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जम्मू-कश्मीर से धारा 370 हटाने के विरोध में PDP का कार्यक्रम, प्रशासन ने नहीं दी इजाजत

पीडीपी ने जम्मू-कश्मीर को स्पेशल स्टेटस देने वाली धारा 370 और 35ए को निरस्त करने की बरसी पर शनिवार को एक कार्यक्रम आयोजित करने की अनुमति मांगी थी. प्रशासन ने इस कार्यक्रम की इजाजत देने से इनकार कर दिया है.

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पीडीपी के कार्यक्रम को नहीं मिली अनुमति (फाइल फोटो)
पीडीपी के कार्यक्रम को नहीं मिली अनुमति (फाइल फोटो)

केंद्र सरकार द्वारा जम्मू-कश्मीर से धारा 370 हटाए जाने की चौथी बरसी पर पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (PDP) ने एक कार्यक्रम आयोजित करने के लिए अनुमति मांगी थी. श्रीनगर प्रशासन ने पीडीपी को इसकी अनुमति देने से इनकार कर दिया है. 

पीडीपी ने जम्मू-कश्मीर को स्पेशल स्टेटस देने वाली धारा 370 और 35ए को निरस्त करने की बरसी पर शनिवार को एक कार्यक्रम आयोजित करने की अनुमति मांगी थी. पार्टी ने पहले कहा था कि उसने यहां पीडीपी मुख्यालय के पास शेर-ए-कश्मीर पार्क में होने वाले कार्यक्रम के लिए कश्मीर से समान विचारधारा वाले दलों को आमंत्रित किया है.  

प्रशासन ने अनुमति देने से किया इनकार

पीडीपी के एक प्रवक्ता ने बताया कि 4 अगस्त, 2023 की शाम करीब 5 बजे हमें अनुमति देने से इनकार कर दिया गया है, जबकि बीजेपी द्वारा जवाहर नगर पार्क में एक कार्यक्रम को आयोजित करने और धारा 370 निरस्त करने का जश्न मनाने के लिए नेहरू पार्क से एसकेआईसीसी तक एक रैली को आयोजित करने की इजाजत दी गई है.  

प्रशासन के दोहरे रवैया की निंदा: पीडीपी

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प्रवक्ता ने कहा कि प्रशासन के दोहरे रवैये की हम कड़ी निंदा करते हैं. यह बार-बार पुष्टि करता है कि प्रशासन और देश दोनों नियमों और संविधान के अनुसार नहीं बल्कि बीजेपी द्वारा निर्धारित राजनीतिक एजेंडे के अनुसार चलते हैं. 

केंद्र सरकार ने निरस्त कर दी थी धारा 370

केंद्र सरकार ने 5 अगस्त 2019 को जम्मू-कश्मीर से धारा 370 को खत्म कर दिया था. इसके साथ ही जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में भी बांट दिया था. अब दोनों ही केंद्र शासित प्रदेश हैं. जम्मू-कश्मीर में विधानसभा है, जबकि लद्दाख में विधानसभा नहीं है. हालांकि, सरकार का कहना है कि सही समय आने पर जम्मू-कश्मीर को पूर्ण राज्य का दर्जा दे दिया जाएगा. 

जम्मू-कश्मीर से धारा 370 खत्म होने के बाद अब जम्मू-कश्मीर भी देश के बाकी राज्यों जैसा हो गया है. पहले केंद्र सरकार का कोई भी कानून यहां लागू नहीं होता था, लेकिन अब यहां केंद्र के कानून भी लागू होते हैं. इतना ही नहीं, जम्मू-कश्मीर में कई समुदायों को कई सारे अधिकार भी नहीं थी, लेकिन अब सभी अधिकार भी मिलते हैं.
 

 

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