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कभी प्रेस कॉन्फ्रेंस छोड़ महागठबंधन से बाहर चले गए थे मुकेश सहनी, अब फिर क्यों लौटे हैं 'सन ऑफ मल्लाह'?

बिहार की राजनीति में मुकेश सहनी सबका साथ निभा चुके हैं. कभी चुनाव हारने के बाद भी NDA सरकार में सहनी को मंत्री पद मिला था. बाद में उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के दौरान सहनी ने BJP के खिलाफ 50 से अधिक उम्मीदवार मैदान में उतार दिए थे. VIP 2019 में भी महागठबंधन का हिस्सा थी. तब पार्टी ने लोकसभा की 3 सीटों पर चुनाव लड़ा था, हालांकि उसे किसी भी सीट पर जीत हाथ नहीं लगी थी.

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 मुकेश सहनी महागठबंधन में शामिल हुए.
मुकेश सहनी महागठबंधन में शामिल हुए.

बिहार में मुकेश सहनी की पार्टी विकासशील इंसान पार्टी (VIP) महागठबंधन में शामिल हो गई है. लोकसभा चुनाव के मद्देनजर यह डील मूल रूप से मुकेश सहनी और RJD के बीच हुई है. RJD नेता और बिहार के पूर्व डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव ने खुद इस पॉलिटिकल डवलपमेंट की जानकारी दी. दोनों नेताओं के बीच ये डील 3 लोकसभा सीट देने को लेकर फाइनल हुई. इस लोकसभा चुनाव में आरजेडी अपने हिस्से की 26 सीटों में से 3 सीटें मुकेश सहनी की पार्टी VIP को देगी. जिन जगहों से विकासशील इंसान पार्टी चुनावी मैदान में उतरेगी वो गोपालगंज, झंझारपुर और मोतिहारी की सीटें हैं. 
 
सबका साथ निभा चुके हैं सहनी 

बिहार की राजनीति में मुकेश सहनी और उनकी पार्टी  VIP की राह कई स्थानीय पार्टियों की तरह ही रही है. सूबे में सहनी सबका साथ निभा चुके हैं. मसलन, भाजपा के साथ राजनीति में कदम रखने वाले मुकेश सहनी जनता दल-यूनाइटेड (JDU), लोकशक्ति पार्टी (LJP) के साथ कदमताल कर चुके हैं. मतलब NDA और महागठबंधन ( पहले UPA) में उनका आना-जाना लगा रहा है. 

सहनी ने 2015 के विधानसभा चुनाव में भाजपा के लिए जमकर प्रचार किया था. इसी साल लालू-नीतीश ने मिलकर चुनावी ताल ठोकी थी और भाजपा को हार झेलनी पड़ी थी. इसके बाद BJP आहिस्ता-आहिस्ता सहनी से किनारा करती चली गई. बाद में मुकेश सहनी ने महागठबंधन का दामन थाम लिया था. कुछ समय महागठबंधन में बिताने के बाद सहनी एक बार फिर NDA के साथ चले गए थे. इतना ही नहीं, 2020 के बिहार विधानसभा चुनाव के बाद जब राज्य में NDA की सरकार बनी, तब सहनी नीतीश कैबिनेट में मंत्री बने. हालांकि बाद में उन्हें मंत्रिमंडल से बाहर का रास्ता दिखा दिया गया था. 

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NDA सरकार में मंत्री रहते फूंका था बगावत का बिगुल

2019 के लोकसभा चुनाव में मिली हार के बाद मुकेश सहनी फिर से एनडीए के खेमे में आ गए. 2020 विधानसभा चुनाव में उनकी पार्टी VIP को सूबे में चुनाव लड़ने के लिए एनडीए कोटे से 11 सीटें मिली थीं. सहनी खुद तो विधानसभा का चुनाव हार गए, लेकिन उनकी पार्टी VIP चुनाव में 4 सीटें निकालने में कामयाब रही. अपनी सीट गंवाने के बाद भी NDA की सरकार में सहनी को मंत्री पद मिला. साथ ही भाजपा ने उन्हें विधान परिषद का सदस्य भी बनाया था. 

बाद में उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के दौरान सहनी ने BJP के खिलाफ 50 से अधिक उम्मीदवार मैदान में उतार दिए. इसके अलावा बिहार के मुजफ्फरपुर की बोचहां विधानसभा सीट पर हुए उपचुनाव में भी मुकेश सहनी ने बगावती तेवर दिखाए थे. इस सीट से VIP विधायक मुसाफिर पासवान के निधन के बाद उपचुनाव होना था. भाजपा ने इस सीट से अपना उम्मीदवार मैदान में उतार दिया. इसके बाद मुकेश सहनी ने भी VIP से एक प्रत्याशी का पर्चा भरवा दिया. बाद में मार्च 2022 में सहनी को बिहार सरकार में पशुपालन और मत्स्य पालन मंत्री के पद से हटा दिया गया.

