पठान....टीजर आया....जबरदस्त रिस्पॉन्स....ट्रेलर आया....और जबरदस्त रिस्पॉन्स...एडवांस बुकिंग शुरू हुई, रिकॉर्ड टूटे और शाहरुख खान चार साल बाद बड़े पर्दे पर वापसी कर गए. कोई इंटरव्यू नहीं....कोई कपिल शर्मा शो में जाना नहीं...सिर्फ स्टार पॉवर के दम पर सिंगल स्क्रीन वाले बंद पड़े थिएटर खुलवा दिए.....साउथ की तरह अर्ली मॉर्निंग वाले शोज हाउसफुल करवा दिए....मतलब बज अलग ही लेवल का....लेकिन ठहर जाइए....जज्बातों को थोड़ा थाम लीजिए....भूमिका शानदार है...क्या अंजाम भी वैसा ही है? कहीं पठान के पटाखे फुस्स वाले तो नहीं? आइए जानते हैं
कहानी
आउटफिट एक्स एक प्राइवेट आतंकी संगठन है, कोई लश्कर या अलकायदा जैसा नहीं, बल्कि बिजनेस की तरह काम करता है. जहां से पैसा मिला, उसका वफादार. इस आउटफिट एक्स का हेड जिमी (जॉन अब्राहम) है. पाकिस्तान का जनरल भारत पर हमला करवाना चाहता है. ऐसा हमला जो पहले कभी नहीं हुआ...कश्मीर में तो पाकिस्तान की आर्मी को भारतीय सेना ने धूल चटा दी तो इस बार इस प्राइवेट आतंकी कंपनी का सहारा ले रहा है. भारत को इस हमले का इनपुट मिल चुका है. RAW..IB सभी अलर्ट हैं... लेकिन जिम को रोकेगा कौन....वही पठान. पठान (शाहरुख खान) भारतीय सेना का जाबाज ऑफिसर है....एक मिशन में बुरी तरह जख्मी हो गया था, लगा कि करियर खत्म. लेकिन उसने अपनी नई फौज खड़ी कर दी. फौज वैसे ही कुछ जाबाज ऑफिसर्स की जो जख्मी हुए, जिन्हें लगा अब देश के लिए कुछ नहीं कर पाएंगे. अब पठान की ये टीम आउटफिट एक्स को रोकेगी...मिशन पर पठान, रूबी (दीपिका पादुकोण) से भी मिलेगा....कौन है, क्या भूमिका है...ये यहां बताना ठीक नहीं. तो बस क्यों....कहां....कैसे जैसे तमाम सवालों के लिए सिद्धार्थ आनंद की ये पेशकश देखनी होगी.
शाहरुख के फैन्स का रखा पूरा ख्याल
मानना पडे़गा...पठान आया....साथ में पटाखे भी लाया. ये फिल्म शाहरुख खान के फैन्स के लिए किसी ट्रीट से कम नहीं है. उन्हीं के लिए तो बनाई गई है. वो सीटियां बजाएं....वो पठान के साथ झूमे....यहीं तो मेकर्स चाहते हैं.....पहला शो हाउसफुल था....लोगों के रिएक्शन से लगता है कि इस डिपार्टमेंट में फिल्म सफल हुई है. फिल्म के शुरुआती सीन ने जो मूड सेट किया...जिस तरह से शाहरुख खान को इंट्रोड्यूज किया....उसके लिए मेकर्स की तारीफ करनी चाहिए क्योंकि पठान से ज्यादा लोगों को शाहरुख के कमबैक का इंतजार था...वो उन्हें उस सीन में ही महसूस हो गया. फिल्म में एक नहीं कई ऐसे सीन हैं जो सिर्फ और सिर्फ शाहरुख खान को लॉर्जन दैन लाइफ दिखाने के लिए रखे गए हैं.....शाहरुख के फैन्स कहीं भी मायूस ना हो जाएं...इस पर फोकस है. लेकिन अब बात आखिर कहां चूक गए पठान?
कुछ तो सस्पेंस रखते...सब पहले से पता
शाहरुख के फैन्स तो वैसे भी अपने किंग खान की फिल्म में कोई कमियां नहीं देखते. हम देखते हैं. एक नहीं कई, छोटी-बड़ी हर तरह की, जब पठान का ट्रेलर आया था सभी को पता था कि कहानी काफी सेम टाइप लग रही है. पहले भी ऐसा देख रखा है. यकीन मानिए जो आपने तब सोचा था फिल्म देखते समय वो हकीकत में होता दिखेगा.
आप कोई धीरेंद्र शास्त्री नहीं हैं, लेकिन कुछ समय के लिए भविष्य बताने की ताकत आप में भी आ जाएगी. कहानी एकदम ही प्रेडिक्टेबल है. मतलब सस्पेंस के नाम पर कुछ नहीं रखा गया है. जो फिल्म के सबसे बड़े ट्विस्ट साबित हो सकते थे उन्हें फिल्म की रिलीज से पहले ही सभी को पता था. इस वजह से पठान के जो सीन बड़े हाइलाइट बनते वहां मजा फीका पड़ा है. बड़े सीन तो आप पहले से ही जानते हैंए टाइगर वाला कोई सस्पेंस नहीं है उसमेंए दीपिका के किरदार को लेकर भी अलग ही कहानी भुनने की कोशिश की गई लेकिन वहां भी मात खा गए हैं. उनका किरदार कहानी को सिर्फ कमजोर किया है.
एक्टिंग के 'किंग' शाहरुख खान
पठान का एक्टिंग डिपार्टमेंट शाहरुख खान को ध्यान में रखकर तैयार किया गया है. ऐसा नहीं कि किसी ने काम नहीं किया. लेकिन सभी का काम शाहरुख खान को सपोर्ट करने के लिए था. लगता है उन्हें भी बताया गया था कि किंग खान की कमबैक फिल्म है. सारा फोकस उन पर रहेगा. मेकर्स का ये दांव SRK फैन्स की नजर से देखें तो सही लगता है. स्क्रीन पर जितनी बार भी शाहरुख आते हैं, फैन्स उनके साथ झूमते हैं. एक्शन करते हुए थोड़ी हंसी-ठिठोली करते हुए शाहरुख इस रोल में सहज लगे हैं.
उनका ये एक्शन अवतार बढ़िया है. विलेन वाले रोल में जॉन का काम ठीक-ठाक ही है. उनकी जो धूम फिल्म आई थी उनका वो वाला किरदार इस रोल से काफी मिलता-जुलता लगा. दीपिका पादुकोण को मेकर्स ने काफी एक्शन करने का मौका दिया है. अच्छी बात है, लीड एक्ट्रेस को सिर्फ 'खूबसूरती' तक सीमित नहीं रखा गया. लेकिन जैसे बताया उनका किरदार कहानी के लिहाज से कमजोर है. कह सकते हैं काफी कमजोर. सलमान तो फिल्म में कैमियो कर ही रहे हैं, वो किसी से नहीं छिपा. छोटा रोल है औसत दर्जे का मजा दे गए हैं. छोटे रोलों में डिंपल कपाडिया, आशुतोष राणा का काम भी सही लगा है.
VFX कमजोर...निर्देशन औसत दर्जे का
पठान का निर्देशन सिद्धार्थ आनंद का है. बैंग बैंग...वॉर जैसी फिल्में उन्हीं की देन हैं. अब पठान के साथ फिर उन्होंने उस जादू को बड़े पर्दे पर लाने की पूरी कोशिश की है. कोशिश इसलिए क्योंकि बहुत ज्यादा सफल नहीं हुए हैं. पठान की कहानी शुरुआत से ही कमजोर पिच पर खड़ी दिखती है. जैसे-जैसे आगे बढ़ती है, देश बदल जाते हैं, कुछ नए किरदार आते हैं लेकिन सब खिचड़ी सा लगता है. बस किसी तरह सुपर क्लाइमेक्स के लिए कड़ियों को जोड़ने का प्रयास हुआ है. फिल्म के VFX भी बहुत अच्छे लेवल के नहीं हैं. अभी-अभी ब्रह्मास्त्र देखी है तो उस डिपार्टमेंट को लेकर उम्मीदें ज्यादा बढ़ गई हैं. वैसे अगर ज्यादा दिमाग लगाकर फिल्म देखी तो कुछ ऐसे सीन भी देखने को मिल जाएंगे जिन्हें देख सिर पकड़ा जा सकता है. लेकिन उन्हें अभी सस्पेंस ही रहने देते हैं.
तो बस समझने वाली बात ये है कि शाहरुख खान के फैन हैं तो ये फिल्म जरूर-जरूर देख आइए. किंग खान ने आपके लिए ही इसे तैयार किया है. कमियां हैं कहानी को लेकर, कुछ सीन्स को लेकर, लेकिन बड़ी बात ये है कि बादशाह ने वापसी की है. एंड में वही मायने भी रखता है.