जम्मू कश्मीर 33 हिंदू चेहरे चुनावी रण जीतकर विधानसभा पहुंचने में सफल रहे हैं. विधानसभा चुनाव जीतने वाले 33 हिंदू नेताओं में सबसे ज्यादा 28 भारतीय जनता पार्टी के टिकट पर चुनाव जीते हैं तो वहीं नेशनल कॉन्फ्रेंस के टिकट पर भी दो नेता विजयी रहे हैं. तीन हिंदू नेता बतौर निर्दलीय चुनावी व्यूह भेद विधानसभा पहुंचने में सफल रहे हैं. तीन निर्दलीयों में से एक इंदरवाल सीट से विधायक प्यारे लाल शर्मा ने सरकार बनाने जा रहे नेशनल कॉन्फ्रेंस और कांग्रेस गठबंधन के समर्थन का ऐलान कर दिया है. इसके साथ ही नेशनल कॉन्फ्रेंस के साथ हिंदू विधायकों की संख्या अब तीन पहुंच गई है. उमर अब्दुल्ला की पार्टी का समर्थन कर रहे ये तीन हिंदू विधायक कौन हैं?
1- सुरेंद्र चौधरी
सुरेंद्र चौधरी राजौरी जिले की नौशेरा विधानसभा सीट से नेशनल कॉन्फ्रेंस के उम्मीदवार थे. सुरेंद्र चौधरी ने नौशेरा के चुनावी दंगल में बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष रवींद्र रैना को पटखनी दी है. प्रभावशाली हिंदू चेहरों में गिने जाने वाले सुरेंद्र नेशनल कॉन्फ्रेंस में शामिल होने से पहले महबूबा मुफ्ती की अगुवाई वाली पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) में भी रहे हैं. पीडीपी ने 2014 के जम्मू कश्मीर चुनाव में सुरेंद्र को इसी सीट से टिकट भी दिया था और तब रवींद्र रैना 10 हजार वोट से अधिक के अंतर से विजयी रहे थे. 2014 के चुनाव में रवींद्र रैना और सुरेंद्र चौधरी में मारपीट की घटना भी हुई थी. रवींद्र रैना को इस लड़ाई में काफी चोट आई थी और उन्हें मेडिकल कॉलेज में भर्ती कराया गया था. इस बार इन दो प्रतिद्वंदियों की चुनावी फाइट में बाजी 7819 वोट के अंतर से सुरेंद्र चौधरी के हाथ आई.
2- अर्जुन सिंह राजू
अर्जुन सिंह राजू रामबन से नेकां के टिकट पर चुनाव जीतने वाले दूसरे हिंदू चेहरे हैं. राजू ने अपने निकटतम प्रतिद्वंदी निर्दलीय उम्मीदवार सूरज सिंह परिहार को करीब नौ हजार वोट के अंतर से हरा दिया. इस सीट से बीजेपी के उम्मीदवार राकेश सिंह ठाकुर तीसरे नंबर पर रहे. पीर पंजाल घाटी में स्थित रामबन जिले की रामबन सीट से पिछली बार बीजेपी उम्मीदवार को जीत मिली थी. अर्जुन सिंह राजू ने ये सीट बीजेपी से झटक नेशनल कॉन्फ्रेंस के गठबंधन में डाल दिया है.
3- प्यारे लाल शर्मा
प्यारे लाल शर्मा किश्तवाड़ जिले की इंदरवाल विधानसभा सीट से निर्दलीय विधायक निर्वाचित हुए हैं. इस सीट पर दो निर्दलीयों के बीच हुए मुकाबले में बाजी प्यारे लाल के हाथ लगी. निर्दलीय गुलाम मोहम्मद सरूरी दूसरे, कांग्रेस के मोहम्मद जफरुल्ला तीसरे और बीजेपी के तारक हुसैन कीन चौथे नंबर पर रहे. प्यारे लाल शर्मा ने उमर अब्दुल्ला की अगुवाई में गठित होने जा रही सरकार के समर्थन का ऐलान कर दिया है.
ये निर्दलीय उम्मीदवार भी जीते जो हिंदू हैं
प्यारे लाल शर्मा के अलावा जो दो अन्य निर्दलीय उम्मीदवार चुनाव जीतकर विधानसभा पहुंचे हैं, उनमें छंब सीट से सतीश शर्मा और बानी सीट से डॉक्टर रामेश्वर सिंह के नाम भी शामिल हैं. गौरतलब है कि जम्मू कश्मीर विधानसभा चुनाव में कुल सात निर्दलीयों को जीत मिली है. बता दें कि जम्मू कश्मीर के चुनाव में नेशनल कॉन्फ्रेंस 42 सीटें जीतकर सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरी है. नेशनल कॉन्फ्रेंस की अगुवाई वाले गठबंधन को 49 सीटों पर जीत मिली है. बीजेपी 29 सीटें जीतकर दूसरे स्थान पर रही. बीजेपी की सभी 29 सीटें जम्मू रीजन से ही आई हैं.
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जम्मू की सियासत से बैलेंस बनाना चुनौती
उमर अब्दुल्ला की अगुवाई में सरकार बनाने जा रही नेशनल कॉन्फ्रेंस के सामने सबसे बड़ी चुनौती जम्मू की सियासत से बैलेंस बनाकर चलने की होगी. नेशनल कॉन्फ्रेंस कभी पैन जम्मू कश्मीर पार्टी हुआ करती थी जिसका दायरा सिमटकर अब घाटी और घाटी से सटे जम्मू के मुस्लिम बाहुल्य जिलों तक ही रह गया. नेशनल कॉन्फ्रेंस की सहयोगी कांग्रेस भी जम्मू रीजन में कोई कमाल नहीं दिखा सकी और सिर्फ एक सीट ही जीत सकी. जानकारों की मानें तो नेशनल कॉन्फ्रेंस की कोशिश घाटी का आधार बचाए रखते हुए जम्मू की सियासत में अपनी पुरानी जमीन तलाशने की होगी.
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कश्मीर और जम्मू, दोनों रीजन के सेंटीमेंट अलग हैं. पिछली सरकारों में जम्मू क्षेत्र की उपेक्षा के आरोप भी लगते रहे हैं. ऐसे में नेशनल कॉन्फ्रेंस की भावी सरकार के सामने विरोधाभासी सेंटीमेंट को बैलेंस कर आगे की राह तय करने की चुनौती होगी. नेशनल कॉन्फ्रेंस क्या जम्मू की सियासत को बैलेंस कर चल पाएगी? ये आने वाला वक्त बताएगा.