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Thakurdwara Assembly Seat: BJP के गढ़ में पहली बार SP की सेंध, तुक्का या फिर होगी वापसी?

ठाकुरद्वारा विधानसभा सीट: जनपद मुरादाबाद की ठाकुरद्वारा विधानसभा सीट पर 1952 से 2017 तक 17 बार चुनाव हुए हैं और एक बार उपचुनाव. यहां जनता ने सबसे ज्यादा 6 बार कांग्रेस पार्टी के विधायक को चुना है. वहीं दूसरे नंबर पर भाजपा है जिसने 5 बार जीत हासिल की है.

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Uttar Pradesh Assembly Election 2022( Thakurdwara Assembly Seat)
Uttar Pradesh Assembly Election 2022( Thakurdwara Assembly Seat)
स्टोरी हाइलाइट्स
  • उत्तराखंड सीमा से सटी है यह सीट
  • एक जमाने में कांग्रेस का था दबदबा
  • 90 के बाद से बीजेपी पांच बार जीती

मुरादाबाद जनपद की ठाकुरद्वारा विधानसभा सीट, 1952 में ही अस्तित्व में आ गई थी. यह मुरादाबाद मुख्यालय से लगभग 49 किमी दूर स्थित है और उत्तराखंड कि सीमा से सटी हुई है. ठाकुरद्वारा विधानसभा के साथ साथ मुरादाबाद  नगरपालिका और तहसील भी है. रामगंगा की कई सहायक नदियां इस इलाके से होकर गुजरती हैं. यहां सप्ताह में 3 दिन साप्ताहिक बाजार भी लगता है. यहां का मुख्य कारोबार सूती कपड़े बुनना और उनको रंगना है. इस इलाके में गेहूं, चावल और गन्ने की खेती भी की जाती है. सरकारी आंकड़ों के मुताबिक ठाकुरद्वारा विधानसभा में कुल 3,09,372 मतदाता हैं. जिनमें पुरुष मतदाता 1,68,790 और महिला मतदाता 1,40,571 और 11 अन्य मतदाता शामिल हैं.

राजनीतिक पृष्ठभूमि

जनपद मुरादाबाद की ठाकुरद्वारा विधानसभा सीट पर 1952 से 2017 तक 17 बार चुनाव हुए हैं और एक बार उपचुनाव. यहां  जनता ने सबसे ज्यादा 6 बार कांग्रेस पार्टी के विधायक को चुना है. वहीं दूसरे नंबर पर भाजपा है जिसने 5 बार जीत हासिल की है. जबकि 2 बार सपा और दो बार बसपा से विधायक चुने गये हैं. ये कह सकते हैं कि इस क्षेत्र में पहले कांग्रेस का फिर भाजपा का उसके बाद बसपा और सपा का दबदबा रहा है. 1952 में कांग्रेस के शिव सरूप सिंह, विधायक बने थे तो 1957 में कांग्रेस से किशन सिंह और 1962 में कांग्रेस से ही रामपाल सिंह विधायक चुने गए. यहां लगातार 3 बार कांग्रेस का ही कब्जा रहा. लेकिन विधायकों के चेहरे बदलते रहे. इस पर लगाम लगी 1967 में जब एक नई पार्टी स्वतंत्र पार्टी से ए खान विधायक चुने गये. 

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1969 में भी यहां की कमान स्वतंत्र पार्टी के ही हाथ में रही और स्वतंत्र पार्टी के अहमद उल्ला खान विधायक बने. कांग्रेस ने 1974 में चौथी बार यह सीट हासिल की और 1962 में कांग्रेस से विधायक रहे रामपाल सिंह दूसरी बार 1974 में फिर से विधायक चुने गये. 1977 में जनता पार्टी ने आगाज किया और मुकीम उर रहमान ने बाजी मार ली. लेकिन 1980 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस से रामपाल सिंह ने फिर वापसी करते हुए जीत हासिल की और तीसरी बार ठाकुरद्वारा के विधायक के रूप में चुने गए. 

1985 में भी कांग्रेस ही काबिज हुई. विधायक के रूप में कांग्रेस से शेखावत हुसैन चुने गए. 1989 के विधानसभा चुनाव आते आते कांशीराम और मायावती के नेतृत्व में बहुजन समाज पार्टी ने चुनावी मैदान में ताल ठोक दी थी. लिहाजा इस सीट पर एक नया बदलाव हुआ. यहां के लोगों ने 1989 में बहुजन समाज पार्टी उम्मीदवार मुजीबुल्ला खान को अपना विधायक चुना. इसके बाद 1991 में भाजपा ने पहली बार यहां से अपना खाता खोला. बीजेपी उम्मीदवार कुंवर सर्वेश कुमार सिंह को विधायक चुना गया. कुंवर सर्वेश कुमार सिंह, 3 बार कांग्रेस से विधायक रह चुके रामपाल सिंह के बेटे हैं. 

