दिल्ली में कस्तूरबा नगर विधानसभा सीट पर 1993 से विधानसभा चुनाव हो रहे हैं. नई दिल्ली लोकसभा क्षेत्र के तहत आने वाली इस सीट पर 1993, 1998 और 2003 के विधानसभा चुनावों में भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने जीत दर्ज की.
2008 में शीला दीक्षित के नेतृत्व में कांग्रेस के नीरज बसोया कस्तूरबा नगर से विधायक बने. दिल्ली में अन्ना लहर के चलते इस सीट पर न कांग्रेस और न ही बीजेपी जीत दर्ज करा पाई. 2013 और 2015 में इस सीट पर आम आदमी पार्टी ने कब्जा जमाया. 2013 और 2015 में यहां से आम आदमी पार्टी के मदन लाल ने जीत हासिल की.
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दिल्ली विधानसभा चुनाव 2020 के लिए आम आदमी पार्टी ने कस्तूरबा नगर सीट से एक बार फिर से मदन लाल को टिकट दिया है. कस्तूरबा नगर विधानसभा सीट पर कांग्रेस के उम्मीदवार अभिषेक दत्त हैं. बीजेपी से रविंद्र चौधरी अपनी किस्मत आजमा रहे हैं.
कस्तूरबा नगर सीट का समीकरण
कस्तूरबा नगर विधानसभा के तहत आने वाली कुल आबादी में अनुसूचित जाति का अनुपात 13.32 फीसदी है. 2019 की मतदाता सूची के मुताबिक 1,51,025 मतदाता 150 मतदान केद्रों पर वोटिंग करेंगे. 2015 के विधानसभा चुनावों में बीजेपी, कांग्रेस और आम आदमी पार्टी को क्रमशः 35.41%, 11.41% और 51.55% वोट मिले थे.
विधानसभा चुनाव 2015
मदन लाल (आम आदमी पार्टी)- 50,766(53.51%)
रविंदर चौधरी (बीजेपी)- 34,870(35.41%)
नीरज बसोया (कांग्रेस) 11,233(11.40%)
विधानसभा चुनाव 2013
मदन लाल (आम आदमी पार्टी)- 33,609(38.03%)
शिखा रॉय (बीजेपी)- 28,935(32.74%)
नीरज बसोया (कांग्रेस)- 24,227(27.41%)
2013-2015 में चली थी केजरीवाल की लहर
बहरहाल, दिल्ली विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी (AAP) के राष्ट्रीय संयोजक एवं मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के समक्ष अपना सबसे मजबूत किला बचाने की प्रबल चुनौती है.
पिछले विधानसभा चुनाव में दिल्ली विधानसभा की 70 में से 67 सीटें जीतने वाले केजरीवाल का जादू इस बार चलेगा या नहीं इस पर पूरे देश की निगाहें हैं. केजरीवाल अपने पांच वर्ष के कार्यकाल के दौरान विशेषकर स्वास्थ्य और शिक्षा के क्षेत्र में किए गए कार्यों को गिनाते हुए इस बार भी पूरे आत्मविश्वास में हैं जबकि राजनीतिक पंडितों का मानना है कि पिछला करिश्मा दोहराना मुश्किल नजर आ रहा है.
वर्ष 2013 के दिल्ली विधानसभा चुनाव से कुछ समय पहले ही ‘AAP’ का गठन हुआ था और उस चुनाव में दिल्ली में पहली बार त्रिकोणीय संघर्ष हुआ जिसमें 15 वर्ष से सत्ता पर काबिज कांग्रेस 70 में से केवल आठ सीटें जीत पाई जबकि भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) सरकार बनाने से केवल चार कदम दूर अर्थात 32 सीटों पर अटक गई. ‘आप’ को 28 सीटें मिली और शेष दो अन्य के खाते में रहीं.
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भाजपा को सत्ता से दूर रखने के प्रयास में कांग्रेस ने ‘AAP’ को समर्थन दिया और केजरीवाल ने सरकार बनाई. लोकपाल को लेकर दोनों पार्टियों के बीच ठन गई और केजरीवाल ने 49 दिन पुरानी सरकार से इस्तीफा दे दिया. इसके बाद दिल्ली में राष्ट्रपति शासन लगा और फरवरी 2015 में ‘AAP’ने सभी राजनीतिक पंडितों के अनुमानों को झुठलाते हुए 70 में से 67 सीटें जीतीं. बीजेपी तीन पर सिमट गई जबकि कांग्रेस की झोली पूरी तरह खाली रह गई.
वोटिंग और मतगणना कब?
दिल्ली की पहली विधानसभा का गठन 1993 में हुआ था और इस बार यहां पर सातवां विधानसभा चुनाव कराया जा रहा है. इससे पहले राजधानी दिल्ली में मंत्रीपरिषद हुआ करती थी. दिल्ली की 70 सदस्यीय विधानसभा में इस बार महज एक चरण में मतदान हो रहा है. 8 फरवरी को वोट डाले जाएंगे जबकि 11 फरवरी को मतगणना होगी. छठी दिल्ली विधानसभा का कार्यकाल 22 फरवरी 2020 को समाप्त हो जाएगा.