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जब 'गदर' को कहा था एंटी-मुस्लिम, थिएटर्स में फेंकी गई थीं कांच की बोतलें, डायरेक्टर ने बताया क्यों हुआ था बवाल

सनी देओल की फिल्म गदर का सीक्वल लगभग 20 साल बाद सिल्वर स्क्रीन पर रिलीज को तैयार है. फिल्म के डायरेक्टर ने बताया कि किस तरह गदर के रिलीज के वक्त सिनेमाहॉल में बवाल कटा था. डायरेक्टर अनिल शर्मा हमसे गदर से जुड़ी कुछ यादें साझा कर रहे हैं.

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गदर पोस्टर
गदर पोस्टर

गदर जब रिलीज हुई थी, तो उस वक्त फिल्म ने एक अनोखी हिस्ट्री क्रिएट की थी. उस वक्त सोशल मीडिया का जमाना तो था नहीं, तो दीवारों पर फिल्म्स के डायलॉग्स लिखे गए थे. हालांकि रिलीज के दौरान फिल्म को कई तरह की कॉन्ट्रोवर्सी का भी सामना करना पड़ा था. इस बारे में खुद बता रहे हैं अनिल शर्मा. 

पिछले कुछ समय में सोशल मीडिया पर बायकॉट ट्रेंड काफी प्रचलित हुआ है. फिल्म में कुछ इंसेंसिटिव दिखते ही दर्शक उसे सिरे से खारिज कर दे रहे हैं. बदलते माहौल को ध्यान में रखकर गदर की सीक्वल तैयार की गई है. इसके जवाब में अनिल कहते हैं, पहले और अभी के वक्त के माहौल में कोई बदलाव नहीं आया है. पहले भी लोग इनटॉलरेंट थे और आज भी वैसे ही हैं. फर्क बस इतना है, पहले ये सब बातें चाय की टपरी पर हुआ करती थी, लेकिन आज चीजें सोशल मीडिया पर आ गई हैं.

"पहले भी जब हम कॉलेज में पढ़ा करते थे, तो कैंपस की बाउंड्री में बैठकर दुनियाभर को क्रिटिसाइज किया करते थे. लेकिन उस वक्त हमारे पास जरिया नहीं था कि हम दस दोस्तों से आगे अपनी बात को पहुंचा सके. आज फेसबुक, ट्विटर, इंस्टाग्राम आ चुका है, तो हम अपनी बातों को काफी दूर तक ले जाते हैं. लोग पहले भी रिएक्ट करते थे, आज भी करते हैं. बायकॉट का कल्चर आप तक आज पहुंच रहा है. पहले तो वो खबर हर किसी के पास कहां पहुंच पाती थी."

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गदर को बताया था एंटी मुस्लिम, थिएटर्स में लगा दी थी आग

धर्म को लेकर सेंसेटिव हो चुकी ऑडियंस के सवाल पर अनिल कहते हैं- देखें, उन्हें भी अपनी बात कहने का पूरा अधिकार है. गदर के रिलीज के वक्त भी ऐसा ही कुछ हुआ था. कई थिएटर्स में आग लगा दी गई थी. इतना बड़ा हंगामा हुआ था. मुझे याद है भोपाल, हैदराबाद के कई थिएटर्स में आग लगा दी गई थी. लंदन के थिएटर्स में तो बियर की बोतलें चल गई थीं. तभी कहा गया था कि थिएटर्स में शीशे की बोतल के बजाए प्लास्टिक की बोतलों का इस्तेमाल होगा. देखो हंगामा, तो हमेशा से होता ही आया है. हालांकि थोड़े दिनों में शांत हो गया था. दरअसल कुछ लोगों ने गलतफहमी फैला दी थी कि फिल्म में सब कुछ एंटी मुस्लिम है. जब लोगों ने फिल्म देखी, तो पता चला कि ऐसा कुछ था ही नहीं. हमने कभी कोई एंटी फिल्म बनाई ही नहीं, न कभी किसी धर्म के खिलाफ और न ही देश के खिलाफ. 

स्पेशल पुलिस फोर्स थे तैनात 
गदर की रिलीज के दौरान हुए बवाल को याद करते हुए अनिल बताते हैं, हर सिनेमा थिएटर के बाहर 50 पुलिस फोर्स तैनात रहती थी. हर 6 घंटे में पुलिस वालों की ड्यूटी बदलती थी. रोजाना आठ-आठ शोज होते थे. 24 घंटे फिल्म चलती थी. फिल्म जब रिलीज हुई थी, तो लगभग साढ़े पांच करोड़ ऑडियंस थिएटर पहुंची थी. फिल्म ने एक इतिहास रच दिया था. आज भी फिल्म को लेकर लोगों के बीच उत्सुकता जस के तस है. मैं अभी किसी फंक्शन से आ रहा था, तो दो महिलाओं ने मुझसे आकर पूछा सकीना फिल्म में होगी न. गदर एक फिल्म नहीं बल्कि इमोशन बन चुका है. 
 

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