scorecardresearch
 

'मुख्यमंत्री किसके दबाव में हिंदी को थोपना चाह रहे हैं?' मराठी अस्मिता को लेकर गरजे राज ठाकरे

महाराष्ट्र में भाषा को लेकर राजनीतिक विवाद फिर गरमा गया है. मनसे अध्यक्ष राज ठाकरे ने राज्य सरकार और केंद्र पर हिंदी को जबरन थोपने का आरोप लगाया. उन्होंने कहा कि मराठी भाषा और संस्कृति को खतरे में डालना अस्वीकार्य है और इसे बर्दाश्त नहीं किया जाएगा.

Advertisement
X
राज ठाकरे ने कहा है कि मराठी स्वाभिमान से समझौता नहीं करेंगे (Photo: ITG)
राज ठाकरे ने कहा है कि मराठी स्वाभिमान से समझौता नहीं करेंगे (Photo: ITG)

महाराष्ट्र में भाषा विवाद को लेकर राजनीति जारी है. मीरा-भायंदर में बुधवार को आयोजित जनसभा को मनसे अध्यक्ष राज ठाकरे ने संबोधित किया है. इस दौरान उन्होंने राज्य सरकार और केंद्र पर जमकर निशाना साधा. उन्होंने हिंदी भाषा को थोपने के प्रयासों के खिलाफ तीखे तेवर दिखाया.

राज ठाकरे ने क्या-क्या कहा?

राज ठाकरे ने कहा कि मुझे यहां आने में दो घंटे लगे, लेकिन मैं जानबूझकर आया हूं. उस दिन जो मीरा-भायंदर में हुआ—व्यापारियों के साथ मारपीट और जबरन मोर्चा—वह बर्दाश्त के बाहर है. अब अगर किसी को मराठी समझ नहीं आ रही है तो कान के नीचे बैठेगा. बिना बात के तूल देते हैं. इस व्यक्ति को अपने एटीट्यूड की वजह से जो हुआ, वो सही हुआ. बाकी व्यापारियों ने खुद बंद की अपील की थी. लेकिन अगर किसी ने दबाव में आकर दुकान बंद की, तो समझ ले.

राज ठाकरे की चेतावनी

उन्होंने चेतावनी देते हुए कहा कि अगर हम कुछ खरीदेंगे ही नहीं, तो दुकान कब तक खुलेगी? आप लोग यहां कमाने आए हैं, चुपचाप रहिए, काम कीजिए. अगर मस्ती की, तो जवाब मिलेगा. 

Advertisement

हिंदी भाषा पर राज्य सरकार के रुख को लेकर राज ठाकरे ने क्या कहा?

राज ठाकरे ने कहा कि राज्य सरकार कहती है कि हिंदी सीखनी चाहिए, तभी से यह सब शुरू हुआ है. कल (गुरुवार) को देवेंद्र फडणवीस कह रहे थे कि तीसरी भाषा के रूप में हिंदी लागू करेंगे ही. अगर राज्य सरकार को राजनीतिक आत्महत्या करनी है, तो करे. मैं चुनौती देता हूं — अगर पहली से पांचवीं तक हिंदी लागू करने की कोशिश की, तो मैं स्कूल बंद करवा दूंगा.

मुख्यमंत्री किसके दबाव में हिंदी को थोपना चाह रहे हैं? यह तो पहले से केंद्र की साजिश रही है. जब कांग्रेस सत्ता में थी, तब से यह योजना चल रही है. मुंबई को महाराष्ट्र से अलग करने की कोशिशें पहले भी हुई हैं. गुजरात के व्यापारी तब भी शामिल थे.

इतिहास का दिया हवाला

उन्होंने कहा कि वल्लभभाई पटेल ने भी कहा था कि मुंबई को महाराष्ट्र में नहीं मिलना चाहिए. हर आंदोलन पर इन लोगों ने गोलियां चलाईं. इनकी नजरें सालों से मुंबई पर हैं. पहले भाषा का प्रयोग किया जाएगा, फिर मुंबई को गुजरात में शामिल करने की योजना है. यह सब मराठी समाज की परीक्षा लेने के लिए हो रहा है. अगर भाषा खत्म हो गई, तो पहचान खत्म हो जाएगी। गुजरात में बिहारियों को मारा गया, 20 हजार लोगों ने गुजरात छोड़ दिया, लेकिन क्या किसी हिंदी चैनल ने दिखाया?

Advertisement

यह भी पढ़ें: उद्धव ठाकरे को फडणवीस से मिले ऑफर में राज ठाकरे की कितनी भूमिका है?

मराठी भाषा का इतिहास

राज ठाकरे ने कहा कि मराठी भाषा का इतिहास 3 हजार साल पुराना है. इसे अभिजात भाषा का दर्जा मिला है. हिंदी भाषा सिर्फ बॉलीवुड का भला कर रही है, ना कि यूपी-बिहार का. अगर खुद का ही भला नहीं हो रहा, तो इसे हम पर क्यों थोपा जा रहा है? हिंदी किसी की मातृभाषा नहीं है. इसने कई भाषाओं को मिटा दिया है.

हनुमान चालीसा हिंदी में नहीं, अवधी में है. इन लोगों को भाषाओं से प्रेम नहीं है. मुझे हर भाषा से प्रेम है. मेरी हिंदी महाराष्ट्र के किसी भी नेता से बेहतर है, क्योंकि मेरे पिता ने मुझे सिखाई. हिंदी गलत भाषा नहीं है, लेकिन जबरन थोपी गई तो विरोध होगा. हम हिंदू हैं, हिंदी नहीं.

उन्होंने कहा कि अगर हिम्मत है, तो मराठी भाषा को छूकर दिखाएं. मैं 20 साल से कह रहा हूं — ये सिर्फ लोग नहीं आ रहे हैं, ये अपना वोट बैंक बना रहे हैं. एक दिन ये बाहर वालों को यहां से निकाल देंगे. ये सब मुंबई को गुजरात को सौंपने की साजिश का हिस्सा है.

---- समाप्त ----
Live TV

Advertisement
Advertisement