महाराष्ट्र के चंद्रपुर जिले में जंगल में गूंजती बाघ की दहाड़ ने कई गांवों को दहशत में डाल दिया है. महज तीन दिनों में बाघ के हमले में पांच महिलाओं की जान चली गई. ये सभी महिलाएं गांव के पास जंगल में तेंदू पत्ता तोड़ने गई थीं. ऐसे में तेंदू पत्ता तोड़ने का मौसमी रोजगार अब ग्रामीणों के लिए मौत का कारण बन गया. चंद्रपुर में मानव वन्य जीव संघर्ष एक बड़ी समस्या बन गया है, जनवरी 2025 से अब तक बाघ के हमले में कुल 17 लोगों की जान चली गई है.
10 मई को हुई घटना में 65 साल की कांता बुधाजी चौधरी, इसके बाद 28 साल की शुभांगी मनोज चौधरी और 50 साल की रेखा शालिक शेंडे की मौत हुई, ये सभी मृतक मेंढा-माल गांव की ही निवासी थीं और इनमें सास-बहू भी शामिल हैं . इसके बाद 11 मई की घटना में 65 साल की विमला बुधा डोंडे की दर्दनाक मौत हुई है, जो की मूल तहसील के महादवाड़ी गांव की रहने वाली थी. वहीं 12 मई को 28 साल की भूमिका दीपक भेंदारे जो की मूल तहसील के भादूरणा गांव की निवासी थी की मौत हुई है.
मेंढा-माल गांव के चौधरी परिवार पर तो दुखों का पहाड़ टूट पड़ा है, यहां मनोज चौधरी की पत्नी और मां की बाघ के हमले में मौत हो गई है. घर में दो ही महिलाएं थी दोनों महिलाओं की मौत के बाद अब घर में दो छोटे बच्चे 10 वर्षीय शोहम और 8 वर्षीय आराध्य और पिता मनोज चौधरी ही बचे हैं. मनोज के पिता की मौत पहले ही हो चुकी है. ये पूरा परिवार गम में डूबा है. मनोज को अब दोनों बच्चों के परवरिश की चिंता सता रही है.
मनोज खुद मजदूरी करता है, अपने पत्नी और मां की फोटो देख कर अपना गम भुलाने की कोशिश कर रहा है. आंखों में आंसू लिए मनोज अपने पत्नी और मां की तस्वीर को निहार रहा है. गांवों में तेंदूपत्ता तोड़ना गर्मियों में रोजगार का बड़ा जरिया होता है. लेकिन अब यही रोजी-रोटी का साधन जान का जोखिम बन गया है. लगातार हो रही घटनाओं ने ग्रामीणों को भयभीत कर दिया है. ग्रामीणों का कहना है कि हर साल गर्मियों में तेंदूपत्ता संग्रहण के जरिए उन्हें रोज़गार मिलता है, लेकिन अब बाघ के हमलों ने उन्हें अपनी जान जोखिम में डालने पर मजबूर कर दिया है.
लगातार हो रही घटनाओं के बाद गांवों में डर और आक्रोश का माहौल है. लोग अब यह सवाल पूछ रहे हैं कि क्या अपनी रोज़ी-रोटी के लिए अब जान गंवाना ही विकल्प रह गया है. इस गंभीर घटना के बाद वन विभाग ने तीन महिलाओं को एक साथ मारने वाली बाघिन को पकड़ने के लिए 34 ट्रैप कैमरे और 8 लाइव कैमरे लगाकर बाघ पर लगातार नजर बनाई थी और कल याने 12 मई को आखिरकार बाघ को बेहोश कर पिंजरे में डाल दिया गया है.वन विभाग के मुताबिक इस बाघिन का एक शावक है जिसकी तलाश जारी है
जिले में बाघों के लिए मशहूर ताडोबा टाइगर रिजर्व है. ताडोबा और पूरे जिले में कुल 220 के करीब बाघ होने की जानकारी है, और 2025 में अब तक 17 लोग बाघ के शिकार हुए है. पुरे महाराष्ट्र में चंद्रपुर जिले में बाघों की संख्या सर्वाधिक है. ऐसे में जंगल अब बाघों के लिए छोटा पड़ रहा है और इंसानों के साथ उनका संघर्ष और टकराव बढ़ता जा रहा है.