दिल्ली सरकार ने मंत्रालयों से जुड़े अफसरों के खिलाफ कोर्ट जाने का फैसला लिया है. आम आदमी पार्टी की दिल्ली सरकार का कहना है कि मंत्रालयों में तैनात अफसर संबंधित मंत्रियों के निर्देश नहीं मान रहे हैं. उपराज्यपाल भी ऐसे अफसरों पर कार्रवाई नहीं कर रहे हैं. ऐसे में अब कोर्ट ही एकमात्र सहारा है.
दिल्ली सरकार ने एक बयान में कहा, सुप्रीम कोर्ट ने निर्वाचित सरकार को सर्विसेज देने का आदेश दिया था. लेकिन केंद्र सरकार ने जीएनसीटीडी संशोधन अधिनियम लागू कर उस अधिकार को छीन लिया है. यही वजह है कि मंत्रियों के बार-बार निर्देश देने के बाद भी केंद्र सरकार के अधिकारी कार्रवाई नहीं करते हैं और उपराज्यपाल भी मंत्रियों की अपीलों का जवाब नहीं देते हैं.
'मंत्रियों के निर्देश का पालन नहीं करते अफसर'
दिल्ली सरकार ने आगे कहा, नौकरशाहों ने डीजेबी का फंड, फरिश्ते योजना, स्मॉग टावर्स पहल को रोक दिया, जिससे दो करोड़ दिल्लीवासियों को नुकसान हुआ है. नौकरशाह फाइलों को अनिश्चित समय के लिए अपने पास रख लेते हैं और मंत्रियों के निर्देशों का पालन नहीं करते हैं.
'झूठे हलफनामे दायर कर रही हैं AAP सरकार'
इससे पहले गुरुवार को एलजी सचिवालय ने केंद्र सरकार को एक चिट्ठी लिखी थी. इसमें कहा था कि दिल्ली सरकार अदालतों को 'गुमराह' करने की कोशिश कर रही है. ये पत्र केंद्रीय गृह सचिव को लिखा गया है. सचिवालय ने कहा, दिल्ली सरकार सोची-समझी रणनीति की तहत याचिकाएं दायर कर रही है और 'स्पष्ट रूप से झूठे' हलफनामे पेश करके न्याय वितरण प्रणाली को प्रभावित करने की कोशिश कर रही है. उपराज्यपाल सचिवालय के आरोपों पर दिल्ली सरकार ने एक बयान में कहा, उपराज्यपाल ने ऐसे अधिकारियों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की है. उपराज्यपाल मंत्रियों के अनुरोधों का जवाब नहीं देते हैं. अधिकारियों द्वारा मंत्रियों के निर्देशों का पालन नहीं करने पर अदालतें ही अंतिम सहारा हैं.
उपराज्यपाल वीके सक्सेना की मंजूरी के साथ केंद्रीय गृह सचिव को भेजे गए पत्र में कहा गया है, स्पष्ट रूप से झूठे हलफनामे पेश करके अदालतों से समर्थन हासिल करने की कोशिश की जा रही है. यह सब एक गलत नैरेटिव तैयार करने के लिए हैं, ताकि सार्वजनिक डोमेन में उपराज्यपाल के संवैधानिक पद को लेकर गलत संदेश जाए.
AAP सरकार ने कहा कि यह काफी दुर्भाग्यपूर्ण है कि राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली सरकार के अधिकार क्षेत्र का अतिक्रमण करने का प्रयास किया जा रहा है. सुप्रीम कोर्ट ने साफ कहा है कि दिल्ली में लोकतांत्रिक तरीके से चुनी हुई सरकार है जो लोगों के प्रति जवाबदेह है. दिल्ली को संघ की एक यूनिट के रूप में शामिल नहीं किया जा सकता. सहकारी संघवाद की भावना में भारत संघ को संविधान द्वारा बनाई गई सीमाओं के भीतर अपनी शक्तियों का प्रयोग करना चाहिए.