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क्या इंसानों में लग सकते हैं दूसरी स्पीशीज के ऑर्गन, क्यों सूअर को माना जा रहा मुफीद?

सूअर की किडनी लगवाने वाले पहले व्यक्ति की सर्जरी के लगभग डेढ़ महीने के भीतर मौत हो गई. अमेरिकी शख्स रिचर्ड स्लेमन के बारे में फिलहाल ये पक्का नहीं कि मौत की वजह नॉन-ह्यूमन किडनी ही थी. इससे पहले भी कई पशुओं के ऑर्गन इंसानी शरीर में फिट किए जा चुके. जानिए, क्या है जेनोट्रांसप्लांटेशन, जिसमें दूसरे जानवरों का हो रहा इस्तेमाल.

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ऑर्गन डोनेशन के लिए लंबा इंतजार करना होता है. (Photo- Unsplash)
ऑर्गन डोनेशन के लिए लंबा इंतजार करना होता है. (Photo- Unsplash)

अमेरिका में रिचर्ड स्लेमन की मौत हो चुकी. ये पहला शख्स था, जिसके भीतर सूअर की किडनी ट्रांसप्लांट हुई थी. मार्च में हुई सर्जरी के बाद डॉक्टरों ने उसे फिट बता दिया, हालांकि हाल में ही उसकी अचानक मौत हो गई. इससे पहले भी सूअर के अंगों को इंसानों में लगाया जा चुका. ये एक खास तरीका है, जिसमें कुछ मॉडिफिकेशन करके एनिमल ऑर्गन को ह्यूमन्स में लगाया जा रहा है. 

इंसानों के लिए जानवरों के अंग क्यों

इसकी जरूरत इसलिए पड़ी क्योंकि दुनिया में मानव अंगों की जबर्दस्त कमी हो रही है. वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन (WHO) के अनुसार, डोनर के इंतजार में सालाना 50 हजार मौतें होती हैं. हालात ये हैं कि ऑर्गन्स का ब्लैक मार्केट बन चुका. गरीब लोगों को पैसों का लालच देकर उनके अंग निकाले और भारी कीमत पर जरूरतमंदों को बेचे जा रहे हैं. 

ब्लैक मार्केट फल-फूल रहा

ईरान को ऑर्गन ब्लैक मार्केट में काफी ऊपर रखा जाता है. ये दुनिया का अकेला देश है, जहां पैसों के लिए अंगों की खरीदी-बिक्री लीगल है. यही वजह है कि दुनिया के बहुतेरे देशों के लोग यहां पहुंचते और अपने ऑर्गन्स बेचते हैं. इंटरनेशनल ब्लैक मार्केट ऑर्गन ट्रेड की अक्सर बात होती रही, जहां गरीब देशों के तस्कर अपने यहां से ऑर्गन्स को दूसरे देशों के अमीर जरूरतमंदों को देते हैं. 

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organ transplant from non human to human amid pig kidney transplant case photo AFP

चीन पर लगते रहे बेहद गंभीर आरोप

साल 2022 में कई इंटरनेशनल संस्थाओं ने आरोप लगाया कि चीन अपने विरोधी सोच वालों के अंग निकालकर ब्लैक मार्केट में सप्लाई करता है. चीन पर स्टडी कर चुके अमेरिकी लेखक इथन गुटमन के अनुसार साल 2000 से लेकर अगले 8 सालों में 65 हजार से भी ज्यादा राजनैतिक विरोधियों के ऑर्गन निकालकर उन्हें गायब कर दिया गया. यूनाइटेड नेशन्स स्पेशल रिपोर्ट्योर ने भी जबरन ऑर्गन निकालने की बात में सच्चाई मानते हुए पूछा कि साल 2000 के बाद से चीन में ऑर्गन ट्रांसप्लांट में एकदम से तेजी कैसे आई. हालांकि चीन ने हमेशा इसपर एतराज उठाया. इसके अलावा कोई सीधा सबूत भी उसके खिलाफ नहीं मिला.

पूरी दुनिया में ही ऑर्गन डोनेशन के लिए लंबा इंतजार करना होता है. इसी वेटिंग पीरियड में काफी मौतें हो जाती हैं. इस कमी को दूर करने के लिए वैज्ञानिकों ने एक तरीका खोजा. इसमें जानवरों के अंग, इंसानी शरीर में प्रत्यारोपित होने लगे. 

