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असम में 'पाक समर्थकों' पर कार्रवाई तेज, अब तक 76 गिरफ्तारियां, विपक्षी विधायक भी गए जेल

असम में पाकिस्तान का समर्थन करने वाले लोगों पर असम सरकार ने कार्रवाई तेज कर दी है. अब तक 76 लोगों को गिरफ्तार किया जा चुका है. पहलगाम आतंकी हमले के बाद शुरू हुई इस कार्रवाई में सोशल मीडिया पर भारत विरोधी और पाकिस्तान समर्थक पोस्ट करने वालों पर कड़ी निगरानी रखी जा रही है. मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा ने साफ किया है कि देशद्रोही गतिविधियों में शामिल किसी भी व्यक्ति को बख्शा नहीं जाएगा.

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यह सांकेतिक तस्वीर है.
यह सांकेतिक तस्वीर है.

असम में पाकिस्तान समर्थकों के खिलाफ चल रही कार्रवाई में और तेजी आई है. मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा ने शनिवार को जानकारी दी कि राज्य में अब तक इस सिलसिले में कुल 76 लोगों को गिरफ्तार किया जा चुका है. यह कार्रवाई 22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकवादी हमले के बाद शुरू की गई थी, जिसमें 26 लोगों की जान गई थी.

मुख्यमंत्री सरमा ने एक्स पर पोस्ट कर बताया कि शुक्रवार को नलबाड़ी, दक्षिण सालमारा और कामरूप जिलों से एक-एक व्यक्ति को गिरफ्तार किया गया है. उन्होंने कहा, 'अब तक असम में पाकिस्तान समर्थकों पर कार्रवाई के तहत 76 लोगों को गिरफ्तार किया जा चुका है.'

न्यूज एजेंसी की रिपोर्ट के मुताबिक असम पुलिस सोशल मीडिया पर ‘भारत विरोधी’ और ‘पाकिस्तान समर्थक’ गतिविधियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई कर रही है. गिरफ्तार किए गए लोगों में विपक्षी पार्टी AIUDF के विधायक अमीनुल इस्लाम का नाम भी शामिल है. 

अमीनुल इस्लाम पर आरोप है कि उन्होंने पहलगाम हमले में पाकिस्तान की भूमिका का बचाव करते हुए बयान दिया था. उन्हें पहले देशद्रोह के आरोप में गिरफ्तार किया गया था. हालांकि, बाद में उन्हें इस मामले में जमानत मिल गई, लेकिन इसके तुरंत बाद उन्हें राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (NSA) के तहत फिर से गिरफ्तार कर लिया गया.

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मुख्यमंत्री सरमा पहले ही यह स्पष्ट कर चुके हैं कि पाकिस्तान समर्थकों और राष्ट्र विरोधी तत्वों के खिलाफ राज्यव्यापी अभियान तब तक जारी रहेगा जब तक समाज से इनकी जड़ें पूरी तरह खत्म नहीं हो जातीं. उन्होंने कहा, 'देशद्रोहियों के खिलाफ कोई नरमी नहीं बरती जाएगी. जो भी भारत विरोधी गतिविधियों में संलिप्त पाया जाएगा, उस पर सख्त से सख्त कार्रवाई की जाएगी.'

इस बीच, इस कार्रवाई को लेकर राज्य में राजनीतिक माहौल भी गर्म हो गया है. विपक्षी दलों ने इसे 'राजनीतिक प्रतिशोध' करार देते हुए सरकार पर अल्पसंख्यकों को निशाना बनाने का आरोप लगाया है. वहीं, सरकार का कहना है कि कानून व्यवस्था बनाए रखने और देशद्रोहियों पर नकेल कसने के लिए यह कार्रवाई जरूरी है.


 

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