डीयू प्रिंसिपल एसोसिएशन की प्रेस वार्ता पर शिक्षा मंत्री मनीष सिसोदिया ने अपना बयान जारी किया है. सिसोदिया ने अपने बयान में दिल्ली यूनिवर्सिटी के कुछ कॉलेजों पर अपना आय छुपाने का आरोप लगाया है. उनका कहना है कि विश्वविद्यालय के अंतर्गत आने वाले कुछ कॉलेज अपनी आमदनी और खर्च का हिसाब-किताब देने से आनाकानी कर रहे हैं. इसके साथ ही उन्होंने कुछ कॉलेजों को एफडी में पैसा जमा कराने का आरोप भी लगाया है.
मनीष सिसोदिया ने कहा, "...दिल्ली यूनिवर्सिटी के कुछ कॉलेज दिल्ली सरकार और छात्रों से पैसा लेकर एफडी में डालते जा रहे हैं और फिर सरकार से बेहिसाब फंड की मांग करते जा रहे हैं. नियम के मुताबिक़ विभिन्न श्रोतों से इन कोलेजों को जितना पैसा मिलता है, उसे उनके कुल खर्च में से कम करके जिन पैसों की जरूरत होगी वह दिल्ली सरकार द्वारा दिया जाएगा. लेकिन जब दिल्ली सरकार ने इन कॉलेजों से आय के स्रोतों का हिसाब-किताब मांगा तो उन्होंने यह देने से मना कर दिया."
अपनी बात जारी रखते हुए मनीष सिसोदिया ने कहा, "अगर दिल्ली सरकार को ये कॉलेज यही नहीं बताएंगे कि इनके इतने खर्चे कैसे हो गए, जो दिल्ली सरकार द्वारा दिए जाने वाला सैलरी मद के बजट को ढाई से तीन गुना तक बढ़ा देने के बावजूद पूरे नहीं हो रहे, तो दिल्ली सरकार बेहिसाब फंड कैसे उपलब्ध करवा सकती है? एक तरफ कॉलेज कह रहे हैं कि उनके पास सैलरी देने के पैसे नहीं हैं. इसके उलट उनके पास एफडी में पैसा लगातार बढ़ता जा रहा है. ये पैसा दिल्ली सरकार से एफडी में रखने के लिए नहीं दिया जाता. कुछ कॉलेजों के पास तो 15 से 30 करोड़ रुपए तक एफडी में डालकर रखे गए हैं."
सिसोदिया ने आगे कहा कि इसमें कितने पैसे कहां से आए? इनका क्या इस्तेमाल किया जा रहा है. यह सब ऑडिट टीम को जांच करनी है. मुझे उम्मीद है कि दिल्ली यूनिवर्सिटी प्रशासन कॉलेज फंड्स में हेराफेरी की संभावनाओं की खुलकर जांच कराने में सहयोग करेगा.
अंत में सिसोदिया ने कहा, "दिल्ली यूनिवर्सिटी एक बेहद शालीन इतिहास वाली यूनिवर्सिटी रही है. मुझे उम्मीद है कि इसमें पैसों को लेकर किसी तरह के भी सवाल उठने पर डीयू प्रशासन राजनीतिक बयानबाजी करने की जगह सख्त कार्रवाई करेगा ताकि यूनिवर्सिटी की पारदर्शिता और साफ छवि पर आंच न आए."