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PM मोदी का मिशन मगध, BJP के सबसे कमजोर दुर्ग को विकास की सौगात से करेंगे दुरुस्त, समझें 48 सीटों का समीकरण?

बिहार विधानसभा चुनाव की हलचल बढ़ने के साथ-साथ राजनीतिक तपिश भी बढ़ गई है. पीएम मोदी ने बिहार का एक के बाद एक दौरा शुरू कर दिया है. इस कड़ी में बोध गया से लेकर बेगूसराय तक विकास की सौगात देकर मगध से मुंगेर तक को साधने की रणनीति मानी जा रही है?

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बिहार के मगध को साधने उतरेंगे पीएम मोदी और नीतीश कुमार (Photo-ITG)
बिहार के मगध को साधने उतरेंगे पीएम मोदी और नीतीश कुमार (Photo-ITG)

बिहार विधानसभा चुनाव की सियासी तपिश बढ़ने के साथ ही पीएम मोदी के ताबड़तोड़ दौरे शुरू हो गए हैं. चंपारण बेल्ट के बाद पीएम मोदी की नज़र बिहार के मगध इलाके पर है. प्रधानमंत्री शुक्रवार को बिहार और पश्चिम बंगाल को विकास की सौगात से नवाजेंगे. पीएम मोदी सबसे पहले बिहार के गया जी पहुंचेंगे, जहां से 13,000 करोड़ रुपये से अधिक की योजनाओं का तोहफा देकर मिशन-मगध को साधने की कवायद करेंगे.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शुक्रवार को बिहार और पश्चिम बंगाल में करीब 18,200 करोड़ रुपये से अधिक की विकास परियोजनाओं का उद्घाटन और शिलान्यास करेंगे. इसमें बिजली, कनेक्टिविटी, स्वास्थ्य, और सार्वजनिक से जुड़े कई प्रोजेक्ट हैं. इसके अलावा, वे दो अमृत भारत ट्रेन को हरी झंडी दिखाएंगे, जिसमें एक ट्रेन दिल्ली और गया के बीच और दूसरी ट्रेन बिहार और झारखंड के बीच चलेगी.

बिहार दौरे के दौरान पीएम मोदी गया के साथ ही पटना और बेगूसराय जिलों का भी दौरा करेंगे. पीएम मोदी गया के मगध विश्वविद्यालय में एक बड़ी जनसभा को भी संबोधित कर बीजेपी के सबसे कमजोर दुर्ग माने जाने वाले मगध को दुरुस्त करने का दांव चलेंगे तो मुंगेर प्रमंडल में पार्टी के चुनावी अभियान को धार देते नजर आएंगे. पीएम का दौरा ऐसे समय में हो रहा है जब विपक्षी नेता राहुल गांधी और तेजस्वी यादव बिहार में वोटर अधिकार यात्रा चला रहे हैं.

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पीएम मोदी का 'मिशन मगध'

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बिहार विधानसभा की हर सीट का हर पहलू, हर विवरण यहां पढ़ें

बिहार में बीजेपी का सबसे कमजोर गढ़ मगध बेल्ट माना जाता है, जिस पर अपनी मजबूत पकड़ को बनाए रखने के लिए हरसंभव कोशिश में जुटी है. इस इलाके में बीजेपी अपनी सियासी जड़ें जमाने के लिए जीतनराम मांझी से लेकर उपेंद्र कुशवाहा और चिराग पासवान की पार्टी से हाथ मिला रखा है. ऐसे में पीएम मोदी बोध गया से विकास की सौगात देंगे. एक बात साफ है कि पीएम मोदी के गया दौरे का सियासी असर मगध से लेकर मुंगेर प्रमंडल तक पर पड़ेगा. इन दोनों प्रमंडलों को मिलाकर कुल 48 विधानसभा सीटें हैं.

पिछले चुनाव में मगध बेल्ट में बीजेपी का पूरी तरह से सफाया हो गया था. मगध और मुंगेर की अधिकांश सीटों पर महागठबंधन ने कब्जा जमाया था. महागठबंधन मगध बेल्ट पर अपनी सियासी पकड़ बनाए रखने की कवायद में है तो बीजेपी सेंधमारी की जद्दोजहद में जुटी है. इसी कड़ी में पीएम मोदी की जनसभा गया में रखी गई है, जहां विकास की सौगात देकर मगध क्षेत्र में बीजेपी के लिए सियासी माहौल बनाने की कवायद करेंगे.

मगध का समझें सियासी समीकरण

बिहार का मगध का इलाका सियासी तौर पर काफी अहम माना जाता है, यहां पर कुल 26 विधानसभा सीटें आती हैं. 2020 में इन 26 सीटों में से 20 सीट पर महागठबंधन ने जीत दर्ज की थी, जबकि एनडीए के खाते में सिर्फ 6 सीटें ही आईं थीं. गया जिले में 10 में से 5 सीट महागठबंधन के खाते में आई थी. नवादा, औरंगाबाद, जहानाबाद और अरवल में भी महागठबंधन का पलड़ा भारी रहा था.

