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जनवरी में एयरस्ट्राइक, अब राष्ट्रपति का पाकिस्तान दौरा... इजरायल से तनाव के बीच क्या है ईरान का प्लान?

ईरान के राष्ट्रपति इब्राहिम रईसी तीन दिन के दौरे पर पाकिस्तान पहुंच गए हैं. रईसी का ये दौरान इजरायल से तनाव के बीच हो रहा है. इतना ही नहीं, ये दौरा इसलिए भी अहम हो जाता है, क्योंकि जनवरी में ही दोनों देशों ने एक-दूसरे पर हवाई हमले किए थे.

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पाकिस्तानी पीएम शहबाज शरीफ और ईरानी राष्ट्रपति इब्राहिम रईसी.
पाकिस्तानी पीएम शहबाज शरीफ और ईरानी राष्ट्रपति इब्राहिम रईसी.

इजरायल से जबरदस्त तनाव के बीच ईरान के राष्ट्रपति इब्राहिम रईसी पाकिस्तान पहुंच गए हैं. रईसी तीन दिन पाकिस्तान में रहेंगे. इस दौरान वो राजधानी इस्लामाबाद में कई हाईलेवल मीटिंग करेंगे. इसके अलावा कराची और लाहौर भी जाएंगे.

आठ फरवरी को पाकिस्तान में नई सरकार के गठन के बाद किसी विदेशी नेता का ये पहला दौरा है. रईसी का ये दौरा इसलिए भी खास है, क्योंकि इस साल की शुरुआत में पाकिस्तान और ईरान के बीच भी तनाव बढ़ गया था.

ईरान ने पहले पाकिस्तान के बलूचिस्तान में हवाई हमला किया था. इसके जवाब में पाकिस्तान ने भी ईरान के सिस्तान-बलूचिस्तान प्रांत में हमला कर दिया था. दोनों ही मुल्कों ने इसे आतंकवादियों के खिलाफ कार्रवाई बताया था.

राष्ट्रपति रईसी के इस पाकिस्तान दौरे पर इसलिए भी नजर है, क्योंकि वो अकेले नहीं आए हैं. उनके साथ उनकी पत्नी, विदेश मंत्री और ईरानी सरकार के कई बड़े मंत्री और अफसर भी पाकिस्तान आए हैं.

अब तक क्या-क्या हुआ?

सोमवार को ईरानी राष्ट्रपति ने पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ से मुलाकात की. दोनों के बीच पाकिस्तान के प्रधानमंत्री आवास पर मुलाकात हुई, जहां रईसी को गार्ड ऑफ ऑनर दिया गया.

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रेडियो पाकिस्तान के मुताबिक, रईसी और शरीफ के बीच दोनों देशों के बीच कारोबार बढ़ाने को लेकर भी चर्चा हुई. ईरान और पाकिस्तान ने अपने बीच होने वाले कारोबार को 10 अरब डॉलर तक पहुंचाने का फैसला लिया.

पाकिस्तानी पीएम शरीफ और ईरानी राष्ट्रपति रईसी के बीच आतंकवाद से मिलकर निपटने पर भी सहमति बनी. ये सहमति इसलिए मायने रखती है, क्योंकि जनवरी में ही पाकिस्तान और ईरान ने एक-दूसरे के आतंकी ठिकानों पर हवाई हमले किए थे.

राष्ट्रपति रईसी अपने दौरे में पाकिस्तान के राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी से भी मुलाकात करेंगे. उनके अलावा सीनेट चेयरमैन युसुफ रजा गिलानी और नेशनल असेंबली के स्पीकर अयाज सादिक के साथ भी उनकी मीटिंग होगी.

(Photo-AP)

ईरान-पाकिस्तान के रिश्ते...

ईरान और पाकिस्तान 900 किलोमीटर लंबी सीमा साझा करते हैं. दोनों के बीच ही रिश्ते अच्छे रहे हैं. हालांकि, कभी-कभी सीमा पर झड़पें और तनाव भी बना रहता है.

1947 में जब पाकिस्तान नया मुल्क बना था, तब ईरान पहला देश था, जिसने उसे अलग राष्ट्र के तौर पर मान्यता दी थी. इसी तरह 1979 में इस्लामी क्रांति के बाद ईरान ने जब खुद को इस्लामिक राष्ट्र घोषित किया, तो पाकिस्तान पहला देश था जिसने उसे मान्यता दी थी.

हालांकि, पाकिस्तान और ईरान में तनाव भी बना रहता है. दोनों ही देश एक-दूसरे पर उनके यहां आतंकवाद फैलाने का इल्जाम लगाते रहे हैं. 

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ईरान दावा करता है कि पाकिस्तान के बलूचिस्तान प्रांत में जैश-अल-अद्ल नाम का आतंकी संगठन है, जो उसके यहां हमले करता रहता है. वहीं, पाकिस्तान का दावा है कि ईरान के सिस्तान-बलूचिस्तान में बलूच लिबरेशन आर्मी एक्टिव है, जो पाकिस्तानी सुरक्षाबलों को निशाना बनाता है.

इसी साल जनवरी में ईरान ने पहले जैश-अल-अद्ल नाम के आतंकी संगठन पर हमला किया था. इसके बाद पाकिस्तान ने सिस्तान-बलूचिस्तान में बलूच लिबरेशन आर्मी के ठिकानों पर हमला करने का दावा किया था.

यह भी पढ़ें: इजरायल और ईरान का तनाव दुनिया के लिए कैसे बनता जा रहा शिया-सुन्नी की जंग का अखाड़ा?

