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'इंडिगो फ्लाइट कैंसिल थी, मुझे बेटे का एग्जाम दिख रहा था…' रातभर 800KM तक कार दौड़ाने वाले पिता की आपबीती

इंडिगो एयरलाइंस की फ्लाइट रद्द होने के बाद रोहतक के एक पिता ने बेटे की एग्जाम के लिए करीब 800 किलोमीटर तक पूरी रात कार दौड़ाई. बेटा कार में पढ़ाई करता रहा. रोहतक के राजनारायण पंघाल सुबह तक इंदौर पहुंच गए और बेटे को स्कूल छोड़ा. नींद, थकान और जोखिम के बावजूद यह सफर एक पिता के जज्बे और जिम्मेदारी की मिसाल बन गया. राजनारायण ने सुनाई पूरी कहानी...

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इंडिगो फ्लाइट कैंसिल होने के बाद राजनारायण पंघाल ने बेटे के लिए दौड़ाई थी कार. (Photo ITGD)
इंडिगो फ्लाइट कैंसिल होने के बाद राजनारायण पंघाल ने बेटे के लिए दौड़ाई थी कार. (Photo ITGD)

इंडिगो एयरलाइन की फ्लाइट कैंसिल होने के बाद रोहतक के एक पिता ने जो फैसला लिया, वो एक मिसाल बन गया है. दरअसल, रोहतक के मायना गांव के रहने वाले राजनारायण पंघाल का बेटा आशीष 12वीं क्लास में है. आशीष की प्री-बोर्ड परीक्षा इंदौर में होनी थी. जब राजनारायण बेटे को लेकर दिल्ली एयरपोर्ट पहुंचे तो पता चला कि इंडिगो की फ्लाइट कैंसिल है. सुबह बेटे की एग्जाम थी, तो पिता ने तुरंत कार से सफर करने का फैसला कर लिया. इसके बाद करीब 800 किलोमीटर तक पूरी रात कार दौड़ाई. राजनारायण ने उस सफर की कहानी बयां की है.

मायना गांव के युवा निशानेबाज और इंदौर स्थित प्रतिष्ठित डेली कॉलेज के स्टूडेंट आशीष 12वीं के छात्र हैं. वे छुट्टियों में अपने घर रोहतक के मायना गांव आए हुए थे. 8 दिसंबर से उनकी प्री-बोर्ड परीक्षा शुरू होनी थी. इसके पहले 6 दिसंबर की शाम उन्हें इंदौर के डेली कॉलेज में सम्मानित किया जाना था. उनके पिता राजनारायण ने उन्हें दिल्ली एयरपोर्ट से इंदौर तक ले जाने का प्लान बनाया था.

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हालांकि, जैसे ही वे एयरपोर्ट पहुंचे, पता चला कि इंडिगो की फ्लाइट कैंसिल हो गई है. इस खबर से उनकी चिंता बढ़ गई. फ्लाइट कैंसिल होने की वजह से आशीष का अवार्ड समारोह भी मिस होने का डर था और प्री-बोर्ड परीक्षा के समय पर पहुंचने का भी सवाल खड़ा हो गया. इसके अलावा, ट्रेन में तत्काल सीट पक्की करना भी मुश्किल था.

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ऐसे में राजनारायण पंघाल ने निर्णय लिया कि बेशक इंडिगो की फ्लाइट रद्द हो गई हो और ट्रेन में भी सीट पक्की न हो, वे बेटे को हर हाल में समय पर इंदौर पहुंचाएंगे. 

राजनारायण ने कहा कि छह दिसंबर की शाम हम दिल्ली एयरपोर्ट पहुंचे, वहां हमें पता चला कि फ्लाइट कैंसिल हो गई है. पहले हमें नहीं पता था कि ऐसा होगा. अगर 24 घंटे पहले पता हो जाता तो कुछ और इंतजाम करते. ट्रेन और बस के विकल्प देखने के बाद भी समय कम था. इसलिए मैंने निर्णय लिया कि हम कार से ही इंदौर निकलेंगे. 

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राजनारायण पंघाल ने कहा कि एयरपोर्ट पर सूर्यास्त होता गया. मेरी चिंता बढ़ती गई तो मैं गाड़ी उठा के निकल पड़ा इंदौर की तरफ. बेटा कार में पढ़ता रहा. हमने घर में भी बाद में इस बारे में बताया कि हम गाड़ी से ही निकल लिए थे. हम लगातार चलते रहे. नींद भी आ रही थी. चार बजे के आस-पास दो तीन बार नींद आई. मैंने कार साइड में लगाई, आंखों पे पानी मारा, चाय पी और फिर धीरे-धीरे पचास साठ की स्पीड से चला. सुबह सात बजे मैंने बेटे को स्कूल छोड़ दिया. 

उन्होंने कहा कि मेरे पास इंडिगो की मेल आई कि आपने फ्लाइट मिस कर दी. अब जो फ्लाइट उड़ी ही नहीं तो उसको मैं मिस कैसे कर सकता हूं. अगर हम यह सोचकर निकलते कि हमें 800 किलोमीटर जाना है तो शायद उस सफर को मैं पूरा नहीं कर पाता... लेकिन मुझे मेरा बेटा दिखाई दे रहा था... उसका एक्जाम दिखाई दे रहा था तो मेरे अंदर पता नहीं कहां से इतनी हिम्मत आई कि मैं पूरी रात ड्राइव कर पाया. 

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राजनारायण पंघाल ने बताया कि प्री-बोर्ड परीक्षा उनके बेटे के लिए बेहद महत्वपूर्ण थी. जून में फाइनल एग्जाम होंगे और प्री-बोर्ड की मार्कशीट के बिना अगले एडमिशन या कॉलेज एप्लिकेशन के लिए जरूरी डॉक्यूमेंट नहीं बन पाएंगे. इसलिए हमें कोई भी रिस्क नहीं लेना था. यही वजह थी कि हमने रातभर कार चलाई.

पिता ने इंडिगो की फ्लाइट कैंसिलेशन की वजह से हुई परेशानी पर भी बात की. उन्होंने कहा कि एयरलाइन ने यात्रियों को समय पर सूचना नहीं दी. हमें एयरपोर्ट जाकर पता चला. अगर हमें पहले पता चलता तो कोई और व्यवस्था करते. फ्लाइट रद्द होने के कारण अन्य यात्रियों को भी परेशानी हुई होगी. किसी का एक्जाम, किसी का जॉब, किसी का अवार्ड सेरेमनी... सब प्रभावित हुए. राजनारायण ने कहा कि मुझे बेटा दिखाई दे रहा था. उसका एग्जाम दिख रहा था. यही हिम्मत और प्रेरणा थी. हालांकि यह रिस्की था. मैं किसी को सलाह नहीं दूंगा कि ऐसा करें, लेकिन हमारे पास कोई और विकल्प नहीं था.

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