उत्तराखंड के चंपावत जिले की विधानसभा सीट है चंपावत विधानसभा सीट. चंपावत विधानसभा सीट चंपावत जिले के मुख्यालय की सीट है. इस विधानसभा क्षेत्र में चंपावत और टनकपुर तहसील आती है. चंपावत विधानसभा सीट उत्तराखंड राज्य गठन के बाद से अनारक्षित ही रही है. चंपावत विधानसभा क्षेत्र कुमाऊं की एकमात्र ऐसी सीट है जिसमें मैदानी के साथ ही पहाड़ी क्षेत्र भी शामिल हैं. चंपावत विधानसभा क्षेत्र का लगभग 80 किलोमीटर का हिस्सा नेपाल के साथ सीमा साझा करता है. चंपावत विधानसभा क्षेत्र के बनबसा में नेपाल और भारत को जोड़ने वाला पुल भी है जहां से दोनों देशों के नागरिक एक दूसरे देश में आवाजाही करते हैं.
चंपावत विधानसभा सीट की सीमाएं उधमसिंह नगर जिले से भी लगती हैं. चंपावत विधानसभा क्षेत्र में ही पूर्णागिरि माता का धाम भी पड़ता है जहां हर साल देशभर से श्रद्धालु पहुंचते हैं. इसके साथ ही चंद्रवंशी के शासनकाल में बना बालेश्वर मंदिर भी है. यहां कुमाऊं के न्याय के प्रमुख देवता गोल्ज्यू का भी पुरातन मंदिर है. चंपावत जिला मुख्यालय पर पौराणिक एक हथिया नौला, घटकू मंदिर जैसे कई आध्यात्मिक केंद्र भी स्थित हैं. पांडवों ने जहां अपना अज्ञातवास बिताया था वह ब्यानधुरा भी चंपावत विधानसभा क्षेत्र के तहत ही आता है. चंपावत का श्यामलाताल प्रमुख पर्यटन स्थल है.
राजनीतिक पृष्ठभूमि
चंपावत विधानसभा सीट के लिए उत्तराखंड राज्य गठन के बाद साल 2002 में पहली दफे विधानसभा चुनाव हुए. चंपावत विधानसभा सीट से 2002 में कांग्रेस के हेमेश खर्कवाल, 2007 में भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के मदन सिंह महराना की पत्नी बीना महराना और 2012 में फिर से कांग्रेस के हेमेश खर्कवाल विधानसभा सदस्य निर्वाचित हुए.
2017 का जनादेश
चंपावत विधानसभा सीट से 2017 के चुनाव में भी कांग्रेस ने हेमेश खर्कवाल पर दांव लगाया. बीजेपी ने खर्कवाल के सामने कैलाश गहतोड़ी को उम्मीदवार बनाया. बीजेपी के कैलाश गहतोड़ी ने अपने निकटतम प्रतिद्वंदी कांग्रेस के हेमेश खर्कवाल को 17360 वोट के बड़े अंतर से हरा दिया. कैलाश गहतोड़ी पहली दफे विधानसभा पहुंचे.
सामाजिक ताना-बाना
चंपावत विधानसभा क्षेत्र के सामाजिक समीकरणों की बात करें तो इस विधानसभा क्षेत्र में पहाड़ी के साथ ही मैदानी इलाके भी शामिल हैं. इस विधानसभा सीट पर करीब 60 फीसदी मतदाता टनकपुर और बनबसा जैसे मैदानी क्षेत्रों के हैं तो वहीं 40 फीसदी मतदाता पहाड़ से ताल्लुक रखते हैं. चंपावत में अब तक हुए विधानसभा चुनाव में मैदानी मतदाता ही निर्णायक साबित होते रहे हैं. चंपावत विधानसभा क्षेत्र में कुल करीब एक लाख मतदाता हैं. जातीय समीकरणों की बात करें तो राजपूत मतदाताओं की बहुलता है. इस विधानसभा क्षेत्र में ब्राह्मण, अनुसूचित जाति और जनजाति के साथ ही अन्य पिछड़ा वर्ग के मतदाता भी अच्छी तादाद में हैं.
विधायक का रिपोर्ट कार्ड
चंपावत विधानसभा सीट से विधायक कैलाश गहतोड़ी का दावा है कि उनके कार्यकाल में स्वास्थ्य, शिक्षा और सड़क को लेकर काफी काम हुआ है. विधायक का दावा है कि उनके प्रयास से पेयजल को लेकर भी कार्य हुए हैं. दूसरी तरफ, विपक्षी दलों के नेता विधायक को विफल बताते हुए दावा कर रहे हैं कि पिछले पांच साल का कार्यकाल निराशाजनक रहा है.