
तृणमूल कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव अभिषेक बनर्जी जब 2 साल के थे, वह तब से राजनीति में हैं. ये बातें कहीं अभिषेक बनर्जी की बुआ और बंगाल की सीएम ममता बनर्जी ने. दरअसल, ममता और अभिषेक दक्षिण 24 परगना के काकद्वीप में एक रैली में शामिल हुए. रैली का आयोजन सीएम के भतीजे की 2 महीने की जन संजोग यात्रा का समापन के अवसर पर हुआ था. इस यात्रा का उद्देश्य बंगाल के जनसमूह तक पहुंचना था.
इस दौरान ममता ने कहा कि जब अभिषेक 2 साल का था, तब मुझ पर CPIM ने हमला किया था. तभी से वह राजनीति में हैं. वह पॉलिटिक्स में मेरी वजह से नहीं आया, बल्कि वह उन लोगों के 'प्यार' के कारण राजनीति में आया.

सीएम ममता ने अभिषेक की जमकर तारीफ की. उन्होंने कहा कि आप सभी जन संजोग यात्रा से जुड़े. मैं उन सभी युवाओं, माताओं और बेटियों को धन्यवाद और बधाई देना चाहती हूं जिन्होंने इस यात्रा को सफल बनाने के लिए अभिषेक के साथ हाथ मिलाया. मंच पर अभिषेक की बुआ ममता काफी प्रभावित दिखीं. उन्होंने AITC के अध्यक्ष के रूप में अपनी बातें रखीं. ममता ने कहा कि मैं सीएम के रूप में नहीं बल्कि AITC के अध्यक्ष के रूप में बोलने आई हूं. आज मैं अपने परिवार के खिलाफ बोले गए सभी अपशब्दों का जवाब दूंगी.
सीएम बनर्जी ने कहा कि आज, मैं अभिषेक को एक बच्चे के रूप में उनकी यादों से जुड़ी एक गिफ्ट देना चाहती हूं और यह उन लोगों के मुंह पर करारा तमाचा होगा, जो कहते हैं कि दीदी भाईपो के कल्याण के लिए काम करती है, यह उन लोगों को करारा जवाब होगा जो अभिषेक पर परिवारवाद का मजाक उड़ाते हैं.

ममता ने राजनीति में अपने शुरुआती दिनों से एक किस्सा साझा करते हुए अपने भतीजे के प्रति प्रेम को जाहिर किया. उन्होंने कहा कि 1990 में जब तत्कालीन सत्तारूढ़ सीपीआईएम नेताओं ने उन पर हमला किया था, तब वह अस्पताल में भर्ती थीं. तब अभिषेक उनके लिए बहुत चिंतित थे. वह मेरी मां की गोद में बैठा था और चिंतित होकर मुझे देख रहा था. जब मेरी मां ने मुझसे घटना के बारे में पूछा, तो 2 साल के अभिषेक ने ध्यान से सुना. अगले दिन उन्होंने एक झंडा लिया और 'दीदी के मरले केनो सीपीआईएम, जोबाब दाओ' के नारे लगाए.
इस दौरान सीएम ने एक पुरानी फोटो अभिषेक को भेंट की. इसमें अभिषेक 2 साल के थे और ममता की मां गायत्री देवी की गोद में बैठे हुए दिखाई दे रहे हैं. अभिषेक ने तस्वीर को स्वीकार किया और अपनी बुआ के पैर छूकर सम्मान व्यक्त किया.

अभिषेक ने 2011 में राजनीतिक मैदान में कदम रखा था. इसके बाद टीएमसी ने 3 दशक लंबे सत्तारूढ़ वाम मोर्चा के शासन को हरा दिया था. इसके बाद ममता बनर्जी के युग की शुरुआत हुई. अभिषेक 2021 तक टीएमसी के यूथ विंग के नेता रहे. इसके बाद उन्हें अखिल भारतीय तृणमूल कांग्रेस (AITC) का राष्ट्रीय सचिव बनाया गया.
(रिपोर्ट- दीपानीता दास)