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J-K Election: जम्मू में क्लीन स्विप पर बीजेपी की नजर, मुस्लिम बहुल सीटों के लिए भी बनाई खास रणनीति

जम्मू कश्मीर में विधानसभा चुनाव में सभी पार्टियां अपने दम-खम से जुटी हैं. यह विधानसभा चुनाव बीजेपी के लिए काफी अहम है, जिसने अनुच्छेद 370 को निरस्त किए जाने के बाद शांति स्थापित करने की दिशा में कई दावे किए हैं. आइए जानते हैं कि आखिर त्रिकोणीय विधानसभा चुनाव में बीजेपी की क्या इच्छाएं और रणनीतियां हैं.

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जम्मू में बीजेपी का क्लीन स्विप का प्लान
जम्मू में बीजेपी का क्लीन स्विप का प्लान

जम्मू कश्मीर विधानसभा चुनाव में बीजेपी जम्मू डिविजन में स्विप करने की चाहत रखती है और पार्टी मान रही है कि त्रिकोणीय चुनाव का पार्टी को फायदा हो सकता है. हाल ही में हुए परिसीमन में हिंदू बहुल जम्मू में सीटें बढ़ाई गई हैं, अनुसूचित जनजातियों के लिए भी 9 सीटें आरक्षित की गई हैं. कश्मीर घाटी में भी कुछ नई पार्टियां सामने आई हैं और निर्दलीय भी चुनाव में बड़ा फैक्टर बन सकते हैं, जिन्हें बीजेपी मान रही है कि ये उसके पक्ष में अहम भूमिका अदा कर सकते हैं. बावजूद इसके पार्टी के सामने कई चुनौतियां हैं.

जम्मू कश्मीर विधानसभा में 2022 के परिसिमन के बाद 90 सीटें हैं. अनुच्छेद 370 के निरस्त किए जाने के बाद लद्दाख अब एक केंद्रशासित प्रदेश है और यहां की चार सीटें हटा दी गई हैं. परिसिमन में जम्मू में छह और मुस्लिम-बहुल कश्मीर घाटी में एक सीट को जोड़ा गया है.

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जम्मू कश्मीर में विधानसभा का समिकरण

जम्मू और कश्मीर - ये दो अलग डिविजन हैं. इनमें कश्मीर घाटी पहले 47 सीटें थीं, जिसमें एक सीट जोड़ा गया है और यहां अब 48 सीटें हैं. वहीं जम्मू डिविजन में पहले 43 सीटें थीं और यहां छह जोड़ने के बाद सीटों की संख्या 49 है. अगर विधानसभा में हिस्सेदारी की बात करें तो जम्मू में सीटों का रेशियो बढ़कर 47.8 फीसदी हो गया है, जबकि कश्मीर घाटी में इसका रेशियों घटकर 52.9 से 52.2 प्रतिशत हो गया है.

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जम्मू को हिंदू-बहुल माना जाता है. हालांकि, पांच जिलों - डोडा, पुंछ, राजौरी, किश्तवाड़ और रामबन - मुस्लिम बहुल हैं. पुरानी विधानसभा में इन जिलों के पास 13 सीटें थीं, जबकि बाकी 24 सीटें हिंदू-बहुल जम्मू में थीं. जम्मू में नई जोड़ी गई छह सीटों में से तीन मुस्लिम-बहुल और तीन हिंदू-बहुल क्षेत्रों में हैं.

जम्मू और कश्मीर नेशनल कॉन्फ्रेंस और जम्मू और कश्मीर पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी का प्रभाव न सिर्फ घाटी में बल्कि मुस्लिम-बहुल जम्मू सीटों पर भी है. दूसरी तरफ, बीजेपी का कश्मीर घाटी में थोड़ा या कोई प्रभाव नहीं है. हालांकि, सालों से बीजेपी ने हिंदू और मुस्लिम जम्मू जिलों में अपने प्रदर्शन में सुधार किया है.

बीजेपी के लिए चुनौतियां!

बीजेपी ने 2002 के चुनाव में हिंदू-बहुल जम्मू क्षेत्र में सिर्फ एक सीट जीती थी. कांग्रेस ने 12 सीटें, नेशनल कॉन्फ्रेंस या एनसी ने दो, और अन्य ने नौ सीटें जीतीं. 2014 में बीजेपी ने इस क्षेत्र में 24 में से 19 सीटें जीती. एनसी और कांग्रेस ने दो-दो सीटें और अन्य ने सिर्फ एक सीट जीती. वोट प्रतिशत के लिहाज से, बीजेपी ने अपना औसत वोट प्रतिशत 2002 में 15 प्रतिशत से बढ़ाकर 2014 में 46 प्रतिशत कर लिया.

