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ब्लड में कितना अल्कोहल मिलने पर बनता है ड्रिंक एंड ड्राइव का केस? जानें- कैसे सांस से पता चलती है शराब की मात्रा

पुणे पोर्श कांड में बड़ा खुलासा हुआ है. दावा है कि सरकारी अस्पताल के डॉक्टरों ने नाबालिग आरोपी के ब्लड सैंपल से छेड़छाड़ की थी. ऐसे में जानते हैं कि आखिर ब्लड में कितना अल्कोहल मिलने पर ड्रिंक एंड ड्राइव का केस बनता है और कितनी सजा होती है? पुलिस कैसे सांस से पता लगाती है कि आपने कितनी शराब पी है?

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शराब पीकर गाड़ी चलाना गैरकानूनी है. (प्रतीकात्मक तस्वीर)
शराब पीकर गाड़ी चलाना गैरकानूनी है. (प्रतीकात्मक तस्वीर)

पुणे पोर्श कांड में सरकारी डॉक्टरों की एक बड़ी लापरवाही सामने आई है. दावा है कि इन डॉक्टरों ने नाबालिग आरोपी के ब्लड सैंपल से छेड़छाड़ की थी, ताकि हादसे के वक्त उसके नशे में होने की बात साबित न हो सके. 

आरोप है कि ससुन जनरल हॉस्पिटल के दो डॉक्टरों ने रिश्वत के लालच में न सिर्फ आरोपी लड़के का ब्लड सैंपल डस्टबिन में फेंक दिया, बल्कि किसी और के सैंपल से उसकी रिपोर्ट तैयार कर दी. पुणे पुलिस ने इस मामले में ससुन हॉस्पिटल के फॉरेंसिक मेडिसीन डिपार्टमेंट के हेड डॉ. अजय तावड़े और सीएमओ डॉ. श्रीहरि हलनोर और स्टाफ मेंबर अतुल घाटकांबले को गिरफ्तार कर लिया.

पुलिस का कहना है कि 19 मई को हादसे से कुछ घंटे पहले आरोपी लड़के ने दो पब में 69 हजार रुपये खर्च किए थे. लड़के ने अपने दोस्तों के साथ पहले कोजी बार में 48 हजार रुपये की शराब पी थी. जब यहां शराब मिलनी बंद हो गई तो वो और उसके दोस्तों ने ब्लैक मैरियट क्लब में जाकर शराब पी. यहां भी उन्होंने 21 हजार रुपये खर्च किए.

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इस हादसे के बाद दर्ज एफआईआर में पुलिस ने मोटर व्हीकल एक्ट की धारा 185 भी जोड़ी है, जो नशे में गाड़ी चलाने को अपराध बनाती है. पुलिस का मानना है कि हादसे के वक्त आरोपी शराब के नशे में था.

ऐसे में जानते हैं कि आखिर ब्लड में कितना अल्कोहल पाए जाने पर ड्रंक एंड ड्राइव का केस बनाया जाता है? और ब्लड में अल्कोहल की मात्रा को कैसे मापा जाता है?

कब माना जाएगा ड्रिंक एंड ड्राइव?

कोई व्यक्ति शराब पीकर गाड़ी चला रहा है या नहीं? इसे चेक करने के लिए पुलिस ब्रीथ एनालाइजर का इस्तेमाल करती है.

ब्रीथ एनालइजर टेस्ट से खून में अल्कोहल की मात्रा कितनी है. अगर 100 एमएल खून में 30 एमजी अल्कोहल पाया जाता है तो ड्रंक एंड ड्राइव का केस बनता है. 

यह भी पढ़ें: पुणे में एक्सीडेंट बेटे ने किया, गिरफ्तारी पिता की... नाबालिग को गाड़ी देना कितना खतरनाक? जानें क्या है कानून

इससे कैसे पता चलता है?

मुंह, गला, पेट और आंतों के जरिए अल्कोहल खून में घुल-मिल जाता है. क्योंकि पीने के बाद शराब पचती नहीं है. जैसे ही खून फेफड़ों से गुजरता है, वैसे ही अल्कोहल सांसों के जरिए हवा में भी आने लगता है.

जैसे ही ब्रीथ एनालाइजर में सांस छोड़ी जाती है, वैसे ही ये डिवाइस खून में अल्कोहल की मात्रा का पता लगाती है. इससे ड्राइवर का ब्लड सैंपल लिए बगैर ही अल्कोहल का पता लगाया जा सकता है.

