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NH 57 बना बाढ़ पीड़ितों का नया ठिकाना, खतरे के बीच सड़क पर गुजार रहे जिंदगी

NH 57 पर बाढ़ प्रभावित गांव के लोग अपने परिवार और मवेशियों के साथ जिंदगी गुजार रहे. लोगों की शिकायत है कि प्रशासन ने उनके लिए बाहर जो राहत शिविर बनाए हैं, उनमें खाने-पीने की काफी दिक्कत है.

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नेशनल हाइवे पर बने राहत कैंप
नेशनल हाइवे पर बने राहत कैंप

  • प्रशासन के राहत शिविरों में लोगों को खाने-पीने की किल्लत
  • राष्ट्रीय राजमार्ग पर तेजी से दौड़ रहे वाहन से बच्चों को खतरा
बिहार में आई बाढ़ से 10 लाख से भी ज्यादा की आबादी प्रभावित हुई है. सूबे के मुजफ्फरपुर जिले में गंडक नदी में भारी तबाही मचाई है और बाढ़ का पानी सैकड़ों गांव में भर गया है. बाढ़ से गांव जलमग्न हो गए हैं.

गांवों और घरों में कमर तक पानी भरने की वजह से लोगों को अपना घर छोड़कर राजमार्ग 57 यानी NH 57 पर जिंदगी गुजारनी पड़ रही है. मुजफ्फरपुर से लेकर दरभंगा तक कई किलोमीटर तक बाढ़ प्रभावित लोगों ने राष्ट्रीय राजमार्ग 57 के बीचोबीच अपना ठिकाना बना लिया है.

जब आजतक की टीम हालात का जायजा लेने के लिए मुजफ्फरपुर के मिठनपुरा माधवपुर गांव पहुंची, तो देखा कि बाढ़ प्रभावित लोग लगातार अपने सामान खटिया, गैस सिलेंडर इत्यादि के साथ नाव पर बैठकर NH 57 की तरफ जा रहे हैं.

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मिठनपुरा माधवपुर गांव की बाढ़ प्रभावित एक महिला का कहना है, 'हमारे घर में पानी भर चुका है. लिहाजा हम जो कुछ बचा हुआ सामान है, उसको लेकर फोरलेन पर रहने जा रहे हैं.

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NH 57 पर प्रभावित गांव के लोग अपने परिवार और मवेशियों के साथ जिंदगी गुजार रहे. लोगों की शिकायत है कि प्रशासन ने उनके लिए बाहर जो राहत शिविर बनाए हैं, उनमें खाने-पीने की काफी दिक्कत है.

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आपको बता दें कि NH 57 पर सरकार ने जो बाढ़ राहत शिविर बनाए हैं, वो बेहद खतरनाक हैं, क्योंकि इस सड़क पर बसें और ट्रक समेत अन्य गाड़ियां तेजी से दौड़ रही हैं. ऐसे में इस फोरलेन सड़क पर रह रहे परिवार के छोटे-छोटे मासूम बच्चों की जिंदगी को काफी खतरा है.

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