scorecardresearch
 

पांडा के बदले कारोबार... चीन की 75 साल से चल रही इस डिप्लोमेसी की पूरी कहानी, जानें- क्यों उठते हैं इस पर सवाल

चीन ने ऑस्ट्रेलिया को पांडा की नई जोड़ी देने की पेशकश की है. ऑस्ट्रेलिया में इस वक्त दो पांडा हैं, जिन्हें 2009 में चीन से एग्रीमेंट के तहत लिया गया था. चीन इन पांडा के जरिए विदेशों के साथ डील करता है. इन पांडा को चीन किराये पर देता है.

Advertisement
X
चीन पांडा डिप्लोमेसी के जरिए दूसरे देशों से संबंध सुधारने की कोशिश करता है.
चीन पांडा डिप्लोमेसी के जरिए दूसरे देशों से संबंध सुधारने की कोशिश करता है.

दुनिया के दो देशों को जब आपस में अपने संबंध सुधारने की जरूरत होती है तो वो बातचीत करते हैं, कारोबार करते हैं या फिर कोई समझौता करते हैं. लेकिन जब चीन को किसी के साथ संबंध पटरी पर लाने होते हैं तो वो उन्हें पांडा की पेशकश करता है. और ऐसा वो दशकों से करता आ रहा है.

अब चीन ने ऑस्ट्रेलिया को पांडा की नई जोड़ी देने की पेशकश की है. ऑस्ट्रेलिया के दौरे पर पहुंचे चीन के प्रधानमंत्री ली कियांग ने कि वो पांडा की नई जोड़ी (एक मेल, एक फीमेल) देना चाहते हैं.

चीनी पीएम ली कियांग की ओर से ये पेशकश ऐसे वक्त की गई है, जब दोनों देशों के बीच कई सालों से ट्रेड वॉर चल रहा है. 2020 से ही दोनों के रिश्ते बिगड़ने शुरू हो गए थे. अब फिर से रिश्ते सुधारने की कोशिश हो रही है. और इन रिश्तों को चीन 'पांडा डिप्लोमेसी' के जरिए सुधारना चाहता है.

दरअसल, चीन क्यूट से दिखने वाले पांडा का इस्तेमाल हथियार के तौर पर करता है. जब भी उसे लगता है कि किसी देश से उसके संबंध पटरी से उतर रहे हैं तो वो पांडा डिप्लोमेसी करता है. पिछले साल जब चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग अमेरिका गए थे, तब उन्होंने राष्ट्रपति जो बाइडेन से कहा था कि वो नए पांडा भेजना चाहते हैं. चीन इन पांडा को 'दोस्ती का प्रतीक' बताता है.

Advertisement

ऐसे में जानते हैं कि चीन की ये पांडा डिप्लोमेसी क्या है? और कैसे चीन इनका इस्तेमाल एक हथियार की तरह करता है?

कैसे शुरू हुए चीन की पांडा डिप्लोमेसी?

1949 में जब पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना बना, तब उसने इन पांडा का इस्तेमाल अपनी छवि सुधारने के लिए करना शुरू कर दिया था.

1957 में चीन के नेता माओ त्से तुंग ने सोवियत संघ को एक पांडा 'पिंग पिंग' तोहफे में दिया था. उन्होंने ये तोहफा रूस क्रांति की 40वीं सालगिरह के मौके पर दिया था. चीन ने कम्युनिस्ट देशों के साथ अपने संबंध सुधारने के लिए पांडा तोहफे में दिए. 1959 में उसने सोवियत संघ को दो और पांडा गिफ्ट किए. इसके बाद 1965 से 1980 के बीच पांच पांडा तोहफे में दिए थे.

1972 में अमेरिका के तत्कालीन राष्ट्रपति रिचर्ड निक्सन चीन के दौरे पर पहुंचे थे. तब चीन के तत्कालीन प्रधानमंत्री झोऊ एन लाई ने दो पांडा गिफ्ट किए थे. 16 अप्रैल 1972 को अमेरिकी वायुसेना के एक विमान में दो पांडा आए. एक मेल और एक फीमेल. दोनों 18 महीने के थे. पांडा की इस जोड़ी को वॉशिंगटन के स्मिथसोनियन चिड़ियाघर में रखा गया था.

चीन ने पहले दो पांडा गिफ्ट के तौर पर दिए थे. बदले में अमेरिका ने उसे दो मस्क ऑक्सेन दिए. मस्क ऑक्सेन को कस्तूरी बैल भी कहा जाता है. ये भेड़-बैल की एक प्रजाति है.

Advertisement

इसके बाद से चीन ने जापान, फ्रांस, ब्रिटेन और स्पेन समेत कई देशों को भी पांडा गिफ्ट में दिए.

क्या है चीन की पांडा डिप्लोमेसी?

शुरुआत में तो चीन ने पांडा गिफ्ट के तौर पर दिए. लेकिन बाद में इसके बदले में किराया या फिर समझौते करने लगा. 1984 के बाद से चीन ने इन पांडा को गिफ्ट में देना बंद कर दिया. 

चीन वैसे तो पांडा को 'दोस्ती का प्रतीक' बताता है. लेकिन एक पांडा को चिड़ियाघर में रखने के लिए चीन हर साल 10 लाख डॉलर तक लेता है. चीन अब पांडा को 10 साल के लिए देता है. 10 साल बाद फिर अगर कोई देश इस समझौते को बढ़ाना चाहता है तो बढ़ा सकता है.

