वो दिन 7 जुलाई 1999 का था जब एक जख्मी
ऑफिसर को बचाते हुए बिक्रम बत्रा की जान चली गई थी.
इस ऑफिसर को बचाते हुए कैप्टन ने कहा था, ‘तुम हट जाओ. तुम्हारे बीवी-बच्चे हैं.’विक्रम बत्रा के साथी नवीन, जो बंकर में उनके साथ
थे, बताते हैं कि अचानक एक बम उनके पैर के पास
आकर फटा. नवीन बुरी तरह घायल हो गए. विक्रम बत्रा ने तुरंत उन्हे वहां से हटाया, जिससे
नवीन की जान बच गई लेकिन कैप्टन ने देश की
मिट्टी के लिए जान दे दी.
पाकिस्तान ने 'शेरशाह' नाम दिया
कैप्टन विक्रम बत्रा की बहादुरी के किस्से भारत में ही
नहीं पड़ोसी देश पाकिस्तान में भी महशूर है.
पाकिस्तानी सेना ने उन्हें 'शेरशाह' नाम दिया था.