क्या है जेनोट्रांसप्लांटेशन

यूएस फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन (FDA) के अनुसार, इस प्रक्रिया में नॉन-ह्यूमन टिश्यू या अंग को इंसानी शरीर में डाला जाता है. वहीं सेम स्पीशीज जैसे इंसानों को इंसान के अंग ट्रांसप्लांट करना एलोट्रांसप्लांटेशन है. जेनोट्रांसप्लांट में प्रोसेस लगभग वही रहती है, बस स्पीशीज बदल जाती है. 

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organ transplant from non human to human amid pig kidney transplant case photo AFP

कितना आसान, या मुश्किल है ये

इंसानी शरीर आसानी से दूसरों के अंग एक्सेप्ट नहीं करता है. वो उसे रिजेक्ट कर देता है. रिजेक्शन का ये काम शरीर का इम्यून सिस्टम करता है. इसीलिए ट्रांसप्लांटेशन का काम आसान नहीं है, खासकर इंसान के शरीर में किसी दूसरे जानवर का अंग लगाना. अगर डोनेट हो रहे ऑर्गन में कोई बदलाव किए बगैर ऐसा किया जाए तो शरीर नए अंग को फॉरेन पार्टिकल मानकर उसे रिजेक्ट कर देता है. इससे मौत हो सकती है. 

तब क्या किया जाता है

नॉन-ह्यूमन से ह्यूमन में ट्रांसप्लांट करते हुए जानवर के शरीर में कुछ जेनेटिक बदलाव किए जाते हैं. उन्हें जेनेटिकली मॉडिफाई करके ऐसा बनाते हैं कि वे इंसानी ऑर्गन की तरह काम करने लगें. या कम से कम इतना हो कि शरीर उसे नकार न दे. इससे काम बन सकता है. 

दिल भी लगाया जा चुका है सूअर का

साल 2022 में मैरीलैंड के एक शख्स को सूअर का दिल लगाया गया था, जिसके सहारे वह दो महीने तक जिंदा भी रहा. यह दिल जिस सूअर से लिया गया था, उसके जेनेटिक्स में ऐसे बदलाव किए गए थे कि वे इंसानी इम्यून सिस्टम पर हमला न कर पाएं. सूअर के दिल के  ट्रांसप्लांट का एक और मामला भी है. उसमें भी मरीज की कुछ समय बाद ही मौत हो गई. देखा जाए तो अब तक ऑर्गन ट्रांसप्लांट का ऐसा कोई मामला नहीं, जिसमें पेशेंट लंबे समय तक जिंदा रहा हो. 

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organ transplant from non human to human amid pig kidney transplant case photo- Unsplash

सूअर के ऑर्गन ही क्यों

इस जानवर की किडनी या दिल की अंदरुनी बनावट इंसानों जैसी ही होती है. मसलन, इसमें ब्लड फ्लो एक जैसा रहता है. सूअर की किडनी, उस खाने के साथ तालमेल बिठा सकती है, जो इंसान लेते हैं. इसके अलावा सूअर को पालना और उसमें जेनेटिक बदलाव करना भी दूसरे पशुओं की तुलना में थोड़ा आसान है.

इतना सब करने के बाद भी जेनेटिक मॉडिफिकेशन फेल हो सकता है. मसलन, ताजा मामला लें तो इंसान में ट्रांसप्लांट से सूअर के भीतर 69 जीनोम एडिट हुए थे ताकि मरीज का शरीर उसे स्वीकार ले. इसके बाद भी मार्च में हुई सर्जरी के बाद मई में मरीज की अचानक मौत हो गई. 

कुल मिलाकर, जेनोट्रांसप्लांट एक तरह की एक्सपेरिमेंटल सर्जरी है, जिसमें मरीज की जान को खतरा भी हो सकता है. लेकिन बस इतना है कि ऑर्गन्स की कमी में इसे भी विकल्प की तरह सोचा जाने लगा. वैसे इसमें भी कई पेंच आ रहे हैं. जैसे किसी खास धार्मिक समुदाय के जरूरतमंद को इसपर एतराज हो सकता है कि उसे किसी खास जानवर का दिल या किडनी न लगाई जाए. कई नैतिक रुकावटें भी हैं. पशुप्रेमी संस्थाएं नाराज रहती हैं कि इंसान की जान बचाने के लिए जानवर मारे जा रहे हैं, या उनके भीतर जेनेटिक बदलाव हो रहे हैं. 

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