स्टार- साढ़े तीन
डायरेक्टर- अभिषेक चौबे
कलाकार- माधुरी दीक्षित, हुमा कुरैशी, अरशद वारसी, नसीरूद्दीन शाह, विजय राज
बजट- लगभग 30 करोड़ रु.
हर फिल्म के साथ उसके तेवर भी बदलते हैं. अब इश्किया (2010) को लीजिए, फिल्म में सेक्स को देसी अंदाज में पेश किया गया था और विद्या बालन नए अंदाज में दिखी थीं. बेशक डेढ़ इश्किया सेक्स और इश्क के उस ढर्रे पर उतनी बोल्ड नहीं है लेकिन डायलॉग और इंटेनसिटी के मामले में फिल्म बांधने का काम अच्छे से करती है. फिल्म में गुदगुदाने वाले डायलॉग और शायरी तो कमाल की है. कई सीक्वेंस तो बेहतरीन हैं. फिल्म एक अच्छा खाका गढ़ती है.
कहानी में कितना दम
छुटभैये चोर बब्बन और खालूजान चोरी करते हैं और फरार हो जाते हैं. लेकिन दोनों बिछड़ जाते हैं. खालू भागकर महूमूदाबाद पहुंच जाते हैं जहां की बेगम को अपने नवाब की तलाश है. फिर घूमते हुए बब्बन भी यहां आ जाता है. और खेल शुरू हो जाता है, कई कहानियां सामने आती हैं और कई नकाब उतरते हैं. विजय राज आकर नई जान फूंक देते हैं. ऐसी कहानियां देखकर वाकई मजा आता है, जिनमें ओरिजिनेलिटी होती है. यह पूरी तरह से विशाल भारद्वाज स्टाइल फिल्म है.
स्टार अपील
खालूजान (नसीरूद्दीन शाह) और बब्बन मियां (अरशद वारसी) पहले की तरह आउट ऑफ कंट्रोल हैं. लेकिन इस पार्ट में आईं बेगम पारा (माधुरी दीक्षित) और मुनिया (हुमा कुरैशी) ने कहानी में ताजगी भरने का काम किया है. माधुरी ने अपनी वापसी के लिए एकदम सही फिल्म चुनी है और वे रोल में जमी भी हैं. हुमा भी अच्छी है. नसीर और अरशद, खालू और बब्बन के रोल में जमते हैं. दोनों की इससे पहले की फिल्में नसीर की जैकपॉट और अरशद की जो भी कारवाल्हो फ्लॉप रही हैं, ऐसे में यह फिल्म उनके लिए अहम भी है. लेकिन उनकी ऐक्टिंग अच्छी है. सरप्राइज पैकेज विजय राज हैं. डेल्ही बैली की ही तरह उन्होंने इस फिल्म में भी कमाल की परफॉर्मेंस दी है.
कमाई की बात
आज के दौर में जब फिल्में 200, 300 और 500 करोड़ रु. के आंकड़ों को छूने की रेस में नजर आ रही हैं, ऐसे में डेढ़ इश्किया अच्छी कहानी और ट्रीटमेंट का सुकून लेकर आती है. फिल्म से किसी बहुत बड़े आंकड़े को छूने की उम्मीद नहीं की जा सकती लेकिन अभिषेक चौबे का डायरेक्शन वाकई काबिले तारीफ है और फिल्म को एक मैच्योर एंटरटेनमेंट बनाता है. देसीपन की महक है. लेकिन यह फिल्म यूथ और मासेस को कितना कनेक्ट कर पाती है, यही बात इसकी कामयाबी तय करेगी.