पिता की मृत्यु के बाद बेटे कुंवर सर्वेश कुमार सिंह ने भाजपा का दामन थाम लिया और पहली बार विधायक चुने गए. कुंवर सर्वेश सिंह ने ठाकुरद्वारा की जनता में अपनी सीधी पहुंच रखी और लगातार चार बार 1991 ,1993 ,1996 और 2002 में भाजपा विधायक के रूप में चुने गए. 2007 में अप्रत्याशित रूप से उत्तर प्रदेश की राजनीतिक समीकरण बदल गए और बहुजन समाज पार्टी ने पूर्ण बहुमत प्राप्त किया. जिसका असर ठाकुरद्वारा विधानसभा में भी देखने को मिला. बहुजन समाज पार्टी उम्मीदवार विजय यादव ने ठाकुरद्वारा के कद्दावर नेता कुंवर सर्वेश सिंह को पछाड़ते हुए जीत हासिल की. लेकिन 2012 के विधानसभा चुनाव में भाजपा के कुंवर सर्वेश कुमार सिंह ने फिर से जबरदस्त वापसी करते हुए जीत हासिल कर ली और पांचवीं बार ठाकुरद्वारा सीट से विधायक चुने गए.

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कुंवर सर्वेश कुमार सिंह ने ठाकुरद्वारा विधानसभा सहित पूरे मुरादाबाद में अपनी राजनीतिक हैसियत बढ़ा ली थी. जिसे देखते हुए भाजपा ने 2014 लोकसभा चुनाव में कुंवर सर्वेश कुमार सिंह को अपना प्रत्याशी बनाकर मैदान में उतारा. भारतीय जनता पार्टी का यह फैसला सही साबित हुआ. लिहाजा 2014 में कुंवर सर्वेश सिंह के विधायक से सांसद बन जाने के बाद विधानसभा के उपचुनाव हुए, जिसमें समाजवादी पार्टी ने पहली बार खाता खोलते हुए 2012 में नगरपालिका अध्यक्ष रहे नवाब जान को मैदान में उतारा और जीत भी हासिल की. उपचुनाव में नवाब जान ने भारतीय जनता पार्टी को दूसरे नम्बर पर खिसका दिया और भाजपा से उपचुनाव में उतरे राजपाल चौहान को हरा दिया. 

प्रमुख मुद्दा

इस इलाके की मुख्य समस्या बरसात के मौसम में रामगंगा और उसकी सहायक नदियों में आने वाली बाढ़ है, जिससे इस विधानसभा के कई दर्जन गांव खासे प्रभावित हो जाते हैं. उनका सम्पर्क भी टूट जाता है. आज तक बाढ़ के बचाव के लिए कोई ठोस उपाय नहीं किये गये हैं और तटबंध की मांग काफी लम्बे समय से जस कि तस बनी हुई है. दूसरा ये है कि मुरादाबाद से यहां तक पहुंचने का सिर्फ सड़क मार्ग ही एक विकल्प है. रेलवे लाइन की मांग भी यहां के लोग करते चले आ रहे हैं. क्योंकि अगर रेलवे का सफर करना हो तो ट्रेन के लिए सीधे उत्तराखंड के काशीपुर जाना पड़ता है और वहां से 15 किलोमीटर फिर वापस सड़क मार्ग से ही आना पड़ता है.   

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विधायक का रिपोर्ट कार्ड

2014 के उपचुनाव और उसके बाद 2017 के विधानसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी से ठाकुरद्वारा विधायक चुने गए. 63 वर्षीय नवाब जान का जन्म 01 सितम्बर 1958 को ठाकुरद्वारा में हुआ था. नवाब जान ने 8वीं तक शिक्षा प्राप्त की है. नवाब जान 2012 में ठाकुरद्वारा नगरपालिका अध्यक्ष भी रह चुके हैं. नवाब जान ने सन 1997 में शाइस्ता बेगम से शादी की थी. पिता रईस जान एक किसान रहे हैं. नवाब जान का कोई आपराधिक इतिहास सामने नहीं आया है. नवाब जान 2016-17 में विशेषाधिकार समिति के सदस्य भी रह चुके हैं. समाजवादी पार्टी से पहले नवाब जान कांग्रेस में भी सक्रिय रह चुके हैं. 

 

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