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दिल्ली: हीटस्ट्रोक से जुड़े मामलों में बढ़ोतरी की वजह से RML हॉस्पिटल ने शुरू की हेल्पलाइन सर्विस

आरएमएल हॉस्पिटल ने गर्मी से संबंधित बीमारियों से पीड़ित मरीजों का प्रभावी ढंग से इलाज करने के लिए अत्याधुनिक टेक्नोलॉजी से लैस अपनी हीट-स्ट्रोक यूनिट को फिर से शुरू कर दिया है.

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RML हॉस्पिटल (फाइल फोटो)
RML हॉस्पिटल (फाइल फोटो)

उत्तर भारत (North India) में भीषण गर्मी के पूर्वानुमान के बीच केंद्र द्वारा संचालित दिल्ली के आरएमएल हॉस्पिटल ने हीटस्ट्रोक हेल्पलाइन (011-23404446) शुरू की है. इस नंबर पर लोग हीटस्ट्रोक के मामलों की जानकारी दे सकते हैं, जिससे समय पर इलाज हो सके. एजेंसी के मुताबिक, आरएमएल अस्पताल के मेडिकल सुप्रिटेंडेंट डॉ. अजय शुक्ला ने कहा कि यह हेल्पलाइन उन लोगों के लिए है, जो बेहोश पड़े हों या अचानक तेज बुखार की वजह से बीमार पड़ गए हों और उन्हें तत्काल चिकित्सा सुविधा प्रदान की जा सके.

हॉस्पिटल ने गर्मी से संबंधित बीमारियों से पीड़ित मरीजों का प्रभावी ढंग से इलाज करने के लिए अत्याधुनिक टेक्नोलॉजी से लैस अपनी हीट-स्ट्रोक यूनिट को फिर से शुरू कर दिया है.

किस स्थिति में हो सकता है हीटस्ट्रोक?

आरएमएल हॉस्पिटल में डिपार्टमेंट ऑफ इमरजेंसी मेडिसिन के हेड डॉ. अमलेंदु यादव ने कहा कि अगर शरीर का तापमान 105 एफ से ज्यादा हो जाता है, तो हीटस्ट्रोक हो सकता है.

डॉ. यादव ने कहा कि ऐसी स्थिति में, रोगी का शरीर बॉडी के तापमान को कंट्रोल करने की ताकत खो देता है, जिसे आमतौर पर पसीना आना कहा जाता है और रोगी की मानसिक स्थिति बदल जाती है. इसका मतलब है कि रोगी बेहोशी की हालत में हो सकता है या रोगी की मानसिक स्थिति 'सामान्य से अलग' हो सकती है.

यह भी पढ़ें: 108 डिग्री हुआ बुखार... दिल्ली में हीटस्ट्रोक से बिहार के युवक की मौैत

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डॉ. अजय शुक्ला ने बताया कि अगर वक्त पर इलाज न किया जाए, तो हीटस्ट्रोक के मामलों में मृत्यु दर 80 फीसदी तक हो सकती है लेकिन अगर रोगी का समय पर इलाज हो जाए, तो इसे 10 फीसदी तक कम किया जा सकता है.

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