तमिलनाडु में विधानसभा चुनाव की तारीखों का ऐलान हो चुका है. यहां 6 अप्रैल को वोट डाले जाएंगे. 234 विधानसभा सीटों वाले इस राज्य में क्या सियासी गणित बैठेगा, ये 2 मई को साफ होगा, लेकिन यहां राजनीतिक पार्टियों ने चुनावी समर में कूदने के लिए कमर कस ली है. वैसे तमिलनाडु में सब्सिडी के जरिए सियासी समीकरण साधने का दौर अन्नादुरई के वक्त से जारी है, लेकिन करूणानिधि के बाद जयललिता ने सब्सिडी और फ्री गिफ्ट को ऐसा चुनावी हथियार बनाया कि इसकी अहमियत दिलचस्प हो गई.
साल-2006 में फ्री गिफ्ट और सब्सिडी की सियासी लड़ाई असल रंग में आई थी, तब करूणानिधि ने फ्री कलर टीवी समेत कई योजनाएं शुरू कर DMK को सत्ता दिलवाई थी. इसके बाद ‘फ्रीबीज’ शब्द से गुरेज करने वाली जयललिता ने साल 2011 और 2016 में इसे लोक कल्याणकारी योजना बताकर सीएम की कुर्सी पर कब्जा जमाया था. जयललिता ने साल 2011 में चुनाव में मुफ्त चावल, स्टूडेंट्स को लैपटॉप, मिक्सर ग्राइंडर और मंगलसूत्र के लिए सोना सहित कई घोषणाएं की थीं.
जयललिता ने अम्मा कैंटीन, अम्मा मिनरल वॉटर, अम्मा सीमेंट और अम्मा नमक जैसी योजनाएं चलाकर अपनी कल्याणकारी छवि को और मजबूत कर लिया था. 2016 के विधानसभा चुनाव में 100 यूनिट मुफ्त बिजली, मोबाइल और दो पहिया वाहन खरीदने के लिए महिलाओं को 50 फीसदी सब्सिडी देने का भी ऐलान किया था. इस तरह लगातार दो बार जयललिता ने ‘फ्रीबीज’ के मास्टर स्ट्रोक के जरिेए जीत का परचम लहराया था. इस बार भी सीधी लड़ाई AIADMK और डीएमके बीच है. वहीं, चुनाव से पहले सत्तारूढ़ AIADMK ने सब्सिडी और ‘फ्रीबीज’ को लेकर माहौल बना दिया है.
चुनाव की तारीखों के ऐलान से पहला बड़ा ऐलान
मुख्यमंत्री ई. पलानीस्वामी ने विधानसभा चुनाव की तारीखों का ऐलान होने से महज कुछ घंटे पहले गोल्ड लोन माफ करने का ऐलान किया. राज्य सरकार ने घोषणा की कि सहकारी बैंकों द्वारा किसानों और गरीबों को दिए गए 6 कैटेगरी में लिए गए गोल्ड लोन को माफ किया जाएगा.
उलमा को सब्सिडी और पेंशन
इसी महीने तमिलनाडु सरकार ने उलेमा को नए दोपहिया की खरीद पर 50 फीसद सब्सिडी देने और उनकी पेंशन भी दोगुनी करने का ऐलान किया है. अब उलेमा को 1,500 रुपये की जगह पर 3,000 रुपये पेंशन मिलेंगी. इसके अलावा तमिलनाडु वक्फ बोर्ड को आवंटित जमीन पर हज हाउस बनाने के लिए 15 करोड़ रुपये भी दिए जाएंगे.
क्रिसमस पर दिया था तोहफा
क्रिसमस के मद्देनजर भी पलानीस्वामी सरकार ने बड़ा फैसला किया था. सरकार ने ईसाइयों को यरुशलम जाने के लिए सब्सिडी बढ़ा दी थी. प्रति व्यक्ति सब्सिडी की राशि 20 हजार रुपये से बढ़ाकर 37 हजार रुपये कर दी गई थी. बता दें कि 2011-12 में तत्कालिन मुख्यमंत्री जयललिता द्वारा यह पहल शुरू की गई थी.