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इसके लिए 2100:1 का रेशो होता है. इसे ऐसे समझिए कि 2,100 एमएल हवा में जितना अल्कोहल होता है, उतना ही अल्कोहल 1 एमएल ब्लड में भी मिलता है. 

अमेरिकी मेडिकल एसोसिएशन के मुताबिक, जब 100 एमएल ब्लड में अल्कोहल की मात्रा 50 एमजी हो जाती है, तो व्यक्ति पूरी तरह से होश में नहीं रहता. इसलिए 100 एमएल ब्लड में 30 एमजी अल्कोहल पाए जाने पर ड्रंक एंड ड्राइव का केस बनता है.

क्या है इसका पूरा विज्ञान?

जब कोई व्यक्ति शराब पीता है तो 20% अल्कोहल में पेट में और 80% आंतों में घुल-मिल जाता है. इसके बाद खून में मिलकर अल्कोहल पूरे शरीर में पहुंच जाता है. इसके बाद अल्कोहल शरीर के हर टिशू में मिल जाता है और अपना असर दिखाना शुरू करता है.

ब्लड में घुल-मिल जाने के बाद अल्कोहल तीन तरीकों से शरीर के बाहर निकलता है. 5% टॉयलेट और 5% सांस के जरिए बाहर आ जाता है. बाकी का अल्कोहल एसिटिक एसिड में बदल जाता है. जो 5% अल्कोहल सांस के जरिए बाहर निकलता है, वही ब्रीथ एनालाइजर में डिटेक्ट होता है.

कानूनी भाषा में इसे ब्लड अल्कोहल कंसंट्रेशन (BAC) कहा जाता है. जितनी ज्यादा शराब पीते हैं, BAC उतना ज्यादा होता है. 

यह भी पढ़ें: '15 फीट उछल गई थी लड़की... पोर्श के एयरबैग खुल गए, नाबालिग नशे में था उस पर पिटाई का भी...', चश्मदीद ने बताई पुणे एक्सीडेंट की कहानी

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कितनी होती है सजा?

भारत में शराब पीने की मनाही नहीं है, लेकिन शराब पीकर गाड़ी चलाना गैर-कानूनी है. मोटर व्हीकल एक्ट की धारा 185 के तहत, शराब पीकर या नशे की हालत में गाड़ी चलाते हुए पहली बार पकड़े जाने पर 6 महीने जेल या 2 हजार रुपये का जुर्माना या फिर दोनों की सजा हो सकती है.

तीन साल के भीतर दूसरी बार नशे की हालत में गाड़ी चलाते हुए पकड़े जाने पर 2 साल तक की जेल या 3 हजार रुपये जुर्माना या दोनों की सजा हो सकती है.

क्या है पुणे कांड?

19 मई के तड़के पौन तीन बजे पोर्श कार चला रहे नाबालिग आरोपी ने बाइक सवार अनीष अवधिया और अश्विनी कोस्टा को पीछे से टक्कर मार दी. इसमें दोनों की मौत हो गई. दुर्घटना के वक्त नाबालिग आरोपी ने कथित तौर पर शराब पी रखी थी और वो पार्टी से लौट रहा था. ये एक्सीडेंट पुणे के कल्याणी नगर इलाके में हुआ था.

पुलिस ने उसी दिन नाबालिग आरोपी को गिरफ्तार कर लिया. वो 17 साल का है. उसी दिन जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड ने नाबालिग को कुछ शर्तों के साथ जमानत दे दी थी. इन शर्तों में 300 शब्दों का निबंध लिखना भी शामिल था. इसके साथ ही कोर्ट ने उसे आरटीओ जाकर ट्रैफिक रूल्स समझने को भी कहा था.

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इस कांड पर जब लोगों का गुस्सा फूटा तो पुलिस हरकत में आई. पुलिस ने नाबालिग आरोपी के पिता विशाल अग्रवाल को गिरफ्तार कर लिया. उसके दादा सुरेंद्र कुमार अग्रवाल को भी गिरफ्तार कर लिया गया. वहीं, जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड ने 5 जून तक नाबालिग आरोपी को बाल सुधार गृह में भेज दिया है.

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