भारत सरकार ने दिल्ली के एनडीएमसी स्कूलों में 'अटल टिंकरिंग लैब' की शुरुआत की है. इस लैब के जरिए स्कूली बच्चों को नए जमाने की तकनीक से आधुनिक उपकरण बनाने की ट्रेनिंग दी जाएगी.
एनडीएमसी के चेयरमैन नरेश कुमार ने बताया कि 'अटल टिंकरिंग लैब' के जरिए स्कूली बच्चों में वैज्ञानिक सोच विकसित करने में मदद मिलेगी. 21वीं शताब्दी में तकनीक का बड़ा महत्व है ऐसे में एनडीएमसी ने शुरुआत में 15 स्कूलों में 'अटल टिंकरिंग लैब' बनाई है'. इसके अलावा 12 लैब 31 दिसंबर 2018 तक तैयार कर ली जाएंगी. साथ ही कुल 29 स्कूल में 31 मार्च 2019 तक लैब बना लिए जाएंगे.
दिल्ली के नवयुग विद्यालय में इस योजना का लांच करने पहुंचे मानव संसाधन विकास राज्यमंत्री सत्यपाल सिंह ने कहा कि कुछ साल पहले यह सोच थी कि दुनिया को अगर प्रगति के रास्ते पर लाना है तो स्कूल और कॉलेज में विज्ञान और तकनीक पढ़ाई जानी चाहिए. उन्होंने कहा कि देश में बच्चों में नई सोच पैदा करने की जरूरत है. इसी मकसद से 'अटल टिंकरिंग लैब' योजना की शुरुआत की गई है. यह लैब योजना बच्चों में क्रिएटिविटी पैदा करेगी. दिल्ली के एनडीएमसी स्कूलों में इस योजना को शुरू किया गया है, उम्मीद है कि साइंस न पढ़ने वाले बच्चे भी इसमें रुचि दिखाएंगे.
रोबॉटिक विजार्ड्स से जुड़े रोहित गुप्ता ने बताया कि Tinkering का मतलब है एक आईडिया से कुछ नया बना देना. जिस तरह एक जगह से दूसरी जगह जाने के लिए मोबाइल ऐप बना है ठीक उसी आईडिया पर स्कूली बच्चों को काम करना सिखाया जाएगा. इसका एक मकसद यह भी है कि लोगों को बेहतर ट्रेनिंग के बाद रोजगार दिया जा सके.
लॉन्चिंग के दौरान स्कूल में बच्चों ने कई उपकरण बनाए. बच्चों ने लेजर फेन्स का छोटा सा उपकरण बनाकर प्रदर्शन किया. सेंसर की तर्ज पर काम करने वाले इस तरह की लेजर बॉर्डर पर घुसपैठियों को रोकने में मददगार साबित हो सकती. टेस्ला कॉइल की तकनीक का भी प्रदर्शन बच्चों ने किया. इस तकनीक में बिना वायर के तरंगों की मदद से बल्ब जलाया जा सकता है. इसे वायरलेस तकनीक भी कहते हैं. इसके अलावा बच्चों ने तापमान, फार्मूला वन रेसिंग कार के साथ-साथ बैटरी चलित साईकिल का भी प्रदर्शन किया.
स्कूल में बच्चों को लैब में एक घंटा दिया जाएगा, विज्ञान और तकनीक में दिलचस्पी रखने वाले बच्चे इस लैब में अपनी क्रिएटिविटी को आजमाने की खुली छूट होगी.