
Uttar Pradesh Chunav 2022: उत्तर प्रदेश में आवारा पशु का मुद्दा चुनावी मुद्दा बनता जा रहा है. अगले तीन चरण में आवारा पशुओं से परेशान किसान बेहद अहम भूमिका निभाएंगे. पांचवें चरण में आवारा पशु का मुद्दा कितना प्रभावी रहेगा और क्या इससे बीजेपी को नुकसान होगा? यह सब जानने के लिए हम पहुंचे प्रयागराज की फाफामऊ विधानसभा के डहरपुर बांधपुर गांव.
लखनऊ-प्रयागराज हाईवे से करीब 5 किलोमीटर अंदर बसे इस गांव के मोड़ पर पहुंचे तो हमारी मुलाकात तिराहे पर चाय की दुकान लगाने वाले दशरथ से हुई. बगल में खेत और चाय की दुकान से दशरथ अपने परिवार का पेट भरते हैं. जिन खेतों से गेहूं, चावल, सरसों मिलती उन पर आवारा पशुओं ने आतंक मचा रखा है. किसी तरह दिन में तो आवारा पशुओं का आतंक कम रहता है लेकिन रात होते ही झुंड का झुंड खेतों में घुसकर फसल बर्बाद कर रहा है.
दशरथ की बात सुनकर हम गांव में बढ़े तो गांव के चौराहे पर मुलाकात रामाशीष सरोज से हो गई. रामाशीष सरोज चौराहे पर ही दाढ़ी बनवा रहे थे. रामाशीष कहते हैं कि आवारा पशुओं ने हमें बर्बाद किया है, अब हम वोट की चोट से सरकार को सबक सिखाएंगे. रामाशीष आरोप लगा रहे हैं कि सरकार ने कोई इंतजाम नहीं किया, आवारा पशुओं के लिए जो आश्रय स्थल बनाए गए, वहां पर इंतजाम नहीं थे.
बगल में खड़ा सुरेश यादव कहता है कि सरकार ने किसी का भला नहीं किया, बेरोजगारों को ठगा, किसानों को ठगा अब हम रात में पढ़ाई छोड़ कर खेतों की रखवाली कर रहे हैं. हमारी बातचीत को सुनकर चाय की चुस्की ले रहे अंबिका प्रसाद ने कहा कि क्या आवारा पशुओं के लिए हम लोग जिम्मेदार नहीं हैं? जब तक गाय दूध देती है तब तक रखते हैं और जब गाय दूध देना बंद कर देती है तो उसे आवारा छोड़ देते हैं.

अंबिका का यह तर्क सुनकर रामाशीष कहते हैं कि सांड का क्या इलाज है, सांड को कौन रखें और रखकर उसका करें तो क्या? खेतों की तरफ इशारा करते हुए विनोद दिखाते हैं कि कैसे उनके खेतों को आवारा पशु ने खत्म कर दिया, पहले धान की फसल खराब की और अब गेहूं की फसल भी बर्बाद हो गई, इसलिए अब उन्होंने खेत में कुछ भी नहीं बोया है.
इस चुनावी मौसम में आवारा पशुओं की समस्या से नाराज रामाशीष, अंबिका, सुरेश जैसे तमाम किसान एक साथ कहते हैं कि यह सरकार की बदइंतजामी है, नाकामी है. सवाल किया गया कि सरकार 5 किलो राशन भी तो दे रही है तो हंसते हुए सभी का तर्क था कि 5 कुंटल अनाज बर्बाद करवाकर 5 किलो राशन से कहां भला होगा?
अयोध्या के इस गांव में सांड के हमले से तीन की मौत
अयोध्या के मिल्कीपुर इलाके के राय पट्टी गांव में भी आजतक की टीम पहुंची, जहां किसानों ने इस मुद्दे की गंभीरता और अपने जीवन पर इसके प्रभाव के बारे में बताया. 58 साल के राम अवतार ने कहा कि फसल को बचाने के लिए उन्हें पूरी रात खेत में ही गुजारनी पड़ती है. उन्होंने कहा कि पहले ही 10 हजार रुपये का नुकसान हो चुका है.
45 वर्षीय ललिता कहती हैं, 'गांव की महिलाओं ने तय किया कि इस बार उन्हें सबक सिखाएंगे जिन्होंने आवारा पशुओं को लेकर इंतजाम नहीं किया, आवारा मवेशियों ने हमारे गेहूं-धान और सरसों की फसल को नुकसान पहुंचाया है.' उन्होंने कहा कि आवारा सांड ने कई लोगों पर हमला भी किया है, जिनमें गांव के ही तीन लोगों की मौत हो गई.

9 माह पहले राय पट्टी गांव में ही 27 वर्षीय युवक की बैल के हमले से मौत हो गई थी. ग्रामीणों का कहना कि सांड और आवारा पशुओं के आतंक से किसान बुरी तरह प्रभावित हैं. उन्होंने कहा, 'सरकार ने इन आवारा मवेशियों की बढ़ती संख्या को नियंत्रित करने के लिए कुछ नहीं किया है और कई शिकायतों के बाद भी वे फसलों को नुकसान पहुंचा रहे हैं.'