शिया-सुन्नी संघर्ष

वैसे तो पाकिस्तान और ईरान के बीच रिश्ते ठीक-ठाक ही माने जाते हैं, लेकिन इनके बीच तनाव की एक वजह शिया और सुन्नी संघर्ष भी है. 

1971 में जब बांग्लादेश बना, तो उसके बाद पाकिस्तान ने खुद को सुन्नी बहुल देशों के लीडर के तौर पर पेश करने की कोशिशें तेज कर दीं. वहीं, 1979 की इस्लामिक क्रांति के बाद ईरान खुद को शियाओं का लीडर बताता है.

सीआईए की वर्ल्ड फैक्टबुक का अनुमान है कि ईरान की 99.6% मुस्लिम आबादी में से 90 से 95% % शिया और 5 से 10% सुन्नी हैं. वहीं, पाकिस्तान की 96.5% मुस्लिम आबादी में से 85 से 90% सुन्नी और 10 से 15% शिया हैं.

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काउंसिल ऑफ फॉरेन रिलेशन (सीएफआर) के मुताबिक, सुन्नी और शिया में मतभेद होने के बावजूद शांति बनी थी, लेकिन 20वीं सदी की शुरुआत के बाद दोनों में तनाव ज्यादा बढ़ गया. 1970 में ईरान की इस्लामिक क्रांति ने इस विवाद को और बढ़ा दिया.

तालिबान ने भी बिगाड़े संबंध!

पाकिस्तान और ईरान के बीच मतभेद की एक वजह तालिबान को भी माना जाता है. पाकिस्तान की तरह ही अफगानिस्तान भी एक सुन्नी बहुल राष्ट्र है. 

1980 के दशक में जब सोवियत संघ की रेड आर्मी ने अफगानिस्तान पर हमला किया था, तब पाकिस्तान और सऊदी अरब ने मिलकर इसका सामना किया था. पाकिस्तान और सऊदी अरब के कारण ही तालिबान जैसा सुन्नी संगठन भी उभरा.

जब अफगानिस्तान में तालिबान पहली बार सत्ता में आया तो पाकिस्तान इसे मान्यता देने वाले पहले कुछ देशों में शामिल था. जबकि, ईरान का समर्थन नॉर्दर्न अलायंस को था. नॉर्दर्न अलायंस कुछ इस्लामिक संगठनों की वो सेना थी, जो तालिबान के खिलाफ लड़ रही थी.

1996 से 2001 तक जब तालिबान सत्ता में था, तब पाकिस्तान और ईरान के बीच रिश्ते सबसे खराब थे. इससे दोनों के बीच कारोबार भी बुरा तरह प्रभावित हुआ. 2001 में दोनों देशों के बीच 16 करोड़ डॉलर का कारोबार हुआ था. जबकि, इससे पहले 2000 में दोनों के बीच करीब 40 करोड़ डॉलर का कारोबार हुआ था.

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यह भी पढ़ें: पाकिस्तान ने पाली 'मुस्लिम लीडर' बनने की चाहत! पढ़ें- ईरान के साथ जंग कैसे बढ़ा सकता है शिया-सुन्नी संघर्ष

अमेरिका की नजर

ईरान के राष्ट्रपति इब्राहिम रईसी के इस पाकिस्तानी दौरे पर अमेरिका की नजरें भी हैं. उसकी वजह ये है कि अमेरिका और ईरान के बीच संबंध अच्छे नहीं हैं. दूसरी ओर, अमेरिका नहीं चाहता कि कोई भी मुल्क ईरान से अपनी नजदीकियां बढ़ाए.

वहीं, पाकिस्तान अमेरिका और ईरान के बीच बैलेंस बनाकर चलने की कोशिश करता है. 2013 में पाकिस्तान और ईरान के बीच एक गैस पाइपलाइन प्रोजेक्ट को लेकर समझौता हुआ था.

हालांकि, अमेरिका इस गैस पाइपलाइन का विरोध करता रहा है. ईरान पर अमेरिका ने कई प्रतिबंध लगा रखे हैं, जिस कारण इस प्रोजेक्ट की रफ्तार काफी धीमी है.

इतना ही नहीं, पाकिस्तान को भी डर है कि अगर वो अमेरिकी दबाव में आकर इस प्रोजेक्ट से पीछे हटता है या उल्लंघन करता है तो मामला अंतर्राष्ट्रीय अदालत में जा सकता है. पिछले साल ही दिसंबर में ईरान ने पाकिस्तान को धमकाया था कि अगर वो अपने हिस्से के प्रोजेक्ट को पूरा नहीं करता है तो मामला अंतर्राष्ट्रीय अदालत में ले जाएगा और 18 अरब डॉलर का दावा ठोकेगा.

क्या रईसी के दौरे से बनेगी बात?

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पाकिस्तान और ईरान के बीच कुछ सालों में रिश्ते कुछ खास नहीं रहे हैं. इस साल जनवरी में एक-दूसरे पर एयरस्ट्राइक के बाद तो दोनों के बीच जबरदस्त तनाव बढ़ गया था.

हालांकि, इब्राहिम रईसी के दौरे के बाद दोनों मुल्कों के बीच रिश्ते फिर से पटरी पर लौटने की उम्मीद जताई जा रही है. राष्ट्रपति रईसी के पाकिस्तान दौरे के एजेंडे में न सिर्फ द्विपक्षीय रिश्तों को सुधारना है, बल्कि दोनों के बीच आतंकवाद से निपटने, कम्युनिकेशन और कारोबारी रिश्ते सुधारना भी शामिल है.

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