दिल्ली विश्वविद्यालय के 12 वित्त पोषित कॉलेजों में वित्तीय अनियमितताओं की जांच के लिए जांच समिति गठित की गई है. डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया ने कहा कि तीसरी तिमाही के अनुदान से टीचिंग और नॉन टीचिंग कर्मचारियों को वेतन क्यों नहीं दिया गया? समिति को टीचिंग और नाॅन टीचिंग कर्मचारियों के वेतन का वितरण नहीं होने की जांच करने का आदेश दिया गया है.
दिल्ली के शिक्षा मंत्री मनीष सिसोदिया के मुताबिक दिल्ली सरकार के वित्त पोषित दिल्ली विश्वविद्यालय के काॅलेजों द्वारा यूटिलाइजेशन सर्टिफिकेट जमा न करना जांच और जवाबदेही से बचने का प्रयास है और जांच के बाद जिम्मेदार लोगों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी.
उन्होंने बताया कि दिल्ली विश्वविद्यालय के कई वित्त पोषित कॉलेजों ने 2020-21 की तीसरी तिमाही के लिए जारी अनुदान से टीचिंग और नाॅन टीचिंग स्टाफ का वेतन नहीं दिया है. साथ ही कई काॅलेजों ने तीसरी तिमाही में मिले अनुदान का यूटिलाइजेशन सर्टिफिकेट भी अभी तक नहीं जमा किया है. कॉलेजों में वेतन का वितरण नहीं हुआ है, तो फिर कॉलेजों के पास जो फंड था, उसका क्या किया गया है? क्या कारण है कि अभी तक फंड के यूटिलाइजेशन सर्टिफिकेट (उपयोगिता प्रमाण पत्र) प्रस्तुत नहीं किए गए हैं?
मनीष सिसोदिया ने कहा कि यूटिलाइजेशन सर्टिफिकेट जमा न करना वित्तीय अनियमितताओं की तरफ इशारा करता है. साथ ही ऐसा लगता है कि यह जांच और जवाबदेही से बचने का प्रयास है. दिल्ली सरकार ने उच्च शिक्षा निदेशालय को इसकी जांच करने के लिए एक जांच समिति गठित करने का आदेश दिया है. इस जांच समिति में वरिष्ठ लेखा पदाधिकारी शामिल होंगे, ताकि यह जांच की जा सके कि इन कॉलेजों द्वारा तीसरी तिमाही के अनुदान और मौजूदा अधिशेष निधियों को कैसे खर्च किया गया है?
कमेटी का गठन करते हुए सिसोदिया ने कहा कि यह जांच कराना बेहद जरूरी है, क्योंकि जनता के पैसे को पारदर्शिता के साथ खर्च करने की जरूरत है. दिल्ली सरकार के इन कॉलेजों द्वारा किसी भी वित्तीय अनियमितता पाई जाती है, तो जिम्मेदार लोगों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी.