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'पठान' की धुआंधार कमाई की तुलना 'गदर' से कर रहे लोग, क्या सनी देओल का 20 साल पुराना जलवा दोहरा रहे हैं शाहरुख?

शाहरुख खान की फिल्म 'पठान' बॉक्स ऑफिस पर रिकॉर्ड तोड़ स्पीड से कलेक्शन कर रही है. फिल्म ने सिर्फ 5 दिन में बहुत सारे बड़े रिकॉर्ड्स तोड़ डाले हैं और अभी से शाहरुख के करियर की सबसे बड़ी फिल्म बन चुकी है. 'पठान' की जोरदार कमाई देखकर लोगों को सनी देओल की 'गदर' खूब याद आ रही है. लेकिन ये तुलना करना सही है?

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गदर और पठान
गदर और पठान

पिछले कई सालों से शाहरुख खान की एक भी फिल्म, बॉलीवुड की 10 सबसे कमाऊ फिल्मों की लिस्ट में नहीं थी. जबकि उनके साथ सुपरस्टार तिकड़ी में शामिल सलमान खान और आमिर खान की 3-3 फिल्में इस लिस्ट में डटी हुई थीं. सोशल मीडिया पर बॉलीवुड को मिल रही नेगेटिविटी, दीपिका के कपड़ों पर विवाद और थिएटर्स में सॉलिड कमाई के लिए जूझती फिल्मों की टेंशन के बीच 25 जनवरी को शाहरुख की 'पठान' रिलीज हुई. 

अब शाहरुख की फिल्म को थिएटर्स में 5 दिन हो चुके हैं. और सिर्फ 5 दिन की धुआंधार कमाई के बाद 'पठान' अब बॉलीवुड की 10वीं सबसे बड़ी फिल्म और हिंदी में 12वीं सबसे कमाऊ फिल्म बन चुकी है. कई सालों से अपने स्टारडम पर उठ रहे सवालों को चुपचाप सुन रहे शाहरुख के लिए सिर्फ 5 दिन में 'पठान' करियर की सबसे बड़ी फिल्म बन चुकी है. 

बॉक्स ऑफिस पर 'पठान' ने जिस तरह की सुनामी पैदा की है, उसे देखकर लोगों को सनी देओल की धमाकेदार ब्लॉकबस्टर 'गदर' याद आ रही है. सोशल मीडिया पर आपको बहुत लोग ये कहते दिख जाएंगे कि 'पठान' हमारे दौर की 'गदर' है. आइए बताते हैं कि 2001 में आई 'गदर' ने ऐसा क्या किया था और 'पठान' की इससे तुलना कितनी जायज है.   

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20 साल पहले बॉक्स ऑफिस पर मचा 'गदर'
1997 में आई 'बॉर्डर' में सनी देओल-देशभक्ति और सिख किरदार का कॉम्बिनेशन जनता में जोरदार हिट साबित हुआ था. 2001 में 'गदर' के साथ ये कॉम्बिनेशन एक बार फिर रिपीट हो रहा था. सनी देओल जब सरदार तारा सिंह बने, तो साथ में एक लव स्टोरी भी आई. 'गदर' ने अपने नाम को पूरी तरह जस्टिफाई करते हुए बॉक्स ऑफिस पर गदर ही मचा दिया.

15 जून 2001 को 'गदर' और 'लगान' एक साथ ही थिएटर्स में रिलीज हुई थीं. लेकिन सनी देओल की फिल्म ने बॉक्स ऑफिस पर, आमिर खान की फिल्म के मुकाबले डबल से भी ज्यादा कमाई की थी. बाद में आमिर खान ने 'लगान' की 20वीं एनिवर्सरी आर कहा कि वो सनी देओल की फिल्म के लिए तैयार तो थे, लेकिन 'गदर' ने थिएटर्स में जो तूफान खड़ा किया, उसकी उम्मीद उन्हें कतई नहीं थी. लोग ट्रकों में भरकर 'गदर' देखने थिएटर्स पहुंच रहे थे. कुछ रिपोर्ट्स ये भी बताती हैं कि जब थिएटर्स में सीटें फुल हो जातीं, तो सिनेमा मालिक अलग से कुर्सियां लगवाकर उनके लिए टिकट चार्ज करते. मगर तब भी अच्छी खासी भीड़ थिएटर्स से बाहर रह जाती, जो फिर अगला शो देखती. 

सनी देओल के माचो हीरो अवतार का क्रेज ऐसा फैला कि जहां आमिर की फिल्म ने इंडिया में करीब 34 करोड़ कमाए, वहीं 'गदर' ने 77 करोड़ का नेट कलेक्शन कर डाला था. और ये उस दौर की बात है जब 25 करोड़ कमाने वाली फिल्म अच्छी-खासी हिट मानी जाती थी. 

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'गदर' की कमाई आज के हिसाब से 
बॉक्स ऑफिस इंडिया का डाटा कहता है कि 2001 में आई 'गदर' का नेट हिंदी कलेक्शन, 2017 के हिसाब से इन्फ्लेशन एडजस्ट करने पर 486 करोड़ रुपये से ज्यादा था. पिछले 7 साल का इन्फ्लेशन जोड़ने पर 2023 में ये आंकड़ा बड़े आराम से 500 करोड़ के पार पहुंच सकता है. हमारे दौर में बॉलीवुड की सबसे बड़ी फिल्मों के हिसाब से देखें तो 'गदर' का एडजस्ट किया हुआ नेट कलेक्शन, लगभग 'बाहुबली 2' के टोटल हिंदी कलेक्शन (511 करोड़ रुपये) के लेवल पर है.  

फुटफॉल का कमाल
बॉक्स ऑफिस की जानकारी रखने वालों में एक बहुत पॉपुलर डिस्कशन ये रहता है कि फिल्म की कामयाबी नापने के लिए बॉक्स ऑफिस कलेक्शन से बेहतर पैमाना 'फुटफॉल' है. फुटफॉल मतलब एक फिल्म को देखने कितने लोग पहुंचे. रिपोर्ट्स कहती हैं कि 90s के बाद भारत में सबसे ज्यादा देखी गई हिंदी फिल्म 'हम आपके कौन' है, जिसका फुटफॉल 7 करोड़ से ज्यादा था. 'बाहुबली 2' 5 करोड़ 29 लाख फुटफॉल के साथ दूसरे, जबकि 5 करोड़ 5 लाख फुटफॉल वाली 'गदर' तीसरे नंबर पर हैं. 'पठान' से बॉक्स ऑफिस पर तूफान मचा रहे शाहरुख की ही आइकॉनिक फिल्म 'दिलवाले दुल्हनिया ले जाएंगे' 4 करोड़ 79 लाख फुटफॉल के साथ चौथी पोजीशन पर है. 

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आंकड़ों के झोल में बदलते दौर का खेल
बॉक्स ऑफिस और फुटफॉल के आंकड़े ये तस्वीर बनाते हैं कि अपने 'दौर' में 'गदर' की कामयाबी शायद 'बाहुबली 2' के लेवल से भी बड़ी थी. वजह ये है कि उस समय थिएटर्स की गिनती आज के मुकाबले बहुत कम थी और 'गदर' का स्क्रीन काउंट 500 से भी कम था. लेकिन दो अलग-अलग दौर के आंकड़ों की तुलना लगती भले दिलचस्प हो, लेकिन बहुत सतही एनालिसिस देती है. 

वजह ये है कि समय के साथ बहुत सारे फैक्टर बीच में आते जाते हैं. 'गदर' के दौर में सिनेमा हॉल भले कम रहे हों मगर सिनेमा देखना और थिएटर जाना तब हमारे कल्चर का एक बहुत बड़ा हिस्सा था. एंटरटेनमेंट के लिए जनता का सबसे फेवरेट साधन सिनेमा ही था. टीवी आ चुका था, लेकिन नई फिल्में सिनेमा में ही थीं. फिल्म बिजनेस को घुन की तरह चट कर रही डिजिटल पायरेसी तब बहुत ज्यादा नहीं थी, जबकि अब पूरी सिक्योरिटी के बावजूद नई फिल्में 2-3 दिन में लोगों के मोबाइल में डाउनलोड मिल जाती हैं.

थिएटर्स की तरह नई फिल्मों के लिए ओटीटी एक बड़ा माध्यम बन गया है, जो बहुत लोगों का फेवरेट भी बनता जा रहा है. ऊपर से 'पठान' एक ऐसे समय में रिलीज हुई है जो एक महामारी के बाद दर्शकों को वापिस थिएटर्स में बुलाने के लिए जूझते सिनेमा का दौर है. इस समय हिंदी फिल्म इंडस्ट्री को लेकर तमाम तरह की नेगेटिविटी फैली हुई है. साउथ की इंडस्ट्रीज से आई हिंदी डबिंग वाली फिल्मों की लोकप्रियता जनता में भरपूर है और बॉलीवुड के कंटेंट से भरपूर एंटरटेनमेंट मिलने की संभावना पर लोग संदेह करते हैं.

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फिल्मों के टिकट महंगे हो रहे हैं और सिंगल स्क्रीन से ज्यादा मल्टीप्लेक्स होते जा रहे हैं, जिसकी वजह से थिएटर्स में जाने वाले दर्शक हर साल कुछ कम हो जाते हैं. हर साल हजारों फिल्में बन रही हैं और साउथ के अलावा हॉलीवुड से भी इंडियन फिल्मों को तगड़ा चैलेंज मिल रहा है. इसलिए सिर्फ आंकड़ों के गणित से फिल्मों की तुलना नहीं की जा सकती.  

'पठान' का जलवा 
5 दिन में ही शाहरुख के करियर की सबसे बड़ी फिल्म बन चुकी 'पठान' इंडिया में 280 करोड़ कमा चुकी है और बहुत जल्द 300 करोड़ क्लब में एंट्री लेने वाली है. पूरा चांस दिखने लगा है कि ये आमिर खान की 'दंगल' (387 करोड़) को पछाड़कर, बॉलीवुड की सबसे बड़ी ब्लॉकबस्टर बन सकती है. सालों बाद शाहरुख की फिल्म, बॉलीवुड की 10 सबसे कमाऊ फिल्मों की लिस्ट में आई है. 'पठान' का वर्ल्डवाइड कलेक्शन सिर्फ 5 दिन में 542 करोड़ पहुंच चुका है. अब शाहरुख की फिल्म के लिए 800 से 1000 करोड़ तक कमाने का चांस बिल्कुल खुला है.

रिपोर्ट्स के अनुसार पहले वीकेंड में 'पठान' का फुटफॉल 1.5 करोड़ रहा है. और जैसा हमने अभी ऊपर कहा, टिकट के रेट्स बढ़ने की वजह से बॉक्स ऑफिस की कमाई भले बढ़ जाती हो लेकिन फुटफॉल कम हो जाते हैं. ऐसे में 'पठान' के फुटफॉल इस दौर की फिल्मों के हिसाब से ठीकठाक हैं और बॉक्स ऑफिस आंकड़े तो सॉलिड चल ही रहे हैं. इसलिए शाहरुख की 'पठान' हमारे दौर की 'गदर' हो या नहीं, लेकिन इस समय बॉलीवुड की तस्वीर बदल देने वाली फिल्म जरूर है.

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