हिमाचल प्रदेश के मंडी से एक वीडियो तेजी से वायरल हुआ है. जहां एक तपस्वी भारी बर्फबारी में पहाड़ों पर बैठकर तपस्या कर रहा है. वीडियो के वायरल होने के बाद बहस छिड़ गई है, कुछ लोग इसे AI तकनीक से बनाया वीडियो बता रहे हैं तो कोई सनातम धर्म का हवाला दे रहा है.
सोशल मीडिया पर छिड़ी है बहस
यह वीडियो कुल्लू के सराज घाटी का बताया जा रहा है. बर्फ की फांहों में लिपटे योगी का नाम सत्येंद्र नाथ है, जो मूल रूप से कुल्लू के ही बंजार के रहने वाले हैं. बताया जाता है कि मंडी के बाली चौकी स्थित कौलांतक पीठ नाम से आश्रम में यह पिछले 20-22 साल से साधना कर रहे हैं.
बताया जा रहा है कि सत्येंद्र नाथ गुरू ईशनाथ के शिष्य बताए जा रहे हैं. जिसकी वजह से उन्हें ईशपुत्र बताया जाता है. सत्येंद्र नाथ जिस कौलांतक पीठ सके ताल्लुक रखते हैं, वह हिमालय के सिद्धों की एकमात्र पीठ है. यह पीठ देव परंपरा को आधार मान कर चलती है. वहीं ईशपुत्र को मानने वाले कई देशों में फैले हुए हैं. एक अनुमान के अनुसार करीब आठ देशों में कौलांतक योग पीठ योग और देवधर्म का प्रचार कर रही है.
शिष्यों ने गुरु का वीडियो बनाकर किया वायरल
बताया जाता है कि बाल्यकाल से ही ईशपुत्र अपने एक अन्य गुरु सिद्ध सिद्धांत जी के बताए मार्ग पर चलकर साधाना का अभ्यास कर रहे हैं. कॉलेक की पढ़ाई के बाद से ही सत्येंद्र नाथ कौलांतक पीठ की जिम्मेदारी संभाल ली थी. बताया जा रहा है कि ईशपुत्र लगभग एक महीने से साधना अभ्यास में लगे हुए थे. उनके साथ इस काम में उनके दो शिष्य भी शामिल थे. योग साधना के दौरान ही वहां बर्फबारी शुरू हो गई. ऐसे में उनके शिष्यों में बर्फबारी के बीच साधना में लीन अपने गुरु की वीडियो बनाकर वायरल कर दिया.
सत्येंद्र नाथ बाल्यकाल से ही बर्फ में साधना कर रहे हैं
ईशपुत्र के राहुल नाम के शिष्य ने यह वीडियो बनाया था. इसके बाद इसे सोशल मीडिया पर वायरल कर दिया गया. बताया जाता है कि राहुल ईशपुत्र के संदेशों को दुनियाभर में फैलाने के लिए उनकी साधना अवस्था का वीडियो बनाता है. ताकि उनके संदेश उनके मानने वालों तक पहुंच सके. इसी उद्देश्य से यह बर्फ वाली वीडियो भी रिकॉर्ड की गई थी. उस दौरान राहुल के साथ उनका एक और शिष्य सावर्णिनाथ भी मौजूद थे. उनके अनुसार अग्नि योग का अभ्यास था, न कि कोई चमत्कार. इसे कोई भी मनोयोग से सीखकर अभ्यास कर सकता है.
बताया जाता है कि योगी सत्येंद्र नाथ बाल्यकाल से ही बर्फ की साधना का अभ्यास करते थे. इसिलए बर्फबारी के बीच इस तरह की साधना में लीन रहना उनके लिए कोई असंभव कार्य नहीं है. फिर भी बिना अभ्यास के ऐसा करने वालों के लिए यह खतरनाक साबित हो सकता है. क्योंकि अभ्यास के द्वारा ही बर्फ के बीच रहा जा सकता है.
क्या है हिम साधना
हिमालय योग परंपरा के अनुसार योगियों के लिए हिम एकरूलपतका, सत्य और शांति का प्रतीक है. यही कारण है कि पर्वतों पर बर्फबारी के बीच हिम साधना की जाती है. इसकी सारी विधियां हिमालय की सिद्ध परंपरा के एक ग्रंथ श्वेत मेरु कल्प में वर्णित है. इनके अभ्यास से ही योगी कुंडलिनी ऊर्जा को जागृत कर सकते हैं. बताया जाता है कि सूर्य नाड़ी पर ध्यान करने और अग्नि बीज मंत्र के अभ्यास से ही योगी बर्फबारी को भी सहने के अभ्यस्त हो जाते हैं.
साधना से हिमालय की ऊर्जा मिलती है
हिमालय योग परंपरा के अनुसार सिद्ध योगी खुद पर पूर्ण नियंत्रण पाने के लिए हिम साधना का अभ्यास करते हैं. इससे ध्यान समाधी की गहरायी का अनुभव होता है. बताया जाता है कि इसके अभ्यास से हिमालय की ऊर्जा मिलती है, जो समाधी में जाने में सहयोग करती है. दरअसल, हिम साधना से कुंडलिनी ऊर्जा को नियंत्रित करने में हिम की शीतलता प्रदान करती है.