बीजेपी ने सोमवार को नई दिल्ली में अपना चुनावी घोषणापत्र जारी कर दिया. आज ही देश में लोकसभा चुनाव के पहले चरण का मतदान हो रहा है. इस दौरान बीजेपी मुख्यालय में पीएम उम्मीदवार नरेंद्र मोदी समेत पार्टी के सभी वरिष्ठ नेता मौजूद थे. इस घोषणापत्र की समिति के अध्यक्ष मुरली मनोहर जोशी ने कहा कि यह घोषणा पत्र पूरी सहमति के साथ बनाया गया है.
हालांकि इस दौरान जोशी ने घोषणापत्र से इतर दूसरे सवालों पर बात करने से इनकार कर दिया. मोदी ने बदले की भावना से काम न करने की बात कही. घोषणा पत्र में भी समावेशी विकास पर जोर दिया गया. ऐसे में जब एक पत्रकार ने नाम लिए बिना अमित शाह के बयान के संदर्भ में सवाल किया तो जोशी ने उस पर बात न करना ही उचित समझा.
घोषणापत्र जारी होने के बाद मुरली मनोहर जोशी ने पत्रकारों के सवालों का जवाब दिया. पढ़िए, सवाल- जवाब, ज्यों के त्यों.
सवाल: राम मंदिर को मेनिफेस्टो में लेने पर टॉप लीडरशिप में मतभेद की खबर आई थी.
जोशी: घोषणापत्र में आपने सब कुछ देखा है, जो बिंदु हैं लिखे हैं. आप अपने दिमाग से मीडिया में
कुछ भी बनाते रहें, उसका कोई इलाज नहीं है. वो सब मुद्दे जिन्हें आप समझ रहे थे कि डिबेट है
या नहीं होंगे. कुछ नहीं है, सब सर्वसम्मति से है. सबकी सहमति है. इस बात का पूरा ध्यान रखा
गया है कि चुनाव आयोग के निर्देशों का ध्यान रखा जाए.
सवाल: रिटेल में मल्टीब्रैंड में एफडीआई को आप रोक रहे हैं. मगर जिन राज्यों ने इसे अपनाया है.
क्या बीजेपी पलटेगी इसे?
जोशी: राज्यों के अधिकार वही समझें. हमारी नीति ये है. हमारे शासित राज्यों ने इसका उल्लंघन
नहीं किया.
सवाल: पहले तीन काम क्या होंगे, जो सरकार बनने पर होंगे?
जोशी: इसमें जिस क्रम में लिखे हैं, उसी क्रम में काम करेंगे. जनता की चिंताओं के हिसाब से ही
प्राथमिकता तय की गई है.
सवाल: आप इन्क्लूसिव ग्रोथ और इंटीग्रेटेड डिवेलपमेंट की बात कर रहे हैं. मगर कुछ नेता
माइनॉरिटी के लिए बदले की बात कर रहे हैं.
जोशी: घोषणापत्र से संबंधित सवाल करें. बाकी के लिए फिर कभी समय देंगे.
सवाल: आपने डिवेलपमेंट औऱ गुड गवर्नेंस की बात की, मगर फिर राम मंदिर का नाम लिया है.
क्या आप वापस हिंदुत्व पर लौट रहे हैं?
जोशी: कोई कन्फ्यूजन नहीं है. सांस्कृतिक रूप से जो हमारे लिए महत्वपूर्ण है, वह घोषणापत्र का
हिस्सा है. हिंदुत्व हमारे लिए कोई चुनावी मुद्दा नहीं रहा है.
सवाल: 2004 में एनडीए जब चुनाव हारी गई थी, उस वक्त के जो वादे थे क्या वह रहेंगे?
जोशी: आप देख लें. तब हालात दूसरे थे. अब हालात दूसरे हैं. हालत बिगड़ी हुई है.
सवाल: 60 फीसदी लोग 30 साल के नीचे के हैं. क्या ये मेनिफेस्टो स्वदेशी के पुराने विजन के
मुताबिक है या मोदी के विजन के मुताबिक है?
जवाब: स्वदेशी का मतलब बैलगाड़ी पर लौटना नहीं है. इसका मतलब भारत की विविधता और
क्षमता का इस्तेमाल करना है. ये 'ब्रैंड इंडिया' ही 21वीं सदी का स्वदेशी है. यह विस्तृत संकल्पना
है.
सवाल: इस वित्त वर्ष के अंत में इकॉनमकि ग्रोथ 5 फीसदी से कम रहने वाली है. हायर मोमेंटम
चाहिए. आप कैसे करेंगे.
जवाब: इन सब मुश्किलों का सॉल्युशन और डायरेक्शन मेनिफेस्टो में है. इकॉनमी पर एक पूरा
चैप्टर है.