केंद्रीय सड़क एवं परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने भाई-भतीजावाद और परिवारवाद की राजनीति पर सीधे हमला बोला है. गडकरी ने कहा, अपनी संस्कृति में कहा गया है- वसुदेव कुटुंबकम. विश्व का कल्याण हो. हमारी संस्कृति में यह कहीं नहीं कहा गया है- पहले मेरा कल्याण हो. पहले मेरे बेटे का कल्याण हो. मेरे दोस्तों का कल्याण हो. राजनीति में कुछ लोग ऐसा बोलते हैं- पहले मेरे बेटे का कल्याण करो. उसे टिकट दो. कुछ भी होगा तो चलेगा, मेरे बेटे को टिकट दो. मेरी पत्नी को टिकट दो. यह क्यों चलता है?
गडकरी ने आगे कहा, चूंकि लोग उनको वोट देते हैं. लेकिन जिस दिन लोगों ने ठान लिया कि इन्हें वोट नहीं करेंगे तो एक मिनट में यह सीधे हो जाएंगे. किसी का बेटा-बेटी हो, लेकिन उन्हें अपनी काबिलियत साबित करना चाहिए.
'परिवारवाद की राजनीति में भरोसा नहीं है'
इससे पहले भी नितिन गडकरी परिवारवाद की राजनीति पर ऐतराज जता चुके हैं. गडकरी कहते हैं कि मुझे परिवारवाद की राजनीति में भरोसा नहीं है. अप्रैल 2024 में परिवारवाद पर गडकरी का कहना था कि पिता और माता द्वारा टिकट मांगना गलत है. बेटे-बेटी का सियासत में आना गलत नहीं है.
'बेटा राजनीति में आना चाहे तो पहले पोस्टर चिपकाए...'
गडकरी ने कहा था कि मेरा कोई बेटा राजनीति में नहीं है. मैंने अपने बेटों से कहा है कि वो राजनीति में आना चाहते हैं तो पहले दीवारों पर पोस्टर चिपकाएं और जमीनी स्तर पर काम करें. मेरी राजनीतिक विरासत पर बीजेपी कार्यकर्ताओं का अधिकार है. गडकरी ने कहा था कि मैंने उनसे (बेटों) कहा, मेरे पुण्य का इस्तेमाल करके राजनीति नहीं आओ. तुमको राजनीति में जाना है तो पहले पोस्टर चिपकाओ और दीवारों पर रंग लगाओ. लोगों के पास जाओ. मेरी विरासत और मेरे किए हुए काम पर अगर किसी का अधिकार है तो बीजेपी के कार्यकर्ताओं का अधिकार है.