पांडा देते समय चीन मनमानी शर्तें भी रखता है. एग्रीमेंट खत्म होने के बाद इन पांडा को चीन को लौटाना पड़ता है. इतना ही नहीं, अगर कोई पांडा विदेश में जन्म लेता है, तो वो भी चीन को वापस करना पड़ता है. और इसपर भी चीन किराया वसूलता है. 

पांडा के बदले डील

चीन पांडा डिप्लोमेसी के जरिए विदेशों से डील करता है. ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी की 2013 में हुई एक स्टडी से पता चलता है कि कनाडा, फ्रांस और ऑस्ट्रेलिया के साथ पांडा को लेकर हुई डील के वक्त ही उसने इन देशों के साथ यूरेनियम डील और दूसरे समझौते भी किए थे. इसी तरह सिंगापुर, मलेशिया और थाइलैंड के साथ पांडा के बदले में फ्री-ट्रेड एग्रीमेंट किए.

Advertisement

वॉशिंगटन पोस्ट की रिपोर्ट के मुताबिक, 2021 की एक स्टडी में भी सामने आया था जिनके साथ चीन ने पांडा का एग्रीमेंट किया, उन देशों के साथ उसका कारोबार भी बढ़ता गया.

कई बार चीन अपनी नाराजगी दिखाने के लिए भी इन पांडा का इस्तेमाल करता है. 2010 में अमेरिका के तत्कालीन राष्ट्रपति बराक ओबामा और दलाई लामा के बीच बैठक से चीन जब नाराज हुआ तो उसने अमेरिका में जन्मे दो पांडा- ताई शान और मी लान को वापस मांग लिया था.

अब ऑस्ट्रेलिया के साथ भी बीते तीन साल से चीन के संबंध कुछ ठीक नहीं चल रहे हैं. दोनों के बीच ट्रेड वॉर देखा जा रहा है. चीन ने कई ऑस्ट्रेलिया उत्पादों के निर्यात पर या तो प्रतिबंध लगा दिया था या फिर टैरिफ बढ़ा दिया था. हालांकि, इसी साल मार्च में चीन ने कई ऑस्ट्रेलियाई उत्पादों पर टैरिफ घटाया है. और अब चीन फिर से ऑस्ट्रेलिया के साथ संबंध ठीक करना चाहता है.

चीन ने 2009 में ऑस्ट्रेलिया को पांडा की एक जोड़ी- वांग वांग और फू नी 10 साल के एग्रीमेंट पर दी थी. 2019 में ये एग्रीमेंट खत्म हो गया था और तब से हर साल इसे बढ़ाया जा रहा है. अब चीन का कहना है कि वो वांग वांग और फू नी की जगह पांडा की नई जोड़ी देना चाहता है.

Advertisement

पांडा की आड़ में अपनी करतूतें छिपा रहा चीन!

फरवरी 2022 में रिपब्लिकन पार्टी की सांसद नैंसी मेस ने एक बिल पेश किया था. इसमें पांडा डिप्लोमेसी पर दोबारा विचार करने की बात कही गई थी. उनका कहना था कि पांडा डिप्लोमेसी को खत्म करना चाहिए, क्योंकि इसके जरिए चीन अपनी करतूतों को छिपाने की कोशिश करता है. 

उनका कहना था कि हर पांडा के लिए अमेरिकी चिड़ियाघर सालाना मोटी रकम खर्च करते हैं, उसके बावजूद चीन इन्हें वापस ले लेता है. इतना ही नहीं, अमेरिकी चिड़ियाघर में जन्मे पांडा को भी उसे वापस करना पड़ता है. उनका कहना था कि अमेरिकी चिड़ियाघर में जन्मे पांडा पर अमेरिका का ही हक होना चाहिए. 

उन्होंने कहा था कि अब समय आ गया है कि चीन की पांडा डिप्लोमेसी को 'न' कहें. उन्होंने दावा किया था कि इसकी आड़ में वो उइगर मुस्लिमों के नरसंहार को छिपाता है.

दुनिया को चीनी पांडा की जरूरत क्यों? 

पांडा को चिड़ियाघरों में रखने से अच्छी-खासी कमाई भी होती है. पांडा दिखने में बहुत क्यूट होता है, इसलिए चिड़ियाघर में उसे देखने के लिए अच्छी भीड़ आती है. यही वजह है कि चिड़ियाघरों में पांडा को रखा जाता है. 

इसके अलावा, चीन ऐसा देश है जहां पांडा सबसे ज्यादा है. दुनियाभर में पांडा की संख्या बहुत कम है. एक अनुमान के मुताबिक, दुनियाभर में इस समय 1,900 पांडा जंगलों में हैं, जबकि 728 पांडा चिड़ियाघरों में कैद है. 

Advertisement

लेकिन अब कई देशों के चिड़ियाघरों से पांडा गायब होने वाले हैं. तीन पांडा को पिछले साल लौटाने के बाद अमेरिका के चिड़ियाघरों में महज चार ही पांडा बचे हैं. 

2019 में चीन ने रूस के साथ दो पांडा के लिए लोन एग्रीमेंट किया था. चीन ने ये पांडा रूस को 15 साल के लिए दिए हैं.

---- समाप्त ----
Live TV

Advertisement
Advertisement