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मुंबई: रोड रेज में महिला से बदसुलूकी युवक को पड़ी भारी, हुई 6 महीने की जेल

अदालत ने कहा कि समाज में हर महिला को सम्मान के साथ जीने का अधिकार है. इस मामले में महिला के सम्मान के अधिकार पर हमला हुआ है, जो उनका मौलिक अधिकार है. इसलिए, आरोपी की उम्र और अच्छे व्यवहार पर उसे जुर्माने पर रिहा नहीं किया जा सकता.

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महिला को गाली देने और अश्लील इशारा करने का आरोप
महिला को गाली देने और अश्लील इशारा करने का आरोप
स्टोरी हाइलाइट्स
  • 66 साल की महिला को किया था अश्लील इशारा
  • रोड रेज में सड़क पर महिला को दी थी गाली
  • अदालत ने 6 साल जेल की सजा सुनाई

मुंबई में गिरगांव मजिस्ट्रेट कोर्ट ने रोज रेज के एक मामले में, 33 वर्षीय युवक को 6 महीने जेल की सजा सुनाई है. उसपर महिला को गाली देने और अश्लील इशारा करने का आरोप था. 

क्या है मामला

यह मामला 17 सितंबर 2018 का है, जब एक 66 वर्षीय महिला और उसका बेटा गाड़ी से अपने ऑफिस जा रहे थे. जब वे मुंबई में महालक्ष्मी के पास कैडबेरी जंक्शन पहुंचे, तब एक लाल कार ने उन्हें बाईं ओर से ओवरटेक किया. ह्यूजेस रोड पर उन्हें फिर वही कार दिखी जो उन्हें ओवरटेक करने की कोशिश कर रही थी. कुछ देर में वह कार उनके बराबर आकर रुक गई. कार के ड्राइवर ने खिड़की का शीशा नीचे कर महिला और उसके बेटे को अपनी मिडिल फिंगर दिखाई और उन्हें गाली देना शुरू कर दिया. जब बेटे ने उसे रोकना चाहा तो व्यक्ति सिग्नल तोड़कर वहां से भाग गया. इसके बाद मामले पर केस दर्ज किया गया.

वकील भी अपराध का शिकार हो सकता है

आरोपी अनिकेत पटेल ने अपने बचाव में कहा था कि महिला का बेटा एक वकील है, इसलिए उसने उसके खिलाफ झूठा मामला दर्ज कराया था. इसपर मजिस्ट्रेट नदीम ए पटेल ने कहा कि महिला का बेटा अगर वकील है तो इसका मतलब यह नहीं है कि पुलिस झूठी एफआईआर दर्ज कर सकती है. वकील भी अपराध का शिकार हो सकता है. निश्चित रूप से गलत करने वाले के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी. 

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समाज में हर महिला को सम्मान के साथ जीने का अधिकार 

मजिस्ट्रेट पटेल ने महसूस किया कि अपराध की गंभीरता और प्रकृति को देखते हुए आरोपी को सजा दी जानी चाहिए, नहीं तो समाज में गलत संदेश जाएगा. उन्होंने कहा कि समाज में हर महिला को सम्मान के साथ जीने का अधिकार है. इस मामले में महिला के सम्मान के अधिकार पर हमला हुआ है, जो उनका मौलिक अधिकार है. इसलिए, आरोपी की उम्र और अच्छे व्यवहार पर उसे जुर्माने पर रिहा नहीं किया जा सकता. अगर आरोपी के प्रति अनुचित उदारता दिखाई जाती है तो इससे समाज में गलत संदेश जाएगा.

 

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