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2015 में नीतीश कुमार जब आरजेडी के साथ थे, तो भी नतीजे एनडीए के खिलाफ थे. 2015 के चुनाव में मगध की 26 सीटों में से 21 सीटें महागठबंधन ने जीती थी और 5 सीटें ही एनडीए जीत सकी थी. वहीं, 2010 के विधानसभा चुनाव के नतीजे देखें जब जेडीयू-बीजेपी एकसाथ लड़ी थी तो आरजेडी सहित सभी विपक्षी पार्टियों का सफाया हो गया था. 26 में से 24 सीटें जेडीयू-बीजेपी जीतने में सफल रही थी और सिर्फ एक सीट आरजेडी को मिली थी और एक सीट अन्य के खाते में गई थी.

लोकसभा चुनाव में मगध प्रमंडल की सीटों में महागठबंधन ने ज्यादातर सीटों पर कब्जा किया था. गया को छोड़कर औरंगाबाद और जहानाबाद की सीटें आरजेडी के खाते में थीं. इस कारण 2025 के विधानसभा चुनाव में एनडीए के लिए यह क्षेत्र चुनौतीपूर्ण बना हुआ है. यही वजह है कि पीएम मोदी चुनाव ऐलान से पहले मगध बेल्ट के समीकरण को साधने के लिए उतर रहे हैं.

मुंगेर का समझें सियासी गणित

बिहार की राजधानी पटना से सटे मुंगेर प्रमंडल में एनडीए और महागठबंधन के बीच कांटे की टक्कर रही है. मुंगेर बेल्ट सवर्ण और यादव मतदाता बहुल माना जाता है. मुंगेर प्रमंडल में बेगूसराय, मुंगेर, शेखपुरा, लखीसराय और जमुई का इलाका आता है. इस क्षेत्र में कुल 22 विधानसभा सीटें आती हैं. 2022 के चुनाव में इन 22 सीटों में से 13 एनडीए और 9 सीटें महागठबंधन ने जीती थीं.

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वहीं, 2015 में जेडीयू और आरजेडी के साथ आने पर बीजेपी का पूरी तरह सफाया हो गया था. महागठबंधन ने 19 सीटें जीती थी और एनडीए के खाते में सिर्फ 3 सीट आईं थीं. 2010 के चुनाव में जेडीयू और बीजेपी साथ मिलकर लड़ी थी तो सियासी फायदे में रहीं थीं. एनडीए ने 18 सीटें जीती थी और आरजेडी को महज चार सीट पर जीत मिल सकी थी. पीएम मोदी बेगूसराय में सिक्स लेन पुल का उद्घाटन करके मुंगेर बेल्ट की सीटों का समीकरण साधने का दांव चलेंगे.

 

पीएम मोदी के दौरे का सियासी मकसद

राजनीतिक विश्लेषकों की मानें तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का बिहार दौरा एनडीए की रणनीति का हिस्सा है. पिछले विधानसभा और लोकसभा चुनाव में बीजेपी को मगध बेल्ट में सियासी तौर पर नुकसान उठाना पड़ा था. राहुल गांधी और तेजस्वी यादव ने जिस तरह से यात्रा निकाली है, उसके बाद पीएम मोदी और सीएम नीतीश कुमार को जमीन पर उतरने के लिए मजबूर होना पड़ा है. ऐसे में पीएम मोदी का दौरा और गया कॉरिडोर का उद्घाटन एनडीए के लिए सियासी रूप से फायदेमंद हो सकता है.

मगध और मुंगेर प्रमंडल में महागठबंधन का दबदबा एनडीए के लिए चिंता का सबब बना हुआ है. पीएम मोदी का दौरा गया और बेगूसराय में हो रहा है, ऐसे में दोनों इलाके की सीटों पर नजर होगी. बीजेपी अपनी कब्जे वाली सीटों पर पकड़ मजबूत बनाए रखते हुए महागठबंधन की सीटों में सेंधमारी का प्लान बना रही है. यही वजह है कि पीएम मोदी मगध बेल्ट की सीटों पर बीजेपी की पकड़ मजबूत बनाए रखने के लिए उतर रहे हैं.

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पीएम मोदी का बिहार में चुनावी साल में यह छठा दौरा हो रहा है. नीतीश कुमार के एनडीए में रहने का बीजेपी को लाभ मिला था, जबकि 2015 में जेडीयू के अलग हो जाने का नुकसान उठाना पड़ा था. 2020 के चुनाव में नीतीश कुमार के एनडीए में होने का लाभ बीजेपी को मिला था, लेकिन 2015 में उनके अलग होने का खामियाजा बीजेपी को मगध में उठाना पड़ा था. 2015 के चुनाव में नीतीश कुमार एनडीए के साथ नहीं थे तो मगध और मुंगेर प्रमंडल में काफी बड़ा झटका लगा था.

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