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'मां' कैंटीन को टीएमसी बता रही गरीबों के लिए अच्छी व्यवस्था, विरोधी बोले- चुनावी स्टंट

खाना खा रहे एक सिक्योरिटी गार्ड ने कहा कि खाना अच्छा है. हमलोग खुश हैं क्योंकि यही खाना खाने के लिए रोजाना 35 रुपये खर्च करने होते थे. लेकिन 'मां कैंटीन' में यह खाना मात्र पांच रुपये में मिल जा रहा है. 

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मां कैंटीन से गरीबों में खुशी (फोटो- आजतक)
मां कैंटीन से गरीबों में खुशी (फोटो- आजतक)
स्टोरी हाइलाइट्स
  • मां कैंटीन में पांच रुपये में मिल रहा भोजन
  • खाने के लिए लग रही लोगों की लंबी कतार
  • सरकार ने कैंटीन के लिए दिए हैं 100 करोड़

पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने चुनावी माहौल के बीच लगभग दो सप्ताह पहले कोलकाता में 5 रुपये में खाना देने वाली स्कीम 'मां' कैंटीन योजना की शुरुआत की थी. इस योजना को लॉन्च करते हुए कहा गया था कि इससे गरीबों को कम दाम पर भरपेट भोजन मिल सकेगा. टीएमसी इसे गरीबों के लिए अच्छी व्यवस्था बता रही है, वहीं विरोधी दल इसे चुनावी स्टंट बता रहे हैं. स्कीम के तहत 5 रुपये में दाल, चावल, सब्जी और अंडे की थाली दी जा रही है. फिलहाल यह योजना, कुछ ही जगह पर शुरू की गई है. कहा गया है कि इसे सभी जिलों में लागू किया जाएगा. 

सभी कैंटीन 12.30 बजे से 3.00 बजे तक ऑपरेशनल होते हैं. एक कैंटीन पर लगभग 300 लोगों को चावल, दाल, सब्जी और अंडा करी दिया जा रहा था. हालांकि इसे पाने के लिए लंबी लाइन में खड़ा होना पड़ता है. यहां खा रहे लोगों का कहना था कि कैंटीन में मिलने वाले इस खाने की क्वालिटी ठीक है. लोग इस बात से खुश हैं कि खाने में उनका तीस रुपये बच जा रहा है.  

खाना खा रहे एक सिक्योरिटी गार्ड ने कहा कि खाना अच्छा है. हमलोग खुश हैं क्योंकि यही खाना खाने के लिए पहले रोजाना 35 रुपये खर्च करने होते थे. लेकिन 'मां कैंटीन' में यह खाना मात्र पांच रुपये में मिल जा रहा है. इससे हमारा काफी पैसा बच जाता है. 

वहीं कैंटीन के बाहर दूसरी लाइन में खड़े लोग सब्र रखते हुए अपनी बारी का इंतजार कर रहे हैं. वो खुश हैं कि ममता सरकार की इस योजना की वजह से लोगों को कम पैसे में अच्छा खाना मिल पा रहा है. 

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नबाकुमार मांझी बीरभूम जिले के इल्मबाजार से कोलकाता पहुंचे थे. वो अपने चाचा को अस्पताल में भर्ती कराने आए थे. उन्हें किडनी से संबंधित परेशानी है. मांझी यहां पहली बार खाना खा रहे थे. उन्होंने कहा कि गरीब लोगों के लिए यह एक अच्छी व्यवस्था है. गरीब लोग कुछ काम करेंगे और पैसे कमाने की सोचेंगे या खाने की चिंता में ही डूबे रहेंगे? नबाकुमार के साथ खाना खा रहे उनके रिश्तेदार नबाकुमार भी इस बात से खुश हैं कि उनका कुछ पैसा बच पा रहा है. 

फोटो- आजतक

टीएमसी सांसद सौगत रॉय ने कहा कि गरीबों की मदद करने के लिए यह कदम उठाया गया है. हालांकि सवाल खड़े किए जा रहे हैं कि यह योजना चुनाव से ठीक पहले क्यों शुरू की गई है. लेकिन मेरा सवाल है कि चुनाव से पहले नहीं तो कब?

गौरतलब है कि इस योजना के लिए ममता सरकार ने 100 करोड़ रुपये का बजट अलॉट किया है. बता दें कि तमिलनाडु में भी तत्कालीन सीएम जयललिता ने 'अम्मा कैंटीन' के नाम से इसी तरह की योजना शुरू की थी. जहां 5 रुपये में गरीबों को भरपेट भोजन दिया जाता था. अब उसी तर्ज पर ममता बनर्जी का नाम भी जुड़ रहा है. हालांकि, विपक्षी दल चुनाव पूर्व लागू की गई इस योजना को महज चुनावी स्टंट बता रहे हैं.

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प्रेमा राजाराम की रिपोर्ट्स...

 

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