बिहार की वोटर लिस्ट में सुधार के लिए चुनाव आयोग ने राजनीतिक दलों से दावे और आपत्तियां दर्ज करने की अपील की है. लेकिन पांच दिन बाद भी किसी भी राजनीतिक दल ने एक भी नाम जोड़ने या हटाने की सिफारिश नहीं की है. दूसरी तरफ, आम मतदाताओं ने बड़ी तादाद में आवेदन जमा किए हैं. आयोग का कहना है कि वे इन सभी आवेदनों पर सात दिनों के अंदर एक्शन लेंगे.
बिहार में राजनीतिक दल वोटर लिस्ट को लेकर निष्क्रिय हैं. निर्वाचन आयोग ने 1 अगस्त को जारी हुई प्रारूप वोटर लिस्ट में कोई भी गलती दूर करने के लिए अपील की थी, लेकिन पांच दिन बीत जाने के बाद भी किसी भी दल ने एक भी नाम को जोड़ने या घटाने के लिए आवेदन नहीं किया है. आयोग यह सुनिश्चित करना चाहता है कि आखिरी लिस्ट में कोई भी योग्य मतदाता न छूटे और कोई भी अयोग्य मतदाता न जुड़ पाए.
आम मतदाताओं की सक्रियता
आम मतदाता सक्रियता दिखा रहे हैं. आयोग को आम मतदाताओं की तरफ से 3,659 आवेदन प्राप्त हुए हैं. इसके अलावा, 19,186 नए नाम जोड़ने के लिए भी आवेदन मिले हैं. आयोग की टीमें इन सभी आवेदनों पर अगले सात दिनों के अंदर कार्रवाई कर उनका निपटारा करेंगी. यह दर्शाता है कि आम जनता चुनाव प्रक्रिया में दिलचस्पी रखती है.
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राजनीतिक बयानबाजी बनाम कार्रवाई...
राजनीतिक दल लगातार वोटर लिस्ट के प्रोसेस पर सवाल उठा रहे हैं, लेकिन सुधार के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठा रहे हैं. निर्वाचन आयोग ने उनसे और उनके बूथ लेवल एजेंट्स से वोटर लिस्ट में सुधार के लिए दावे और आपत्तियां दर्ज कराने का आग्रह किया था. लेकिन पांच दिन बाद भी उनकी निष्क्रियता बनी हुई है.