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गर्मी उतनी है नहीं, जितनी ज्यादा लग रही... समझ लीजिए क्या होता है Feel like टेंपरेचर

थर्मामीटर तापमान मापने के लिए इस्तेमाल किया जाने वाला एक डिवाइस है. आम तौर पर, इसका इस्तेमाल बिना किसी कवर के किया जाता है. ऐसे मामलों में यह अपने आस-पास के तापमान को दिखाता है. आस-पास के सामान्य तापमान को ड्राई बल्ब तापमान के रूप में जाना जाता है. हालांकि, मानव शरीर पर गर्मी के प्रभाव को समझने के लिए हम वेट बल्ब तापमान को मापते हैं.

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गर्मी से बचने के उपाय करते लोग
गर्मी से बचने के उपाय करते लोग

दिल्ली के लोग इन दिनों अलग तरीके की गर्मी महसूस कर रहे हैं. मई के हिसाब से यह तापमान लगभग सामान्य है, लेकिन फिर भी गर्मी महसूस ज्यादा हो रही है. यह दर्ज किए गए तापमान से लगभग 10 डिग्री सेल्सियस ज्यादा है. ह्यूमिडी लेवल हाई है, यानी उमस काफी बढ़ गई है और इसलिए 'महसूस होने वाला' तापमान सामान्य से बहुत ज्यादा है.

आमतौर पर 40-70 फीसदी का हाई ह्यूमिडी लेवल बाहर बहुत आरामदायक लगता है. यह समझना दिलचस्प है कि मौसम विज्ञानी 'महसूस होने वाले' तापमान को कैसे मापते हैं. उमस के बढ़ते स्तर की वजह से गर्मी की मात्रा को समझने के लिए एक और वैज्ञानिक शब्द वेट बल्ब तापमान है.

ड्राई और वेट बल्ब तापमान क्या है?

थर्मामीटर तापमान मापने के लिए इस्तेमाल किया जाने वाला एक डिवाइस है. आम तौर पर इसका इस्तेमाल बिना किसी कवर के किया जाता है. ऐसे मामलों में यह अपने आस-पास के तापमान को दिखाता है. आस-पास के सामान्य तापमान को ड्राई बल्ब तापमान के रूप में जाना जाता है. हालांकि, मानव शरीर पर गर्मी के प्रभाव को समझने के लिए हम वेट बल्ब तापमान को मापते हैं.

ये भी पढ़ें: दिल्ली में झुलसाने वाला मौसम, 40 डिग्री के तापमान में फील हुई 50 डिग्री वाली गर्मी 

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वेट बल्ब तापमान को गीले कपड़े में लपेटे गए थर्मामीटर का इस्तेमाल करके मापा जाता है. जैसे ही कपड़े से पानी वाष्प बनकर उड़ता है, यह थर्मामीटर को ठंडा कर देता है और इसलिए तापमान कम हो जाता है. इसी वजह से वेट बल्ब तापमान हमेशा ड्राई बल्ब के तापमान से कम रहता है. वेट बल्ब का तापमान (WBT) सबसे कम तापमान है जिसे थर्मामीटर ठंडा होने के बाद हासिल किया जा सकता है. जब ह्यूमिडी लेवल हाई हो जाता है तो WBT भी बढ़ जाता है, जिसका अर्थ है कि पसीना भी भीषण गर्मी से राहत नहीं दे पाता है.

वेट बल्ब तापमान कैसे मापा जाता है?

आंकड़ों के आधार पर अगर हम मान लें कि दिल्ली में अधिकतम तापमान 44-45 डिग्री सेल्सियस और रिलेटिव ह्यूमिडी 39-62% के बीच है, तो हीटवेव चल रही है. इस वेल्यू का इस्तेमाल करके वेट बल्ब तापमान का अनुमान लगाया जा सकता है.

ड्राई बल्ब तापमान वास्तविक तापमान होगा, जो लगभग 44°C है. वेट बल्ब तापमान (WBT) की गणना के लिए, अगर हम ह्यूमिडी का मिडपॉइंट लेते हैं, तो यह करीब 50% के आसपास होगा. फिर वेट बल्ब तापमान कैलकुलेटर का इस्तेमाल करने से करीब 31-32°C का वेट बल्ब तापमान हासिल होता है. इसका अर्थ है कि पसीना आने के बाद भी तापमान 31°C से नीचे नहीं जा सकता. 31-32°C का वेट बल्ब तापमान खतरनाक रूप से ज्यादा है.

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वेट बल्ब तापमान का बढ़ना खतरनाक

विशेषज्ञों का कहना है कि स्वस्थ व्यक्ति भी 31°C वेट बल्ब से ऊपर सामान्य गतिविधियां करने में संघर्ष करते हैं, क्योंकि पसीने के जरिए शरीर की ठंडा होने की क्षमता गंभीर रूप से खत्म हो जाती है. 35°C वेट बल्ब पर, कई घंटे तक संपर्क में रहना खतरनाक हो सकता है. यहां तक कि छाया और पानी के साथ भी, क्योंकि शरीर कोर तापमान को नियंत्रित करने में असमर्थ होता है.

Feel LIke टेंपरेचर या हीट इंडेक्स क्या है?

'महसूस होने वाला' तापमान एक सामान्य शब्द है जिसका उपयोग मौसम संबंधी वेबसाइटों की ओर से कथित तापमान को बताने के लिए किया जा रहा है. हाई ह्यूमिडी वाले दिनों में 'महसूस होने वाला' तापमान या हीट इंडेक्स बढ़ने पर लोगों की परेशानी बढ़ जाती है. नमी के कारण वाष्पीकरण धीमा होने की वजह से 'महसूस होने वाला' तापमान असल तापमान से कहीं ज्यादा मुश्किलें पैदा करता है. पिछले कुछ दिनों से 'महसूस होने वाला' तापमान 50 डिग्री सेल्सियस और उससे भी ज्यादा रहा है.

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दूसरे शब्दों में कहें तो दिल्ली में वेट बल्ब तापमान और तापमान दोनों ही गंभीर रूप से बढ़ रहे हैं. इसका मतलब है कि लोगों को भीषण गर्मी का सामना करना पड़ रहा है, जिसके प्रभाव में कई घंटे तक रहना जानलेवा भी हो सकता है.

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