इन सीटों पर है सहनी का दबदबा

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मुकेश सहनी की एक पहचान 'सन ऑफ मल्लाह' की है. सहनी मूलतः (मल्लाह/निषाद) की राजनीति करते हैं. अगर वोट की बात करें तो बिहार में मल्लाहों की आबादी करीब 7 फीसदी है. वहीं, सहनी इस समुदाय की संख्या करीब 14 प्रतिशत बताते हैं. उत्तर बिहार के वो क्षेत्र जहां नदियों की संख्या ज्यादा है, वहां सहनी का प्रभाव ठीक-ठाक है. VIP का प्रभाव दरभंगा, मधुबनी, खगड़िया, वैशाली और मुजफ्फरपुर सहित उत्तर बिहार के कई क्षेत्रों में है. इन जगहों पर मुकेश सहनी का वोट बैंक चुनाव में किसी का खेल बना या बिगाड़ सकता है. खासकर तब, जब मुकाबला कफी क्लोज हो.    
 
बिना विधायक वाली पार्टी को लोकसभा की 3 सीटें

बिहार विधानसभा में VIP का एक भी विधायक नहीं हैं. जिस पार्टी की उपस्थिति विधानसभा में शून्य है, उसे महागठबंधन (राजद को मिली सीट) के हिस्से की झंझारपुर, मोतिहारी और गोपालगंज की सीट मिली है. तीनों ही सीटों पर 2014 और 2019 के लोकसभा चुनाव में NDA उम्मीदवार की जीत हुई थी. सहनी की पार्टी VIP 2019 में भी बिहार में महागठबंधन का हिस्सा थी, तब भी पार्टी ने लोकसभा की 3 सीटों पर चुनाव लड़ा था, हालांकि उसे किसी भी सीट पर जीत हाथ नहीं लगी थी. 2019 के आम चुनाव में मुकेश सहनी खुद खगड़िया से चुनावी मैदान में थे. उन्हें LJP के उम्मीदवार महबूब अली कैसर से हार का सामना करना पड़ा था. 

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जब प्रेस कॉन्फ्रेंस बीच में छोड़कर निकल गए थे सहनी

2020 के बिहार विधानसभा चुनाव को लेकर RJD के नेतृत्व वाली ग्रैंड अलायंस के साथ सहनी की बात नहीं बनी. दोनों दलों के बीच सीट बंटवारे को असहमति थी. विधानसभा चुनाव के लिए महागठबंधन में सीटों के बंटवारे का ऐलान हो रहा था, पटना में महागठबंधन की प्रेस कॉन्फ्रेंस के बीच हंगामा हो गया. महागठबंधन का हिस्सा रहे VIP प्रमुख मुकेश सहनी ने प्रेस कॉन्फ्रेंस का बहिष्कार कर दिया. इस दौरान तेजस्वी यादव मुर्दाबाद के नारे भी लगे थे. सहनी ग्रैंड अलायंस की कॉन्फेंस को बीच में छोड़कर बाहर निकल गए. बाद में उन्होंने NDA का दामन थाम लिया था.

महागठबंधन का क्या फायदा?

बीते 9 वर्षों में मुकेश सहनी बिहार की राजनीति में एक स्थापित चेहरा बन चुके हैं. कई मौकों पर वह अपनी चुनावी उपयोगिता साबित भी कर चुके हैं. लेकिन ये भी सच है कि मुकेश सहनी के हिस्से जब भी कोई सीट आई है, तो वह एनडीए के साथ रहते हुए ही आई है. लोकसभा चुनाव 2019 में महागठबंधन के साथ मिलकर वो हाथ आजमा चुके हैं. इस चुनाव में वह कोई खास प्रभाव छोड़ने में नाकामयाब रहे थे. आगामी लोकसभा चुनाव में ऐसी सीटें, जहां निषाद वोटर निर्णायक भूमिका में हैं, वहां मुकाबला कांटे का रहा और सहनी अपना वोट महागठबंधन को ट्रांसफर कराने में कामयाब रहे, तो महागठबंधन को इसका फायदा मिल सकता है. अब यह NDA और महागठबंधन के बीच होने वाले चुनावी संघर्ष पर निर्भर करेगा कि कौन सा दल कितनी ताकत के साथ मैदान में उतरता है.

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