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भारत के अटॉर्नी जनरल (अनुच्छेद 76) से जुड़े महत्‍वपूर्ण तथ्‍य

भारत का महान्यायवादी न तो संसद का सदस्य होता है और न ही मंत्रिमंडल का सदस्य होता है. लेकिन वह किसी भी सदन में अथवा उनकी समितियों में बोल सकता है, किन्तु उससे मत देने का अधिकार नहीं है.

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Mukul Rohtagi- Attorney Genral of India
Mukul Rohtagi- Attorney Genral of India

भारत का महान्यायवादी न तो संसद का सदस्य होता है और न ही मंत्रिमंडल का सदस्य होता है. लेकिन वह किसी भी सदन में अथवा उनकी समितियों में बोल सकता है, किन्तु उससे मत देने का अधिकार नहीं है.

भारत का महान्यायवादी (अनुच्छेद 76)

(1) महान्यायवादी सर्वप्रथम भारत सरकार का विधि अधिकारी होता है.

(2) भारत का महान्यायवादी न तो संसद का सदस्य होता है और न ही मंत्रिमंडल का सदस्य होता है. लेकिन वह किसी भी सदन में अथवा उनकी समितियों में बोल सकता है, किन्तु उससे मत देने का अधिकार नहीं है. (अनुच्छेद 88)

(3) महान्यायवादी की नियुक्ति राष्ट्रपति करता है.

(4) महान्यायवादी बनने के लिए वही अर्हताएं होनी चाहिए जो उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश बनने के लिए होती हैं.

(5) महान्यायवादी को भारत के राज्य क्षेत्र के सभी न्यायालयों में सुनवाई का अधिकार है.

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