4 मिलियन टन का निर्यात करता है.

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