एक्साइज पॉलिसी स्कैम में फंसे AAP नेता मनीष सिसोदिया 17 महीने बाद जेल से बाहर आए हैं. आजतक से बातचीत में उन्होंने कहा कि विपक्षी नेताओं को जेल में डाला जा रहा है. मुझ पर वो कानून लगाया गया, जो आतंकी या ड्रग माफिया की फंडिंग रोकने के लिए लगाया जाता है. सिसोदिया का कहना था कि जेल में रहकर खुद से दोस्ती हो गई है.
सिसोदिया ने कहा, जेल से निकले 4-5 दिन हो गए हैं. कार्यकर्ताओं में जबरदस्त उत्साह है. एमपी-एमएलए से लेकर हर किसी को देखकर बहुत गर्व हो रहा है. पिछले 8-10 साल का इतिहास देखा जाए तो ईडी-सीबीआई की धमकियों से पार्टियां टूट गईं. लेकिन ना हमारी पार्टी टूटी और ना हमारी सरकार बिखरी. हम लगातार काम करते रहे.
'सरकार में शामिल होने की जल्दी नहीं'
सिसोदिया ने आगे कहा, पार्टी मेरे पत्नी और मेरे बेटे के साथ खड़ी रही. ये पूरा केस पार्टी ने लड़ा है. मेरी कोई औकात नहीं थी. मेरी पत्नी बीमार थी. बच्चा बाहर पढ़ रहा है. बाहर होता तो सड़क पर लड़ता. जेल तो जेल है. आप अपनों से दूर हो जाते हैं. काम से दूर हो जाते हैं. जेल में रहने के दौरान मेरे पास दो विकल्प थे. या तो टूट जाओ या और मजबूत हो जाओ. मैंने मजबूत होकर लौटने का विकल्प चुना. दिल्ली के पूर्व डिप्टी सीएम ने यह भी कहा कि सरकार में शामिल होने की कोई जल्दी नहीं है.
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'सोचा नहीं था 17 महीने जेल में रहना पड़ेगा'
सिसोदिया ने आगे कहा, मैं मानसिक रूप से तैयार था. हालांकि, मैंने कभी नहीं सोचा था कि मुझे 17 महीने तक जेल में रहना पड़ेगा. यहां तक कि कुछ महीने पहले तक यह नहीं सोचा था कि जेल जाएंगे.
सिसोदिया ने कहा, मुझे अंदर से भरोसा था, क्योंकि राजनीति में एक-दूसरे पर आरोप लगाना सामान्य बात है. हालांकि, किसी व्यक्ति को जेल भेजने या गिरफ्तार करने के पीछे कोई कारण होना चाहिए. उन्होंने कहा कि जब कोई सक्रिय राजनीति में आता है तो उसका उद्देश्य सुधार लाना, भ्रष्टाचार से लड़ना और जनता के बीच जगह बनाना होता है. उसे कभी भी रेड कारपेट वेलकम की उम्मीद नहीं करनी चाहिए.
सिसोदिया ने कहा, उन्होंने (ईडी और सीबीआई) पीएमएलए अधिनियम के तहत केस दर्ज किया, जिसका मुख्य उद्देश्य आतंकवादियों और ड्रग माफियाओं को मिलने वाली फंडिंग को रोकना है. इस अधिनियम के तहत जमानत मिलना मुश्किल होता है. चूंकि उनका एकमात्र उद्देश्य मुझे लंबे समय तक जेल में रखना था.