उत्तर प्रदेश की सत्ता में वापसी के लिए सपा प्रमुख अखिलेश यादव हरसंभव कोशिश में जुटे हैं. 'नई हवा है, नई सपा है' और 'बुजुर्गों का हाथ, युवाओं के साथ' का नारा दिया है, जिससे जाहिर है कि अखिलेश को इस बात का अहसास है कि युवाओं के जोश के साथ-साथ यूपी की तपती हुई चुनौती भरी सियासी राह पर पुराने बरगद की छांव कितनी जरूरी है. यही वजह है कि अखिलेश 2022 के चुनाव से पहले अपने पिता मुलायम सिंह यादव के दौर के नेताओं की घर वापसी करने में जुटें हैं, ताकि 'नई सपा में बुजुर्ग नेता हवा' भर सकें?
बता दें कि पांच साल पहले अखिलेश यादव और शिवपाल यादव के बीच मची सियासी वर्चस्व के चलते सपा दो हिस्सों में बंट गई थी. सपा की कमान अखिलेश यादव के हाथों में आने के बाद मुलायम सिंह के दौर के तमाम नेताओं पार्टी छोड़कर चले गए थे या फिर उन्हें सपा से बाहर का रास्ता दिखा दिया गया था. सपा संरक्षक मुलायम सिंह वयोवृद्ध हैं और स्वास्थ्य खराब रहता है. सपा के पुराने रणनीतिकार और हर फैसले में अहम भूमिका निभाने वाले सांसद आजम खां बीमार चल रहे हैं और जेल में बंद हैं.
मुलायम सिंह के दौर के सक्रिय नेताओं में प्रदेश अध्यक्ष नरेश उत्तम पटेल, नेता प्रतिपक्ष रामगोविंद चौधरी, विधान परिषद में नेता प्रतिपक्ष अहमद हसन और मुख्य प्रवक्ता राजेंद्र चौधरी जैसे ही कुछ दिग्गज ही पार्टी में प्रमुख भूमिका में हैं. अनुभवी नेताओं की कमी का असर 2017 के विधानसभा और 2019 के लोकसभा चुनाव में सपा को उठाना पड़ा है. ऐसे में 2022 के विधानसभा चुनाव को देखते हुए अखिलेश यादव सपा छोड़कर गए नेताओं की घर वापसी के लिए पार्टी के दरवाजे खोल दिए हैं.
सपा संस्थापक व यूपी की पूर्व मुख्यमंत्री मुलायम सिंह के करीबी और रणनीतिकारों में शामिल रहे अंबिका चौधरी शनिवार को बसपा छोड़कर सपा में लौट आए. बलिया के इस दिग्गज नेता की घर वापसी के पीछे उनकी राजनीतिक मजबूरियां हो सकती हैं, लेकिन भावुक होने पर उनकी आंखों से निकले आंसुओं ने आगामी विधानसभा चुनाव के लिए सपा की उम्मीदों को काफी कुछ सींच दिया.
अखिलेश ने कहा, 'पुराने समाजवादी कितने कष्ट से दूसरे दलों में गए हैं, इसका एहसास आज अंबिका चौधरी को देखकर मुझे हुआ है. मेरी कोशिश रहेगी नेताजी (मुलायम सिंह यादव) से जुड़े हुए जितने पुराने साथी हैं, उन्हें पार्टी से जोड़ा जाए. न जाने क्यों बहुत मजबूत रिश्ते आसानी से टूट जाते हैं, लेकिन अब फिर से सब सही हो रहा है. राजनीति में उतार-चढ़ाव आते हैं, लेकिन सही समय पर जो साथ आए वही साथी है, ये वो लोग हैं, जिनके भाषण सुनते हुए हमने समाजवाद सीखा.'
पिछले एक साल में तमाम नेताओं की अखिलेश पार्टी में वापसी करा चुके हैं और कुछ नेताओं की एंट्री के लिए पटकथा लिखी जा रही है. मुलायम के करीबी नेताओं ने सपा को अलविदा कह दूसरी पार्टी में जाने वाले, सलीम शेरवानी, नारद राय, अंबिका चौधरी, मुख्तार अंसारी के भाई पूर्व विधायक सिबगतुल्लाह अंसारी,मुकेश शर्मा और रामलाल अकेला की पार्टी में वापसी हो चुकी है.
अखिलेश यादव ने पिछले दिनों आजतक पंचायत कार्यक्रम में अपने इंटरव्यू में कहा था कि शिवपाल यादव की पार्टी को भी साथ में लिया जाएगा और उनके साथ गए नेताओं को भी एडजस्ट करने का काम करेंगे. शिवपाल की जसवंतनगर सीट पर सपा अपना कैंडिडेट नहीं उतारेगी. वहीं, शिवपाल यादव भी 2019 लोकसभा चुनाव के बाद से सपा के साथ गठबंधन करने का खुला ऑफर दे रहे हैं.
वहीं, शिवपाल के साथ सपा से अलग हुए नेता अपने सियासी भविष्य को चिंतित हैं और दूसरी पार्टी में एडजस्ट नहीं हो सकते हैं. ऐसे में तमाम नेता घर वापसी करने लगे हैं, जिससे अखिलेश यादव सपा में अनुभवी नेताओं को लाकर पार्टी के युवाओं में जोश भरना चाहते हैं.