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बीजेपी ने राज्य विधानसभा में कभी भी कश्मीर घाटी से सीट नहीं जीती हैं. यहां तक कि 2024 के आम चुनावों में बीजेपी ने कश्मीर की तीन लोकसभा सीटों पर उम्मीदवार भी नहीं उतारे थे, और सिर्फ जम्मू की दो सीटों पर ही चुनाव लड़ा.

बीजेपी की क्षेत्रीय विश्लेषण से इसकी कमजोरी का पता चलता है. पार्टी 12 सीटों को मजबूत, 14 मध्यम और 57 सीटों को अपने परफोर्मेंस के हिसाब से कमजोर मान रही है. इन 12 मजबूत सीटों में से 11 सीटें हिंदू बहुल जम्मू जिलों में हैं और एक मुस्लिम बहुमत वाले क्षेत्र में है.

मुस्लिम बहुल सीटों के लिए बीजेपी की रणनीति

जम्मू कश्मीर में बीजेपी के 90 सीटों में से 67 पर चुनाव लड़ने की संभावना है, बाकी सीटें कश्मीर घाटी में फ्रैंडली पार्टियों को दी जाएगी, जहां पार्टी की अपनी स्थिति कमजोर है. पार्टी का टारगेट एनसी, पीडीपी और नए दलों (पूर्व अलगाववादी सज्जाद लोन, इंजीनियर राशिद - निर्दलीय) के बीच वोट विभाजन करना है.

जम्मू कश्मीर विधानसभा में एसटी के लिए 9 सीटें आरक्षित हैं, जिनमें तीन कश्मीर घाटी और छह जम्मू में हैं. बीजेपी का लक्ष्य पहाड़ी जनजातियों को आकर्षित कर इन सीटों को जीतना है. 2018 में किए गए एक सरकारी सर्वेक्षण के मुताबिक, जम्मू-कश्मीर में पहाड़ी भाषी लोगों की आबादी 10 लाख से ज्यादा है.

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बीजेपी ने 2014 के 83 विधानसभा सीटों वाले चुनाव में 25 सीटें जीती थी. इनमें 19 सीटें पार्टी ने हिंदू बहुल क्षेत्रों में जीती और छह सीटें मुस्लिम बहुल क्षेत्रों में जीती. अगर नए विधानसभा के हिसाब से इसे समझें तो बीजेपी 29 सीटों पर होती. अब चुकी एनसी और कांग्रेस गठबंधन में है और यह मान के चला जाए कि पार्टी एक-दूसरे को अपना 100 फीसदी वोट ट्रांसफर करती है तो बीजेपी को छह सीटों का नुकसान होगा.

चुनाव के बाद की बीजेपी की रणननीति

बीजेपी जम्मू की सभी 43 सीटों पर चुनाव लड़ेगी. माना जा रहा है कि पार्टी घाटी में 47 सीटों में से सिर्फ 24 पर ही चुनाव लड़ेगी. इसका मतलब है कि पार्टी अपनी खुद की साधारण बहुमत हासिल नहीं सकेगी. अपने दम पर सरकार बनाने के लिए बीजेपी को 70 फीसदी का स्ट्राइक रेट रखना होगा, जो कि डिविजनों में विभाजित विधानसभा में पार्टी के लिए मुश्किल साबित हो सकती है.

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बीजेपी का घाटी में बहुत कम प्रभाव है और इसमें भी अगर देखा जाए तो 16 मुस्लिम बहुल जिलों में पार्टी का बेहद ही कम प्रभाव है. मसलन, बीजेपी त्रिशंकु विधानसभा में एक बड़ी पार्टी बनने की उम्मीद रखे हुई है, जिसमें पार्टी मान कर चल रही है कि उसे क्षेत्रीय नई पार्टियों और निर्दलीय उम्मीदवारों की वजह से एनसी-पीडीपी और कांग्रेस के वोट कटेंगे, जिसमें बीजेपी को फायदा होगा.

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हालिया लोकसभा चुनाव में नेशनल कॉन्फ्रेंस और कांग्रेस गठबंधन ने 41 सीटों पर जीत हासिल की थी, जिनमें एनसी ने 34 और कांग्रेस ने सात सीटें जीती थी. इनके अलावा बीजेपी ने 29 सीटें जीतीं, पीडीपी ने पांच, बीजेपी गठबंधन दल और पूर्व अलगाववादी सज्जाद लोन की पार्टी पीपुल्स कॉन्फ्रेंस ने एक और निर्दलीय ने 14 सीटें जीती थी.

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