बिहार विधानसभा चुनाव की सियासी जंग में आरजेडी नेता तेजस्वी यादव ने बीजेपी के 'नो-रिपीट' फॉर्मूले को अपनाया है. बीजेपी अपने इस 'विनिंग फॉर्मूला' को केंद्र से लेकर राज्य के चुनाव में आजमाती रही है. अब इस दांव से तेजस्वी यादव ने बिहार की सियासी जंग फतह करने की पटकथा लिखी है, लेकिन क्या बीजेपी की तरह जीत भी दर्ज कर पाएंगे?
बीजेपी ने 'नो रिपीट' फॉर्मूला गुजरात से शुरू किया, जो सबसे ज्यादा हिट रहा. पुराने चेहरों को हटाकर नए चेहरों को मैदान में उतारकर वह विपक्ष के सारे गणित को बिगाड़ती रही है. सत्ता विरोधी लहर से निपटने के लिए बीजेपी इस फॉर्मूले को अपनी 'प्रयोगशाला' में आजमाती रही है, जिसे आरजेडी ने बिहार के चुनावी रण में आजमाने का दांव चला है.
बिहार विधानसभा चुनाव के लिए आरजेडी ने 143 उम्मीदवार उतारे हैं, लेकिन पार्टी ने इस बार अपने आधे से ज्यादा मौजूदा विधायकों के टिकट काट दिए हैं और उनकी जगह पर नए चेहरे उतारे हैं. आरजेडी ने पहली बार इतनी बड़ी संख्या में विधायकों को प्रत्याशी नहीं बनाया, जिसे लेकर पार्टी के भीतर हलचल मच गई है. इसे तेजस्वी यादव के सियासी प्रयोग के तौर पर देखा जा रहा है.
बिहार में तेजस्वी ने चला 'नो रिपीट' फॉर्मूला
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आरजेडी के प्रमुख लालू प्रसाद यादव की सियासी विरासत संभाल रहे तेजस्वी यादव के कंधों पर बिहार चुनाव का कार्यभार है. महागठबंधन की अगुवाई भी तेजस्वी यादव ही कर रहे हैं. ऐसे में तेजस्वी ने अपने करीब तीन दर्जन मौजूदा विधायकों को इस बार टिकट नहीं दिया. यह संख्या पिछली बार चुनाव लड़ने वाले विधायकों की एक बड़ी संख्या है. हालांकि, 41 विधायकों पर पार्टी ने फिर से भरोसा जताया है और दोबारा उम्मीदवार बनाया है.
तेजस्वी ने जहानाबाद के विधायक सुदय यादव की सीट बदली है. उन्हें जहानाबाद की जगह कुर्था सीट से उम्मीदवार बनाया गया है. आरजेडी ने तेज प्रताप की जगह माला पुष्पम को उम्मीदवार बनाया है. रघुनाथपुर के मौजूदा विधायक हरिशंकर यादव की जगह शहाबुद्दीन के बेटे ओसामा को प्रत्याशी बनाया है. धौरेया से विधायक भूदेव चौधरी का टिकट भी काटा गया है. दिनारा से पार्टी ने विधायक का टिकट काटकर आरजेडी के युवा प्रदेश अध्यक्ष राजेश यादव को उम्मीदवार बनाया है.
पाला बदलने वालों पर आरजेडी को भरोसा नहीं
आरजेडी ने पाला बदलने वाले चेतन आनंद, नीलम देवी, प्रहलाद यादव, विभा देवी, संगीता देवी और प्रकाश वीर की जगह नए चेहरे उतारे हैं. बिहार में सियासी पाला बदलकर आरजेडी में आए नेताओं पर भी तेजस्वी भरोसा नहीं जता सके. 2020 में असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी एआईएमआईएम से जीते 5 विधायकों में से 4 ने आरजेडी का दामन थाम लिया था.
एआईएमआईएम से आए चार विधायकों में से सिर्फ एक विधायक को तेजस्वी ने विधानसभा चुनाव में उम्मीदवार बनाया है, बाकी तीन को टिकट नहीं दिया. जोकीहाट सीट से विधायक शाहनवाज आलम को आरजेडी ने टिकट दिया है, जो दिग्गज नेता तस्लीमुद्दीन के बेटे हैं. कोचाधामन के मोहम्मद इज़हार अस्फी, बायसी के रुकानुद्दीन अहमद और बहादुरगंज के अंज़ार नईमी को प्रत्याशी नहीं बनाया. तेजस्वी ने इन तीनों की जगह पर आरजेडी के पुराने चेहरों पर भरोसा जताया है. इस तरह तेजस्वी ने इस बार पुराने चेहरों की जगह नए और फ्रेश फेस उतारकर सियासी जंग फतह करने का दांव चला है.
तेजस्वी ने क्यों चला बिहार में 'नो रिपीट' फॉर्मूला
आरजेडी के सियासी इतिहास में यह पहली बार है, जब इतनी बड़ी संख्या में विधायकों के टिकट काटे गए हैं और उनकी जगह पर नए चेहरे उतारे गए हैं. 2020 में आरजेडी से 75 विधायक जीतकर आए थे, इसके बाद ओवैसी के चार विधायक साथ आ गए थे. इस तरह आरजेडी के विधायकों की संख्या 79 पहुँच गई थी, लेकिन उपचुनाव में कई सीटें हार गई थी.
रामगढ़, बेलागंज और कुढ़नी में हुए उपचुनावों में आरजेडी को हार का सामना करना पड़ा था. इस हार से पार्टी नेतृत्व को संकेत मिले थे, जिसके चलते तेजस्वी ने 'नो रिपीट' फॉर्मूले को आजमाने का फैसला किया. इस तरह आरजेडी ने अपने मौजूदा विधायक वाली सीट पर उम्मीदवार बदलकर स्थानीय स्तर पर असंतोष को दूर करने का दांव चला है.
तेजस्वी क्या बीजेपी जैसी जीत भी दर्ज कर पाएंगे
तेजस्वी अपने विधायकों के खिलाफ स्थानीय स्तर पर नाराजगी को समझ रहे हैं. इसीलिए बीजेपी के फॉर्मूले पर टिकट काटने का दांव चला है. बीजेपी सत्ता विरोधी रुझान से बचने के लिए अपने विधायक की बलि देती रही है. इस तरह बीजेपी एंटी-इंकम्बेंसी से पार पाने के लिए पुराने विधायकों की जगह नए चेहरे के साथ सियासी रण में उतरती रही है. बीजेपी के इसी विनिंग फॉर्मूले को आरजेडी ने बिहार के रण में आजमाने का दांव चला, लेकिन क्या वह बीजेपी की तरह जीत भी दर्ज कर सकेगी?