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Jharkhand Election Results: सुदेश महतो के हाथ नहीं लगा किंग मेकर बनने का मौका

झारखंड विधानसभा चुनाव को लेकर कहा जा रहा था कि ऑल झारखंड स्टूडेंट यूनियन के प्रमुख सुदेश महतो किंगमेकर की भूमिका में होंगे. लेकिन नतीजे ऐसे मिले हैं कि अब वो किसी भूमिका में नहीं रहे. हालांकि बीजेपी की मेहरबानी से सुदेश महतो सिल्ली विधानासभा सीट पर अपने निकटम प्रतिद्वंद्वी सीमा देवी (जेएमएम) को 20,195 वोटों के अंतर से हराने में कामयाब रहे.

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ऑल झारखंड स्टूडेंट यूनियन के प्रमुख सुदेश महतो (फोटो-PTI)
ऑल झारखंड स्टूडेंट यूनियन के प्रमुख सुदेश महतो (फोटो-PTI)

  • इस बार बीजेपी से अलग होकर चुनाव लड़े सुदेश महतो
  • महतो को किंगमेकर बनने की संभावना जताई जा रही थी

झारखंड विधानसभा चुनाव को लेकर कहा जा रहा था कि ऑल झारखंड स्टूडेंट यूनियन के प्रमुख सुदेश महतो किंगमेकर की भूमिका में होंगे. लेकिन नतीजे ऐसे मिले हैं कि अब वो किसी भूमिका में नहीं रहे. हालांकि बीजेपी की मेहरबानी से सुदेश महतो सिल्ली विधानासभा सीट पर अपने निकटम प्रतिद्वंद्वी सीमा देवी (जेएमएम) को 20,195 वोटों के अंतर से हराने में कामयाब रहे.

दरअसल रघुवर सरकार में भारतीय जनता पार्टी के सहयोगी रहे सुदेश महतो इस चुनाव में अलग होकर लड़े थे. इसके बावजूद बीजेपी ने सुदेश महतो से दोस्ती निभाई और सिल्ली सीट पर सुदेश महतो के खिलाफ अपना प्रत्याशी नहीं उतारा.

बीजेपी को उम्मीद थी कि अगर जनादेश त्रिकोणीय रहा तो सुदेश महतो को वॉकओवर देने से चुनाव बाद गठबंधन का विकल्प खुला रहेगा.

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बता दें कि सुदेश महतो का सियासी सफर पृथक झारखंड आंदोलन से हुआ. इस आंदोलन में उनकी सक्रिय भागीदारी के चलते स्थानीय लोगों के बीच उनकी पैठ गहरी हो गई. इन्होंने अपनी राजनीति के शुरुआती चरण में ही झारखंड की ऐतिहासिक पहचान कायम रखने की पहल की थी. सुदेश महतो झारखंड के उप मुख्यमंत्री रह चुके हैं. इन्होंने झारखंड के गठन के साल 2000 में 25 साल की उम्र में अपना पहला चुनाव लड़ जीत हासिल की थी. इसके बाद बनी सरकार में सुदेश को सड़क निर्माण मंत्री बनाया गया.  29 दिसंबर 2009 को देश महतो ने झारखंड राज्य के उपमुख्यमंत्री पद की कमान संभाली थी.

सुदेश महतो सिल्ली विधानसभा सीट से 2000, 2005 और 2009 में चुनाव जीत चुके हैं. 1998 में अटल बिहारी वाजपेयी के प्रधानमंत्री बनते ही झारखंड को अलग राज्य बनाने की कवायद शुरू कर दी गई. 2000 में झारखंड एक अलग राज्य बन गया. सुदेश महतो पहली बार सिल्ली से विधायक बने.

सुदेश महतो को बीजेपी का वॉकओवर

बीजेपी ने सुदेश महतो की सिल्ली सीट छोड़कर शेष बची सभी सीटों पर अपने प्रत्याशी उतारे थे. बीजेपी ने राज्य की कुल 81 विधानसभा सीटों में से 79 पर प्रत्याशी उतारे थे.  हुसैनाबाद से बीजेपी ने निर्दलीय प्रत्याशी को समर्थित उम्मीदवार बनाया है. जबकि, सिल्ली सीट से बीजेपी ने किसी को टिकट नहीं दिया.

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2014 में आजसू ने जीती थीं पांच सीटें

2014 में 8 विधानसभा सीटों पर लड़कर पांच सीटें जीतने वाली आजसू ने इस बार के चुनाव में शुरुआत से ही बीजेपी से 17 सीटें मांगी थीं. एजेएसयू प्रमुख सुदेश महतो ने उन सभी सीटों पर दावेदारी की थी, जिसमें पिछले चुनाव में पार्टी जीती थी, या फिर दूसरे स्थान पर रही थी. बीजेपी के झारखंड प्रभारी ओम माथुर ने कहा था कि एजेएसयू की इस चुनाव में महत्वाकांक्षाएं बढ़ गई थीं, जिसे पूरा करना आसान नहीं था. इसी के चलते दोनों के बीच गठबंधन को लेकर सहमति नहीं बन सकी.

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सीट शेयरिंग पर नहीं बनी बात

हालांकि बीजेपी नेतृत्व इस चुनाव में एजेएसयू को नौ सीटें और उसके बाद 13 सीटें देने को राजी था. इसके बावजूद दोनों दलों की राहें जुदा हो गईं और दोनों दलों ने अपने-अपने कैंडिडेट इस चुनाव में कई सीटों पर आमने-सामने उतार दिए.आजसू ने 26 सीटों पर चुनाव लड़ने का ऐलान किया. टिकट कटने से नाराज नेताओं की पहली पसंद भी आजसू बनी, जिसका लाभ सुदेश महतो ने भरपूर तरीके से उठाया.

झारखंड की घाटशिला से पार्टी ने कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष प्रदीप बालमुचू और छतरपुर से बीजेपी के वरिष्ठ नेता राधाकृष्ण किशोर को उतारकर बीजेपी और विपक्षी दल के गठबंधन को सकते में डाल दिया है. आजसू ने पांच ऐसी सीटों पर भी उम्मीदवार उतारकर बीजेपी को सीधे चुनौती दे दी है, जो फिलहाल बीजेपी के कब्जे में हैं.

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