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पुरुषों को भेज देते थे जंगल, महिलाओं-बच्चों से खेतों में कराते थे काम... मुक्त कराए गए 26 बंधुआ मजदूरों की कहानी!

महाराष्ट्र के पुणे जिले में स्थित चारकोल निर्माण इकाई से 26 बंधुआ मजदूरों और उनके परिवारों को मुक्त कराया गया है. यहां से कुल 48 लोगों को निकालने में एक एनजीओ और प्रशासन की टीम ने भूमिका निभाई. इस मामले में पुलिस ने आरोपी सयाजी बंदलकर के खिलाफ भारतीय न्याय संहिता और बंधुआ मजदूरी उन्मूलन अधिनियम के तहत मामला दर्ज किया है.

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बंधुआ मजदूरों को कराया मुक्त. (Photo: AI)
बंधुआ मजदूरों को कराया मुक्त. (Photo: AI)

महाराष्ट्र के पुणे जिले के इंदापुर तहसील स्थित गिरवी गांव में एक चारकोल निर्माण इकाई से 26 बंधुआ मजदूरों को उनके परिवार सहित मुक्त कराया गया है. इस बचाव अभियान में कुल 48 लोगों को बंधुआ मजदूरी से आजादी दिलाई गई है. पुलिस ने आरोपी के खिलाफ केस दर्ज कर मामले की जांच पड़ताल शुरू कर दी है.

एजेंसी के अनुसार, जिन मजदूरों को मुक्त कराया गया है, वे महाराष्ट्र के रायगढ़ जिले के रहने वाले हैं. उन्होंने इस मामले की शिकायत दर्ज कराई थी, जिसके आधार पर पुलिस ने कार्रवाई को अंजाम दिया. शिकायत में कहा गया है कि सयाजी बंदलकर नाम का व्यक्ति उन्हें जबरन श्रम करवाने के लिए मजबूर कर रहा था.

बंदलकर ने पुरुष मजदूरों को जंगल से लकड़ी लाने के लिए बाध्य किया, जबकि महिलाओं और बच्चों को जबरन चारकोल निर्माण स्थल पर ही बंधक बनाकर रखा था.

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इसके अलावा महिलाओं और बच्चों को खेतों में भी काम करने के लिए मजबूर किया जाता था. जब एक एनजीओ को इन बंधुआ मजदूरों की दुर्दशा के बारे में पता चला तो उन्होंने प्रशासन के साथ मिलकर कार्रवाई की और सभी मजदूरों व उनके परिवार को मुक्त कराया.

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इस मामले में सयाजी बंदलकर के खिलाफ भारतीय न्याय संहिता और बंधुआ मजदूरी उन्मूलन अधिनियम के तहत मामला दर्ज किया गया है. इंदापुर तहसीलदार ने मजदूरों को आधिकारिक दस्तावेज जारी कर उन्हें बंधुआ मजदूरी से मुक्त घोषित कर दिया है. इस पूरे मामले में प्रशासन आगे की जांच कर रहा है और मजदूरों को पुनर्वास योजना का लाभ दिलाने की प्रक्रिया जारी है.

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